हाथ की रेखाओ की गणना कैसे करें


हस्तरेखा से अनुमानित आयु की गणना

हस्त परीक्षण के समय तक मनुष्य के जीवन में कितनी घटनाए घटित हो चुकी हैं और कितनी आने वाले समय में घटित होंगी, इसका सटीक कथन करने के लिए उसकी वर्तमान आयु की गणना कार्य में प्रवीणता प्राप्त कर लेना उचित होगा | इस कार्य में निपुण होने तक उसकी आयु और उसके उत्तर को अनुमान का आधार बनाना ही उचित रहता है। सभी मनुष्य अपनी ठीक आयु नहीं बता पाते हैं परंतु सही आयु के आस-पास की जानकारी अवश्य दे देते हैं। इस कच्चे अनुमान को हाथ की त्वचा, रेखा और रंगत एवं संगति इत्यादि के साथ देखकर सही आयु की गणना सरलता से की जा सकती है। हस्त परीक्षण करते समय आयु गणना करने का एक सुलभ सूत्र यह है कि मनुष्य की जीवन रेखा को ऊपर से नीचे की ओर बारंबार दबाया जाये तो रक्त प्रवाह की लालिमा में क्षण मात्र के लिए एक सफेद बिंदु सा उभरता है। यह बिंदु हाथ की सटीक आयु दर्शाने वाले स्थान पर होता है। कितु यह प्रयोग कमरे का तापमान अनुकूल होने पर ही विशुद्ध परिणाम देता है । परिस्थितिवश भिन्नताओं के होने पर परिणामों में परिवर्तन भी आ सकता है। अत: इस साधन को हमेशा आयु का सही अनुमान लगाने वाला नहीं माना जा सकता। इस संभावना का कसौटी पर खरा उतरना हस्तरेखा के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा।

हस्तरेखा से अनुमानित आयु की गणना

हस्तरेखाओं को जीवन की वास्तविक दिशादर्शक मानने पर रेखाओं के भिन्न-भिन्न अंशों से यह संकेत प्राप्त हो जाता है कि उसका संबंध जीवन के निम्न भागों से है। प्रयोगों से स्पष्ट हो चुका है कि रेखा जहां से शुरू होती है, वह स्थान आरंभिक वर्षों का हिसाब रखता है तथा आगे का वर्षवार लेखा-जोखा उसमें जुड़ता जाता है। अतः रेखाओं के प्रांरभिक स्थान की जानकारी होना आवश्यक है।

किस आयु में क्या-क्या घटनाएं घटी हैं या घटने वाली हैं इस बात को ठीक-ठीक बता पाने की कुशलता पूरी तरह हस्तरेखाविद् की तीक्षण दृष्टि एवं सही परख पर निर्भर करती है। कुछ हस्तरेखाविद् एक वर्ष के भीतर घटित या घटने वाली घटना को बता सकते हैं कितु ऐसे बहुत ही प्राप्त कर ली है। हस्तरेखा शास्त्र के नियमों की पूर्ण रूप से जानकारी रखने वाला व्यक्ति अधिक से अधिक इतना ही बता सकता है कि किस वर्ष में कौन सी घटना घटित होगी। घटना घटित होने के महीने या दिन को बता पाना असंभव है। केवल हाथ को देखकर किसी व्यक्ति का नाम या उसके नाम का आद्यक्षर बताना भी संभव नहीं है।

गौण घटनाओं या दैनिक जीवन के चिह्न व्यक्ति के हाथों में नहीं उभरते। हाथ में बना जीवन का मानचित्र केवल महत्वपूर्ण घटनाओं, गंभीर संकट, बड़ी खुशियों या खतरों या गहन प्रभाव डालने वाली घटनाओं या मस्तिष्क पर , गहरी छाप छोड़ने वाले अथवा जीवन की दिशा में महत्वपूर्ण परिवर्तन करने वाले व्यक्तियो को ही दर्शाता है। रेखाओं से आयु की गणना करते समय सर्वप्रथम मनुष्य की औसत आयु पर विचार करना चाहिए। व्यक्ति की 100 वर्ष या उससे अधिक मापने वाले मापदंड निश्चित करना त्रुटिपूर्ण है, क्योंकि यह देखा गया है कि लोग बहुधा इतनी आयु तक नहीं पहुंच पाते।

जीवन रेखा का विभाजन गुरु अंगुली जीवन रेखा का विभाजन गुरु ऊँगली के नीचे, रेखा के प्रारंभ होने के स्थान से शुरू होता है तथा मणिबंध पर समाप्त होता है (देखिये चित्र क्रमांक 1 आयु गणना हेतु जीवन रेखा का विभाजन), मध्यवर्ती खंडों में जीवन के विभिन्न वर्षों का रिकार्ड रहता है। रेखा के परीक्षण में सुविधा एवं शीघ्रता की दृष्टि से रेखा को मध्य
वाले खंडों में बांटा गया है। इस तारीख तक पहुंचने के लिए चार से लेकर सत्तर वर्षों की आयु के बीच एक-एक वर्ष की कालावधि में समय 4, 6, 12, 18, 24, 30, 36, 43, 51, 60 और 70 वर्ष की आयु का पता लगाना आसान हो सकता है। ऐसे अभ्यास से इन कालावधियों की शीघ्र और ठीक-ठीक पढ़ने की जानकारी प्राप्त हो जायेगी। भविष्यकथन करने के स्थान पर हाथ में आयु का कोई चिह्न न दिखाई देने की स्थिति में उस रेखा को ही वर्षों में विभाजित करके इस विधि के अनुसार सही तिथि निकाली जा सकती है। रेखा को पेंसिल से चिहित किए बिना खाली हाथ का निरीक्षण करते समय हाथ की लंबाई या छोटे होने की स्थिति को ध्यान में रखकर लंबाई के अनुपात में केंद्रबिंदु पर छत्तीस वर्ष की आयु मानकर कई स्थानों को मन में निश्चित करना आवश्यक है।

हस्तरेखा से अनुमानित आयु की गणना


याद रहे कि लंबे हाथ में प्रत्येक छ: वर्ष की अवधि के मध्य अधिक और छोटे हाथ में कम अंतराल होता है। जीवन रेखा का इस तरह विभाजन करना अन्य सभी प्रकार के विभाजन
की तुलना में अधिक शुद्ध एवं सही पाया गया है। यद्यपि परिणामों की शुद्धता हस्तरेखा शास्त्री के सटीक अनुमान पर निर्भर करेगी तथापि पर्याप्त परिश्रम करने पर वास्तविक परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।

हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा पर चिहित घटनाएं जीवन रेखा के चिहों द्वारा प्रासंगिक हैं या नहीं, यह जानने के लिए कालावधियों को पढ़ना उपयोगी सिद्ध हो सकता है। इन रेखाओं से कालावधि का अनुमान लगाने के नियमों का पालन करना और जीवन रेखा पर लागू होने वाली टिप्पणियों एवं तकों को इन रेखाओं के लिए प्रासंगिक मानना आवश्यक है।

जीवन रेखा गुरु की अंगुली के नीचे से आरंभ होती है और उसकी दिशा हाथ के एक सिरे से दूसरे सिरे तक होती है। रेखाएं भिन्न-भिन्न दिशाओं में जाती हैं। इसलिए कालावधियों की गणना को सुविधाजनक बनाने के लिए एक काल्पनिक रेखा को आधारवत् लेना उपयोगी रहता है। इस रेखा को गुरु पर्वत के मध्य से प्रारंभ कर हाथ के पार तक जाने की कल्पना की जाती है। हृदय रेखा या मस्तिष्क रेखा का निरीक्षण करते समय इस काल्पनिक रेखा (देखिए चित्र क्रमांक 2 आयु, गणना (काल्पनिक रेखा के आधार पर) पर पूर्ववत् 6 से 70 वर्षों की अवधियां अंकित की जाती हैं और इन अवधि खंडों को पढ़ने से निकलने वाली आयु बिल्कुल सही पायी जाती है। इससे अधिक पास की तिथियां देखने के लिए हृदय या मस्तिष्क रेखाओं को एक वर्ष दर्शाने वाली कालावधियों में विभाजित किया जाता है और ठीक वही प्रक्रिया अपनाई जाती है जिसका उल्लेख जीवन रेखा के संबंध में किया गया है। उपर्युक्त माप तालिकाओं का सही तरह से उपयोग करने से ये सटीक परिणाम देती हैं।

शनि रेखा पर आयु को नीचे से ऊपर की ओर पढ़ा जाता है। (देखिए चित्र क्रमांक तीन शनि रेखा का आधार) मणिबंध से मस्तिष्क रेखा तक का स्थान 0 से 30 वर्ष, मस्तिष्क रेखा से हृदय रेखा तक 30 से 45 वर्ष और हृदय रेखा से शनि की अंगुली तक 70 वर्ष की आयु बताने वाली कालावधियों में विभाजित कर दिया जाता है।

इन तीन सामान्य उप-विभाजनों को ध्यान में रखकर प्रमुख कालावधियां पढ़ने की कला शीघ्र आ जाती है। एक वर्ष के भीतर के किसी समय को जानने के लिए रेखा को चिहित करके ठीक जीवन रेखा की तरह ही पढ़ा जाता है। मस्तिष्क और हृदय रेखाएं हाथ के आर-पार जिन अलग-अलग दिशाओं से जाती हैं, उन्हें शनि रेखा सदा एक ही स्थान पर नहीं काटती। यदि वे अनुचित दिशाओं में चली जाएं तथा उसके फलस्वरूप कोई चौड़ा या संकीर्ण चतुष्कोण बन जाये तो उनके बीच का अंतराल 30 से 45 वर्ष की आयु दशनेि वाला नहीं होगा और सही तिथियां जानने के लिए शनि की पूरी रेखा की माप लेनी होगी।

सूर्य रेखा को नीचे से ऊपर की ओर उसी तरह पढ़ा जाता है जैसे शनि रेखा को और वही नियम एवं माप इस पर भी लागू होते हैं जो शनि रेखा को पढ़ने के लिए लागू होते हैं और सटीक तिथियां निकालने का उपाय भी दोनों का एक ही है। (देखिए चित्र क्रमांक चार सूर्य रेखा का आधार)।

हस्तरेखा से अनुमानित आयु की गणना


बुध रेखा को नीचे से ऊपर की और पढ़ा जाता है (देखिये चित्र क्रमांक 5 बुध रेखा का आधार )
वही माप और वे ही नियम इसके लिए प्रासंगिक है जो अन्य रेखाओ पर लागु होते है सिवाय इसके की यह रेखा लंबाई में छोटी होने के कारन कलावधियो हेतु लगाय जाने वाले चिन्हों के बीच की दूरी बहुत ही कम होती है क्योंकि उनके चिन्ह पास पास होते है । आयु को इस रेखा पर पढ़ना प्रायः वांछनीय होता है क्योंकि जीवन रेखा के सम्बन्ध में यह रेखा बहुत ही महत्वपूर्ण है ।

आकस्मिक रेखाओं पर आयु को पढ़ना आवश्यक नहीं है। ये रेखाएं मुख्य रेखाओं को काटने वाली, उनसे आरंभ होने वाली या उनके इतने समीप होती हैं कि आकस्मिक रेखा पर दी हुई आयु को मुख्य रेखा द्वारा पढ़ा जा सकता है। जीवन के स्वाभाविक मानचित्र में होने वाले परिवर्तनों या संभावनाओं को प्रकट करने वाली ऐसी आकस्मिक रेखाएं कई दिशाओं की ओर जाती हैं और ऐसे अप्रत्याशित स्थानों से प्रारंभ होती हैं कि उन पर आयु को पढ़ने का कोई नियम नहीं बनाया जा सकता तथापि मुख्य रेखाओं की गणना के आधार पर इनसे भी सही तिथिायां निकाली जा सकती हैं। हस्तरेखा शास्त्र के किसी भी भाग के लिए इतना अभ्यास आवश्यक नहीं जितना की तिथियों को जानने के लिए। पहले-पहले अनेक असफलताएं नियमों के कारण नहीं बल्कि अभ्यास कार्य में लगे व्यक्ति की ग्रहण शक्ति कम रहने को कारण होगी | बीमारी के बारे में निरीक्षण करते समय न केवल जीवन रेखा, मस्तिष्क रेखा, हृदय रेखा व बुध रेखा तथा पर्वतों की जांच भी की जाती है अपितु उनकी तिथियों का भी इन रेखाओं से अंकित विधियों के साथ मिलान किया जाता है।

नितिन कुमार पामिस्ट

हस्त रेखा विशेषज्ञ का दायित्व - Hast Rekha Pandit


हस्त रेखा विशेषज्ञ का दायित्व

हस्त रेखा विशेषज्ञ का दायित्व


 वकील, डाक्टर और हस्तरेखा विशेषज्ञ तीनों का एक काम है कि उनके पास जो व्यक्ति जाता है, वह अपने किसी समस्या को लेकर पहुंचता है। डाक्टर अनेक प्रकार से रोगी का परीक्षण करता है, वह जानता है कि भयंकर रोग है। फिर भी वह उसे नहीं बतलाता और रोगी को आश्वासन देता है कि वह ठीक हो जायेगा। रोगी भयंकर बीमारी के बाबजूद अपनी बलवती आशा से सफलता प्राप्त करने में समर्थ हो जाता है तथा अनेक रोगी ठीक भी हो जाते हैं। 

उनमें स्वयमेव अपनी शक्ति पर विश्वास बढ़ जाता है, अपनी शक्ति, साहस, उत्साह के बल पर कार्य में जुट जाता है। ऐसी स्थिति में आपके चुम्बकीय शब्द अपूर्व शक्ति लेकर उस वातावरण में कम्पन्न पैदा कर देते हैं। हस्त रेखा विशेषज्ञ को अपने विषय से सम्बन्धित शास्त्र का पूरा ज्ञान होना जरुरी है। जो कुछ उसने सुन रखा है, जो उसके ध्यान में आया है, उसे बताने की जरुरत नहीं है। शास्त्रोक्त ज्ञान के आधार पर जो उसने खोजा था, जो सिद्धान्त उसने बनाये थे, उसके आधार पर रेखा, चिन्ह , देश, काल, अवस्थानुसार परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए भविष्यवाणी करनी चाहिए। बालक विद्या का प्रश्न करेगा, लड़की विवाह से सम्बन्धी पश्न पूछ सकती है। वृद्ध वैंक वैलेंस पूछ सकता हैं। इसलिए भविष्यवाणी करने में जल्दी न करें। 

हस्तरेखा देखते समय पुरुषों को उनकी उन्नति के वर्ष, नया कारबार, बिमारियों से सर्तकता रखने का समय, विवाह, लाभ, हानि, सन्तान, एवं चारित्रिक गुण आदि विशेषत: बताने चाहिए। 

स्त्रियों को पति का सुख, पुत्र के भाग्योदय का वर्ष, उनके द्वारा होने वाले धर्म-कर्म, कथा, दान, पुण्य, सुख, दुख, पति प्रेम की विचारणीय बातों का वर्णन विशेष रुप से करना चाहिए। एक पामिस्ट सही मायने में लोगों को चेतावनी भी देता है, सुझाव भी देता है और घटनाओं से आगाह कराता है, ताकि भविष्य में होनेवाली घटनाओं से लाभ उठाया जा सकंे और समय का सही उपयोग कर सकें, क्योंकि मानव को भविष्य इसलिए रोचक लगता है कि शेष जिंदगी भविष्य की गोद में बितानी है। जब हस्त रेखा देखकर भविष्य बताने की बारी आती है, तो अनेक बातों का ख्याल रखना होता हैं। नितिन कुमार पामिस्ट 

जैसे- भोजन के तीन घंटे बाद जब हाथ ज्यादा ठंडा हो, न ज्यादा गरम तथा ज्यादा छोटे बालकों का हाथ न देखा जाये। इसके अतिरिक्त आयु, देश, वातावरण को ध्यान में रखते हुए हाथ देखा जाय। केवल एक रेखा देखकर किसी भी निर्णय पर नहीं पहुँचना चाहिए। समस्त रेखाओं, चिन्ह  और पर्वतों का अध्ययन करें उनके आधार पर ही कुछ कहना उचित होगा। व्यायाम करने के बाद, मदिरा, मिठाई, लेने के बाद हाथ न देखा जाय, क्योंकि इस समय इंदिzयां उत्तेजनायुक्त होती हैं। इस कारण नाड़ियों एवं करतल का स्वाभाविक तत्व समाप्त हो जाता है। इसके अलावा रेखाओं का रंग भी बदल जाता है।  नितिन कुमार पामिस्ट 

हाथ देखने का समय सूर्योदय से 2 घंटे बाद का समय अधिक उचित होता है। अधिक गर्मी एवं अधिक शर्दी के समय भी हाथ देखना अनुचित होता है कारण कि हाथों का रंग प्रभावित होगा। अत: इन बातों का ख्याल रखना ही सफलता की सीढ़ी है।

 नितिन कुमार पामिस्ट 

Western Perspective Of Hand Reading


The Basic Modifiers : The Western Perspective for the Palmistry World
Book Review of “The Art and Science of Hand Reading”
Book written by Ellen Goldberg and Dorian Bergen
Review written by Janet Li



Palmistry is a big topic for us to discuss. It includes many schools of thought to analyses the future of the hand owner and their personality traits. Written by Ellen Goldberg and Dorian Bergen, this book “The Art and Science of Hand Reading” has chosen to use the basic modifiers to discuss this topic. The author said that it is the first subject of this book. This book has brought us a western perspective to enter into the world of palmistry.

With 532 pages, the book “The Art and Science of Hand Reading” is comprised of three main parts. The first part describes the basic modifiers that make each hand unique. It includes the texture, flexibility, consistency, coloring and size of the hand; the fingers; and the thumb. The second part outlines the meaning of the mounts. It talks about the seven archetypes of the palm. The third part talks about the lines of the hand. It shows the road map of the palm.

The most shinning part of the book is the first and the second parts. The first part has detailed the personality traits with the basic modifiers. The second part has used the basic modifiers to determine the concrete features of different people of each mount. The second part has blended the theory of chirognomy and chiromancy very well. Especially, the part of the mount with the illustration of the basic modifiers has blended the theory of chirognomy and chiromancy very well. It has told the personality traits of different mounts in terms of “texture of the skin”, “flexibility of the hand”, “consistency of the palm”, “color”, “hair”, “nails”, “finger length”, “fingertip shapes”, and the “thumb”. I agree that the author said “There is a good reason the basic modifiers are the first subject in this book.”

There are some main points in this book. For example, it said “Exactly how a person with medium-textured skin expresses finer or coarser qualities of an archetype will be shown by other indications in the hand, not by the skin texture.” And it said “As a measure of energy, consistency is one of the most important aspects of the hand. No matter what other indications are found, no matter how beautiful the development of certain mounts, no matter how rare a sign is found in the palm, the consistency of the hand can make or break the potential of these qualities.” This book has used a lot of elements of the basic modifiers to establish its point. These ideas are already very original to the reader from the Asian countries.

Unlike most Hong Kong palmistry book, this book has not put too much emphasis on the hand line and the hand shape. Maybe, it is the difference between the eastern and western palmistry. In the theory of the eastern palmistry, the author will put more energy to predict the fate of the owner. However, in the theory of the western palmistry, the author will put more energy to analyses the personality traits of the hand owners. This book has showed the western tradition of reading the hands.

One strength of this book is that the author uses a lot of pictures to tell the story. These pictures have reinforced the narrative of the hand features. It makes the readers more clearly know about the appearance of various kinds of hand features. More apparently is it uses the real hands to show the features of the hand, rather than the drawing. It will more clearly show the readers what it is said.

Another strength of this book is that the author spends much concentrations on the descriptions about the personality traits of different mount combinations. It has depicted clearly which kind of personal traits are for different kinds of people.

What is most impressing is that the book states accurately about my personal traits. For example, it states that “When Apollo leans toward Saturn it gives some of its ability to play and relax to the most serious and hardworking archetype. It helps Saturn to lighten up. When Saturn leans toward Apollo it gives some of its hardworking ethic to a mount that can sometimes waste its creative power in pursuing pleasures. It gives Apollo focus and direction.” That hand feature has accurately points out my personality traits. It is really amazing. It makes the title of this book “Classical methods for self-discovery through palmistry” alive.

One weakness of this book is that it has not told the readers which factor is the most important among the various factors of chirognomy to determine the personality traits of the owner. It has not clearly explained that point. If the author can point out more clearly which factor is most important, it will be better.

All in all, this is a great book. We should study that book seriously and follow what the author say “Always feel free to say you are student of palmistry and that you do not know in advance what you will be able to see.” To study palmistry is just like long-life learning. We should make an enquiry of the unknown with the curiosity.

My name is Janet Li. Based in Hong Kong, I am a writer who specializes in palmistry and a freelance reporter who is responsible for reporting the news for a financial and environmental magazine. My sample of works can be seen at www.clippings.me/users/janhealth

समुद्रशास्त्र में सरकारी नौकरी




सरकार से धन का लाभ मिले भला यह कौन नहीं चाहेगा। लेकिन यह चाहत हर किसी की पूरी नहीं होती है। इसके लिए जरूरी है कि आपकी किस्मत में सरकार से लाभ का योग बना हो। कुण्डली में किस्मत को पढ़ने का काम एक कुशल ज्योतिषी ही कर सकता है लेकिन, अपनी हथेली को आप स्वयं देखकर समझ सकते हैं कि सरकार से आपको लाभ मिलेगा या नहीं।

समुद्रशास्त्र में बताया गया है कि जिनकी हथेली में सूर्य पर्वत उभरा हुआ होता है और उस पर बिना किसी कट के सीधी रेखा आती है तब सूर्य मजबूत होता है। सूर्य सरकार का कारक ग्रह है। इससे सरकारी क्षेत्र से धन का लाभ होता है। ऐसे लोगों को सरकारी नौकरी मिलने की भी अच्छी संभावना रहती है।

सूर्य पर्वत अनामिका उंगली की जड़ में स्थित है। गुरू को भी सरकारी क्षेत्र से लाभ दिलाने वाला ग्रह माना जाता है। गुरू पर्वत पर सूर्य पर्वत से चलकर कोई रेखा आ रही है तो इसका अर्थ है कि व्यक्ति सरकारी क्षेत्र में उच्च पद प्राप्त कर सकता है। राजनेता या कुशल सलाहकार होगा। ऐसा व्यक्ति सरकार से मान-सम्मान एवं धन प्राप्त करता है।

गुरू पर्वत पर कई सीधी रेखाओं का होना और गुरू पर्वत का उभरा होना भी सरकारी धन से लाभ को दर्शाता है। लेकिन जिनकी हथेली में गुरू पर्वत ज्यादा उभरा हुआ होता है वह अहंकारी होते हैं। इनमें अपनी बुद्घि और ज्ञान का अभिमान होता है। गुरू पर्वत हथेली में तर्जनी उंगली के नीचे होता है।

Samdura Shastra Aur Sarkari Naukari  - Hastrekha Aur Sarkaari Naukari

हाथ में मुड़ी हुई जीवन रेखा - हस्तरेखा (Twisted Life Line Palmistry)




जब जीवन रेखा इस प्रकार की हो कि उसमें एक मोड़ दिखाई पड़े तो वह मुड़ी हुई जीवन रेखा कहलाती है  । जीवन रेखा और मस्तक रेखा के मिली होने पर ऐसा प्रतीत होता है कि जीवन रेखा का उदय मस्तिष्क रेखा से ही शनि के नीचे से ही हुआ है परन्तु जब मस्तिष्क रेखा जीवन रेखा से अलग होकर रेखा के समानान्तर चल कर, मोड़ खाकर मस्तिष्क रेखा से अलग होती है। ऐसी रेखा को मुड़ी हुई जीवन रेखा कहते हैं, ऐसी जीवन रेखा दोनों हाथ में कम ही देखी जाती हैं। प्राय: एक ही हाथ मे ऐसी रेखा देखने में आती है तथा एक पिता की एक ही सन्तान के हाथ में यह रेखा पाई जाती है। दोनों हाथों में ऐसे लक्षण होने पर यह विशेष फलकारी होती है।

ऐसे व्यक्ति अपने जीवन में विशेष सफलता प्राप्त करने वाले होते हैं। साधारण हाथों में यदि अन्य लक्षणों के साथ-साथ मुड़ी हुई जीवन रेखा हो तो व्यक्ति की आर्थिक स्थिति पहले के मुकाबले में तीन गुनी अधिक अच्छी होती है। अत: यह लक्षण आर्थिक दृष्टि से बहुत ही उत्तम माना जाता है। दोनों हाथों में मुड़ी हुई जीवन रेखा होने पर तो अभूतपूर्व आर्थिक स्थिति होती है। इतना अवश्य कहा जा सकता है कि ऐसे व्यक्ति देर से स्थायित्व प्राप्त करते हैं, किन्तु भाग्य रेखा व अन्य लक्षण अच्छे होने पर आरम्भ से ही स्थायित्व प्राप्त कर लेते हैं। ऐसे व्यक्ति बहुत धनी रहते हैं। परन्तु मुड़ाव का समय निकलने के पश्चात् ही यह सब उपलब्धियां दिखाई पड़ती हैं। जिस समय तक मुड़ाव रहता है रुकावट, परेशानी, धन की कमी, विरोध तथा रोग आदि का सामना करना पड़ता है।

ऐसे व्यक्ति क्रोधी, सीधे, लापरवाह , स्वतन्त्र विचारों के व परिवार के लिए त्याग करने वाले होते हैं। ये किसी पर निर्भर रहना पसन्द नहीं करते। आरम्भ में नौकरी करते हैं तथा अवसर मिलते ही व्यापार में चले जाते हैं। ये इरादे के पक्के होते हैं।

स्त्री होने पर ऐसी स्त्रियां स्वतन्त्र, जिद्दी, पति के चरित्र पर शक करने वाली, अधिक बोलने वाली, साधारण तथा रोगणी होती हैं। इनके पति इनमें रुचि नहीं लेते। ऐसे पुरुषों को घर से बाहर रहने की आदत होती है या परिस्थिति-वश घर से बाहर रहते हैं। ऐसी स्त्रियां अपने सास-ससुर के साथ रहना पसन्द नहीं करती और अपने पति को अलग रहने की सलाह देती हैं। ये छोटी बातों को भी अधिक महसूस करने वाली होती हैं। आरम्भ में दाम्पत्य जीवन मोड़ की आयु तक कलहपूर्ण रहता है।

ऐसे व्यक्तियों का स्वयं का स्वास्थ्य, मध्य आयु में ठीक नहीं रहता तथा इसका प्रभाव इनके एक बच्चे के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। इनके आने वाली पीढ़ी में लम्बाई अपेक्षाकृत अधिक पाई जाती है। इस लक्षण के अलावा कान व पेट में दोष, घुटनों में दर्द, पत्नी को गर्भाशय दोष व स्वयं को अण्डकोष में दर्द आदि रोग पाये जाते हैं। हाथ कठोर होने पर यदि मुड़ी हुई जीवन रेखा गोलाई में न होकर सीधी हो तो कमर की हड्डी में दोष होता है। प्राय: देखा गया है कि कमर की हड्डी अपने स्थान से खिसक जाती है तथा उसका आपरेशन कराना पड़ता है। वस्तुत: ऐसे व्यक्तियों के शरीर में कैल्शियम की कमी रहती है। बुढ़ापे में इनकी कमर झुक जाती है।


पक्षियों का सतनाजा


पक्षियों को अनाज डालने वाले पाठक अवश्य पढे

क्या आप पिछले अनेक वर्षों से पक्षियों को सतनाजा या अनाज डाल रहे हैं और फिर भी परेशान हैं तो आप हमारी बात पर चिन्तन करें। यह तथ्य हमारे पिछले 30 वर्षों के अनुभव द्वारा प्रमाणित है। पक्षियों को सतनाजा अथवा कोई विशिष्ट खादय सामग्री आप किसी पार्क या इसके लिए निर्धारित किसी विशिष्ट स्थान पर ही डालें ।



यदि आप अनाज अपनी छत पर डालते हैं तो आप अपना व अपने बच्चों का अहित कर रहे हैं। हमारे बहुत से ग्राहक हर रोज अपनी छत पर सतनाजा डालते हैं। अनाज खाने के बाद पक्षी वहां पर अपनी बीट करते हैं जिससे गन्दगी छत पर फैलती है। बहुधा इसमें से दुर्गन्ध भी आती है। गन्दगी का प्रभाव हमारे सिर अथवा मस्तिष्क पर पड़ेगा जिससे हमारे विचार दूषित होंगे। ऐसे घरों में रहने वाले विद्यार्थियों का शिक्षा से ध्यान भटक जाता है तथा गलत विचारों के कारण उनकी संगति खराब हो जाती है। इससे घर में क्लेश व झगड़ा होता है। इस रहे हैं वहीं अपने घर में अशांति फेला रहे हैं। अतः पक्षियों के लिए अनाज आप उनके लिए निश्चित स्थान पर ही डालें । अपनी छत को आप साफ व स्वच्छ रखें ताकि आपकी बुद्धि स्पष्ट व निर्मल रहे। अगर कोई शंका हो तो सौभाग्य दीप कार्यालय में पत्र द्वारा पूछताछ करें।

नितिन कुमार पामिस्ट

बंधन मुक्ति यन्त्र


गृह क्लेश के लिए बंधन मुक्ति यन्त्र

यदि आप निरन्तर प्रगति कर रहे हैं और चाहते हैं कि आपकी प्रगति निर्बाध रूप से होती रहे तो बन्धन मुक्ति यंत्र आपके लिए बहुत लाभदायक है। टोने टोटके व नजर दोष के दुश्प्रभाव को दूर करके आप के कार्यों को सुचारू रूप से चलाये रखने में यह सहायक है।


बन्धन मुक्ति यंत्र

यह यंत्र सामान्यतया जिन समस्याओं के लिए लाभदायक है, वे हैं- कर्ज मुक्ति, जमीन जायदाद के झगड़ों से छुटकारा, गृह क्लेश से मुक्ति, मानसिक अशान्ति, शत्रु नाश, नजर व टोने-टोटके से बचाव, कम्पीटीशन में सफलता, आयु वृद्धि, दुर्घटना से बचाव, लम्बी बीमारी से मुक्ति, मकान अथवा व्यावसायिक स्थल का दिशा दोष अथवा वेध दूर करना, शिक्षा में रुकावट, विवाह न होना, संतान प्राप्ति, घबराहट रहना, मेहनत का फल न मिलना, धन का अपव्यय होना तथा इसी तरह की अन्य समस्याएं। साढ़ेसाती व द्वैय्या से पीड़ित व्यक्तियों के लिए यह विशेष लाभदायक है। यह टोने-टोटके तथा विभिन्न तांत्रिक प्रभावों से व्यक्ति का बचाव करता है।

यदि पहले से उसके विरुद्ध कोई टोना-टोटका अथवा तांत्रिक क्रियाएं की गई हैं तो यह धीरे-धीरे उनके प्रभाव को समाप्त करके व्यक्ति की प्रगति में सहायक होता है। इसके प्रभाव से आर्थिक स्थिति, मान-सम्मान तथा राजनीतिक उपलब्धियों में भी काफी लाभ मिलता है। इसे स्थापित करने के लिए सर्वश्रेष्ठ समय मंगलवार को प्रात:काल अथवा शनिवार को सायंकाल है। शुभ मुहूर्त स्थापित करने के पश्चात इसके सामने प्रतिदिन प्रात:काल या सायंकाल तिल या सरसों के तेल का दीपक जलाते रहें। इस यंत्र के सामने बैठकर किया गया कोई भी मंत्रपाठ बहुत प्रभावी पाया गया है।

नितिन कुमार पामिस्ट

हथेली से जाने अपना व्यवसाय और नौकरी


हस्तरेखा से कैसे जाने की जातक नौकरी करेगा या व्यवसाय ?


जीवन में एक ऐसा पड़ाव भी आता है कि हमें अपने करियर का या व्यवसाय का चुनाव करना पडता है। करियर का चुनाव करते समय अपनी रूचि को अधिक प्राथमिकता दी जाती है। हस्त रेखाओं व ग्रहों की सहायता लेना व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में सफल बनाने में काफी सहायक होते हैं। इन प्रश्नों का उत्तर पाने के लिये सर्वप्रथम शनि रेखा फिर सूर्य रेखा, मस्तिष्क रेखा, जीवन रेखा, बुध रेखा तथा अंगूठे के मध्य विभाजित रेखा को देखें। उनसे स्पष्ट उत्तर न मिले तो हथेली, पर्वत तथा उंगलियों के लक्षण देखें। एक लक्षण के आधार पर भविष्यवाणी न करें।


हस्तरेखा से कैसे जाने की जातक नौकरी करेगा या व्यवसाय



रोजगार के लिये शुभ लक्षण
शनि रेखा से तनिक फासले पर समानांतर रेखा आय को दो साधन खताती हे | अत्यंत निकष्ट की समानांतर रेखा को कुठार रेखा कहते हैं। इससे जातक के संघर्ष के समय का पता चलता है। चंद्र पर्वत से शनि रेखा निकल कर शनि पर्वत को जाये तो धन प्राप्ति का साधन नैतिक होता है किंतु इस रेखा का वास्तविक लाभ तब होता है जब रेखा शनि के क्षेत्र में प्रवेश करती है । एक से अधिक शनि रेखाय होने से आय के साधन अधिक होते है । निर्दोष और गोलाकार जीवन रेखा भी हो तथा भारी हाथ हो तो लाभ निश्चित है ।

शनि रेखा शुरुवात में मोती और बाद में पतली हो तो पतली होने समय सौभाग्य का उदय होता है । मोटी शनि रेखा के समाप्त होने का समय दुर्भाग्य का अंत करता है । यदि रेखा आरम्भ में पतली हो तो सौभाग्य बढ़ता है। यदि शनि रेखा न हो और अकेली सूर्य रेखा हो तो यश व परीक्षा आदि अन्य प्रयत्नों से सफलता मिलती है। यदि जीवन रेखा आरम्भ में दो भागों में बंट जाये तो आरंभिक काल कष्टमय बाद में भाग्योदय होता है। जीवन रेखा के टूटनें का समय रोजगार परिवर्तन या निवास परिर्वतन का होता है। हृदय रेखा के ऊपर को त्रिकोण अधिक लाभदायक हैं नीचे अथति मस्तिष्क रेखा की ओर कम लाभदायक हैं। यदि शनि रेखा और जीवन रेखा दूषित हो तो उन त्रिकोणों का लाभ संघर्ष के बाद प्रौढ़ावस्था में मिलता है। मस्तिष्क रेखा टूटी हो तो मानसिक परेशानियों ए के कारण रोजगार में बाधा आती है।

यदि शनि रेखा मस्तिक रेखा से निकले तो बौद्धिक कार्य से लाभ मिलता है। गहरी शनि रेखा हृदय रेखा पर रूको तो साझेदारी हानिकारक होती है। चंद्र पर्वत की मोटी प्रभाव रेखा मोटी शनि रेखा को काट दे तो साझेदारी या विवाह का सम्बन्ध कष्टकारी होता है। जीवन रेखा अधूरी हो तो साझे में कष्ट और साझेदारी करते समय साझेदार की कनिष्ठिका उंगली यदि बहुत लंबी हो या टेढ़ी हो तो जमा पूंजी को खतरा है। हाथ तथा सख्त त्वचा वाले व्यक्ति श्रम के कार्यो में सफलता पाते है । मस्तक रेखा यदि दोनों हाथो में एक जैसे हो तो परिवार में जो काम चल रहा होता है उसकी को अपनाने से लाभ मिलता है । बुध रेखा अच्छी हो व कनिष्ठका अच्छी हो तो व्यापार में लाभ मिलता है । शनि पर्वत पर त्रिकोण हो तो गुप्त विद्याओ में सफलता जैसे - ज्योतिष मंत्र योग व अध्यात्म आदि । बुध पर्वत पर त्रिकोण या चतुष्कोण हो तो जातक अच्छा वक्ता होता है, उसे राजनीति में जाना चाहिये । तर्जनी लंबी हो, गुरु पर्वत पर त्रिकोण हो तो व्यक्ति साफ सुथरी राजनीति करता है, नाम पाते हैं, धन की हानि करते हैं। चन्द्र पर्वत पर त्रिकोण हो तो आध्यात्मिक क्षेत्र में विकास होता है। साथ में मध्यमा लम्बी हो और शनि रेखा ठीक हो तो व्यक्ति एकांतवास करता है। यदि कनिष्ठिका लंबी हो त्तो आध्यात्मिक क्षेत्र उनको व्यापार का साधन होता है। उंगलियां गठीली हों तो अनुसंधान के कार्य में रूचि होती है। उगलियां कोमल हों, गांठ दिखाई न दे तो कलाओं और कल्पना के कार्य में सफल होते हैं, साथ में यदि सूर्य रेखा हो तो लाभ और यश मिलता है। लंबी उंगलियां, लंबी हथेली, लचोली त्वचा के जातक योजना बनाने तथा मस्तिष्क प्रधान कायाँ में सफल होते हैं। रक्षात्मक मंगल से प्रभाव रेखा निकल कर सूर्य को जाये तो राजनीति में सफलता मिलती हैं। गुरु पर्वत पर त्रिशूल हो तो धन-संपत्ति, वाहन का सुख मिलता है।

हस्त रेखाओं के आधार पर व्यवसाय का चुनाव-

1. बुध ग्रह पर तीन या तीन से अधिक खड़ी रेखायें हों, भाग्य रेखा पहले मोटी तथा बाद में पतली हों और मस्तिष्क और जीवन रेखायें लंबी हों तो जातक आयुर्वेद की शिक्षा या मेडिकल की शिक्षा ले सकता है।
2. मस्तिष्क रेखा निदोष होकर मंगल ग्रह पर जाती हो, बुध ग्रह व शनि ग्रह बली हों, हाथ भारी हों, ऐसे व्यक्ति को कानून संबंधी या विज्ञान संबंधी शिक्षा लेनी चाहिये |
3. उगलियां लंबी होने पर मस्तिष्क रेखा विभाजित होकर एक शाखा के चंद्र ग्रह पर जाने, सूर्य व चन्द्र ग्रह के उत्तम होने, भाग्य रेखा के मणिबंध से उदय होकर शनिग्रह तक पहुंचने, जीवन रेखा के गोल होने और अधूरी होने की स्थिति में मस्तिष्क रेखा के उन्नत होने से, गाना-बजाना , पशुपालन , बागवानी , आदि कार्यो में सफलता मिलती है ।
4. गुरु ग्रह प्रधान होने पर सूर्य ग्रह, उत्तम जीवन रेखा, गोल भाग्य रेखा के जीवन रेखा से दूरी पर होने, मस्तिष्क रेखा निदोष या डबल होने पर जातक आई.ए.एस. या पी.सी.एस. अधिकारी बनता है।
5. मस्तिष्क रेखा या उसकी शाखा मंगल पर हो, हाथ सख्त या मुलायम केसा भी हो पर भारी हो, उगलियों के आधार बराबर हों और मंगल, चंद्रमा तथा बुध उन्नत हों तो ऐसे लोग कप्यूटर सम्बन्धी शिक्षा लेते हैं और यदि कोई दोष न हो तो अवश्य सफल होते हैं। लम्बी मस्तिष्क रेखा यदि चन्द्र पर जाये, चन्द्र ग्रह उन्नत हो, हृदय रेखा का अन्त गुरु पर्वत पर हो, भाग्य रेखा मोटी से पतली सूर्य की उंगली के ऊपर वाले पर्व से बड़ी हो तो ऐसा व्यक्ति पत्रकारिता में बहुत सफल होता है।
6. जीवन रेखा गोल, भाग्य रेखा निदीष और मोटी से पतली व मस्तिष्क रेखा दोनों ओर से विभाजित हो तो ऐसे जातक विभिन्न विषयों में शिक्षा प्राप्त करने में सफल होते हैं। वे गाइड या अनुवादक के रूप में सफल होते हैं।
7. हृदय व मस्तिष्क रेखा निर्दोष हो, हृदय रेखा पर त्रिकोण का आकार हो व हाथ उत्तम हो तो वास्तुकला व मकान निर्माण से संबंधित शिक्षा प्राप्त करने में सफल होते हैं। अन्य रेखायें उत्तम होने पर जातक धन-सम्पति स्वयं बनाता है।
8. सूर्य ग्रह उत्तम, उसपर एक से अधिक रेखायें एवं सूर्य उंगली सोधी, बुध की उंगली टेढी तथा चन्द्र और गुरु उत्तम होने पर फैशन डिजाइनिंग, टेलरिंग से संबंधी विषयों में जातक सफल होते हैं।
9. टूटी शनि रेखा के जातक काम बदलते रहते हैं। पतली शनि रेखा मस्तिष्क रेखा पर रुको तो गलत निर्णय के कारण हानि । शनि पर्वत पर चतुष्कोण हो तो धन-संबंधी संकट समाप्त होंगे और धन की प्राप्ति होगी |
10. मस्तिष्क रेखा दोहरी हो, अंगूठा लंबा हो व पीछे की तरफ मुड़ता हो, उगलियां पतली व छोटी हों, गुरु ग्रह व गुरु की उंगली सूर्य से लंबी हो, जीवन रेखा साफ हो तो ऐसे व्यक्तियों की शिक्षा पर काफी पकड़ होती है। ये भाषण देने में माहिर होते हैं।
11. अंगूठा लंबा हो, गुरु की उंगली रेखा साफ-सुथरी हो, मस्तिष्क रेखा शुरू व अंत में विभाजित हो, चंद्रमा उठा हो, अन्य ग्रह भी ठीक हों और हाथ भारी हो तो ऐसे व्यक्तियों की वाणी सम्मोहन का कार्य करती है। इन्हें शिक्षा व बोलने की कला का अच्छा ज्ञान होता है।

नितिन कुमार पामिस्ट


Officer Banane Ki Rekhaye Female Ke Hath Me




हाथ की रेखाएं जो आपको बनाती है ऑफिसर - हस्तरेखा

हाथ की रेखाएं जो आपको बनाती है ऑफिसर - हस्तरेखा 

आज कल लड़के लड़की बहुत मेहनत करते है पर बहुत मेहनत करने के बाद भी ऑफिसर या बड़ी रैंक या बड़ी पोस्ट पर नहीं पहुंच पाते है क्युकी हाथ में योग नहीं होता है। या फिर उचित उपाय नहीं करते है।

मेल और फीमेल के हाथ में लगभग एक ही तरह का योग होता जो बताता है की ये व्यक्ति ऑफिसर बनेगा या नहीं।

पढ़ें - हाथ में राजयोग कैसे बनता है - हस्तरेखा 

हाथ में सरकारी अफसर बनने के योग और चिन्ह

१). हाथ में अच्छी सूर्य रेखा और भाग्य रेखा होनी चाहिए और गुरु और सूर्य पर्वत उभरा हुआ होना चाहिए।

२). भाग्य रेखा का गुरु पर्वत पर जाना और साथ में अच्छी सूर्य रेखा होना।

३). सूर्य रेखा का भाग्य रेखा से निकलना या सूर्य रेखा की शाखा का भाग्य रेखा से मिल जाना।

४). भाग्य रेखा की शाखा का गुरु पर्वत पर चले जाना।

६). हाथ में शुभ चिन्ह होना जैसे फिश होना, त्रिशूल होना, मत्सय चिन्ह, टेम्पल यानि मंदिर चिन्ह, फ्लैग चिन्ह होना , इत्यादि।

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Sign Of Sensitive Or Careless Person In Palmistry


Sign Of Sensitive Or Careless Person In Palmistry


When the quadrangle is broader under the Mount of Sun than Mount of Saturn the person is intensely sensitive about other people's opinion towards him, (headline A) while in the reverse case he is careless about his reputation, has reduced intellectual ability (headline B).