आयु जानने की विधियाँ | भाग्य रेखा | जीवन रेखा | हस्तरेखा शास्त्र

आयु जानने की विधियाँ

आयु जानने की विधियाँ | भाग्य रेखा | जीवन रेखा | हस्तरेखा शास्त्र

जीवन रेखा से आयु पता लगाना 

यह हस्तरेखा शास्त्र का सबसे महत्त्वपूर्ण विषय है। कुछ हस्त रेखा शास्त्री (Palmist) जीवन रेखा, कुछ हृदयरेखा तथा मस्तिष्क रेखा के आधार पर आयु की गणना करते हैं। इस गणना से पहले इस तथ्य को भी ध्यान में रखा जाता है कि उस काल में (जैसे सन् 2012-2017) देश में औसत आयु का पैमाना क्या चल रहा है, जैसे आजकल औसत आयु पहले (सन् 1950 के दशक) से अधिक पहुँच गयी है। इसके अलावा जातक के वंश, माता-पिता की आयु, जातक का व्यवसाय तथा जीवन शैली भी जातक की आयु पर प्रभाव डालते है।

आज भारत में 100 वर्ष की आयु वाले व्यक्ति लगभग दो लाख की संख्या में हैं। अतः मध्यम वर्ग के लिए हम 80 या 100 वर्ष का पैमाना आयु गणना के लिए मान सकते हैं। अपवाद रूप में आज श्री फौजासिंह (पंजाब निवासी, आजकल लन्दन में रह रहे है।) जैसे सौ वर्ष के व्यक्ति भी हैं जो 27 मील की मैराथन दौड़ में पूरे विश्व के वरिष्ठ नागरिकों में प्रथम रहे और नया रिकार्ड (सन् 2012 में) स्थापित किया। दूसरी महत्त्वपूर्ण बात है हाथ का आकार-प्रकार जैसे चपटा हाथ (Spatulate Hand) और वर्गाकार हाथ (Square Hand) की तुलना में अतीन्द्रिय हाथ (Psychic Hand) की पूरी आयु कुछ कम आँकी जाती है। कसौटी यह है कि हाथ जितना कठोर, कुछ खुरदुरा और औसत दर्जे का मोटा होगा तथा हथेली बड़ी होगी, जातक में उतनी ही अधिक शारीरिक ऊर्जा होगी और यदि कोई मृत्यु सूचक चिह्न नहीं है तो आयु भी अधिक होगी।

आयु सीमा निश्चित करने के बाद जीवन रेखा (Line of Life), हृदय रेखा (Line of Heart) और मस्तिष्क रेखा (Line of Mind) इनमें से जिसको भी पॉमिस्ट आयु रेखा के रूप में मानना चाहता है उसकी पूरी लम्बाई नाप लेता है। इस नापने में रेखा को प्रारम्भ से लेकर अन्त तक नापा जाता है, उसमें उसके मुडने को भी शामिल करते हैं, अब अगर पॉमिस्ट ने पूरी आयु 90 वर्ष मानी है और लम्बाई की पूरी माप 4" है। आयु के वर्ष निकालने के लिए वह इसे (लम्बाई-4") चार भागों में बाँट देगा। इस प्रकार वह 22.5 वर्ष के 4 खण्ड बना लेगा, रेखा के खण्ड से उसे उतने ही वर्षों का भाग्यफल पता चल जायेगा।

मान लीजिए कि मस्तिष्क रेखा हाथ में पूरी नहीं हैं तो पॉमिस्ट (Palmist) को काल्पनिक पूरी रेखा उस स्थान पर बनाकर पहले उसे नापना होगा फिर उसके र पर जातक के हाथ की रेखा का अनुपात लगाकर आयु निकालनी होगी। उदाहरणार्थ -पॉमिस्ट की मान्यता है कि आयु 100 वर्ष होनी चाहिए। वह जातक की हथेली में एक काल्पनिक पूरी सीधी मस्तिष्क रेखा बनाता है जो 4" लम्बी है।  जातक के हाथ में बनी वास्तविक मस्तिष्क रेखा की लम्बाई केवल 3" है, तो ::4" = 100 वर्ष, 1" = 25 वर्ष, 3"=75 वर्ष जातक 75 वर्ष की आयु पायेगा। 

पॉमिस्ट इसी विधि से हृदय और जीवन रेखा द्वारा जातक की आयु निकाल सकता है।

 कुछ विद्वान अँगुलियों के आधार से मस्तिष्क रेखा पर लम्ब डालकर आयु निकालते हैं। इस विधि में यदि हथेली अँगुलियों के आधार से अधिक चौड़ी है। तो 6 खण्ड बनते हैं, अँगुलियों के बराबर या कम चौड़ी होने पर 4 खण्ड। इन खण्डों से (4 या 6) मानक आयु 80 वर्ष में भाग देकर जो भागफल आता है। उससे उपर्युक्त विधि द्वारा एक-एक वर्ष तक की गणना की जा सकती है। हथेली के अँगुलियों के आधार से अधिक चौड़ी होने पर जातक की आयु मानक आयु से उसी अनुपात में अधिक होगी। 

भाग्य रेखा से आयु पता लगाना


भाग्य रेखा, हाथ के आधार से, जीवन रेखा से या जीवन रेखा के भीतर से, चन्द्र क्षेत्र के बीच के स्थान से अथवा चन्द्र क्षेत्र से आरम्भ हो सकती है। जिस बिन्दु पर भाग्य रेखा मस्तिष्क रेखा का स्पर्श करे वहाँ जातक की आयु 35 वर्ष मानें, यदि मस्तिष्क रेखा सामान्य से कुछ ऊपर हो तो 37.5 , सामान्य से कुछ नीचे हो तो 32.5 मानें। जहाँ भाग्य रेखा हृदय रेखा को छुए वहाँ जातक की आयु 50 वर्ष मानें। यदि हृदय रेखा सामान्य स्थिति से बहुत ऊँची हो तो हृदय तथा भाग्य रेखा के मिलन बिन्दु को 57 वर्ष मानना चाहिए। इन दो मुख्य बातों के आधार पर भाग्य रेखा को पाँच-पाँच वर्ष के कालखण्डों में बाँटकर भाग्यफल बताया जा सकता है।

हाथ की रेखाएँ बदलती रहती हैं। अतः पॉमिस्ट जातक से उसके जीवन की कोई मुख्य घटना की तिथि जानकर उसे आयु, हृदय, मस्तिष्क और भाग्य रेखा पर चिह्न बनाकर अपनी-अपनी रीति से आयु निश्चित करते हैं। यह एक कठिन कार्य है परन्तु अभ्यास से यह कार्य सरल हो जाता है। भाग्य रेखा की आयु के अनुसार ही सूर्य रेखा की आयु निकाल सकते हैं। कुछ पश्चिमी विद्वान 7 वर्ष के कालखण्ड के अनुसार आयु रेखा निकालते हैं। वे अधिकतम आयु 98 या 91 मानते हैं।

पूरी आयु जानने के लिए अन्य विद्वान मणिबन्ध के दोनों किनारों और संकेतिका अँगुली (Index Finger) तथा कनिष्ठिका अँगुली (Little Finger) के किनारों से हथेली पर क्रॉस बनाकर पहले हथेली का केन्द्र बिन्दु ज्ञात करते हैं।  ये लेख भारत के प्रसिद्ध हस्तरेखा शास्त्री नितिन कुमार पामिस्ट द्वारा लिखा गया है अगर आप उनके दवारा लिखे सभी लेख पढ़ना चाहते है तो गूगल पर इंडियन पाम रीडिंग ब्लॉग को सर्च करें और उनके ब्लॉग पर जा कर उनके लिखे लेख पढ़ें ।  फिर उसी के आधार पर दस-दस वर्ष के 8 या 10 कालखण्ड बना लेते हैं। मेरे मित्र श्री विजय किशोर जो माने हुए ज्योतिषी हैं, ‘मस्तिष्क रेखा से ही आयु ज्ञात करते हैं।

मेरे विचार से पूरी आयु निकालने की सबसे अच्छी विधि है कि बृहस्पति, शनि, सूर्य, बुध, मंगल, चन्द्रमा के बाहरी बिन्दुओं से एक तिरछी रेखा खींचकर उसे शुक्र पर्वत को घेरने वाली पूरी जीवन रेखा से मिलाया जाये। प्रायः पूरी जीवन रेखा (आयु 100 वर्ष प्रकट करने वाली) कम होती हैं। ऐसी स्थिति में एक रेखा काल्पनिक रूप से बना लें। इसमें जीवन रेखा पर बहस्पति से आती। रेखा तक 10 वर्ष, शनि से आती रेखा तक 10 वर्ष, सर्य रेखा वाट से लेकर चन्द्र तक पन्द्रह-पन्द्रह वर्ष और अन्तिम के दस वर्ष लगायें। इस प्रकार कल आय में अनुपात के अनुसार कमी आयेगी, ज्यादा होने पर अनपात के अनसार आय बढेगी। जीवन रेखा में जिस स्थान पर 10 वर्ष का कालवार से दस भागों में जहाँ 15 वर्ष है वहाँ 15 भागों में बाँटने पर प्रत्येक व धान पता चल जायेगा। वास्तविक जीवन रेखा का अन्तिम भाग जो अँगूठे के मूल से मिलता है जितना कम होगा अर्थात् जीवन रेखा जितनी ) आयु उतनी ही मानक आयु से कम होती जायेगी।