हस्तरेखा विज्ञान विश्वकोश
हाथ में पाय जाने वाले विभिन्न और मुख्य हस्तचिन्हसबसे पहले ये कहना चाहूंगा की अगर ये पोस्ट आपको पसंद आय तो सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें।
हाथ की प्रधान रेखाओं व गौण रेखाओं के अलावा कुछ विशिष्ट हस्तचिह्न भी करतल में मौजूद होते हैं, जिनका हाथ के अध्ययन एवं विश्लेषण में बहुत महत्व है। ऐसे चिह्न करतल, अंगुलियों, मणिबन्ध रेखाओं या अंगूठे के किसी भी भाग पर उपस्थित हो सकते हैं। हस्तचिह्नों की उपस्थिति से हस्तरेखाओं की प्रकृति व ग्रह क्षेत्रों के प्रभाव आदि पर प्रभाव पड़ता है।
1. द्वीप चिह्न
द्वीप, जौ, यव या Island चिह्न की रेखाओं में उपस्थिति सदा अशुभ मानी जाती है। द्वीप चिह्न प्राय: वंशानुगत दोषों को प्रकट करते हैं। इनका प्रभाव अस्थायी होता है। द्वीप चिह्नों की उपस्थिति और प्रभाव निम्नानुसार होता है-
1. जीवन रेखा में (चित्र-807, 1)-अस्वस्थता, अस्थायी बीमारी।
2. मस्तिष्क रेखा में (चित्र-807, 2)- मानसिक बीमारी, मानसिक निर्बलता
3. भाग्य रेखा में (चित्र-807, 3)- सांसारिक विषयों में क्षति, हानि।
4. हृदय रेखा में (चित्र-807, 4)- हृदय की वंशानुगत बीमारी, आत्मिक कष्ट ।
5. सूर्य रेखा में (चित्र-807, 5)- पदनाश, कलंक, सौभाग्यनाश।
6. स्वास्थ्य रेखा में (चित्र-807, 6)- गम्भीर बीमारी।
7. अंगूठे के मूल में (चित्र-807, 7)- समृद्धि, विद्या, पुत्र-प्राप्ति।
8. अंगूठे के पहले पर्व में (चित्र-807, 8)- सुख, समृद्धि।
9. बृहस्पति क्षेत्र में (चित्र-807, 9)- आत्माभिमान, महत्वाकांक्षा में कमी।
10. शनि क्षेत्र में (चित्र-807, 10)- दुर्भाग्य ।
11. सूर्य क्षेत्र में (चित्र-807, 11)- कला की योग्यता और प्रतिभा की क्षति।
12. बुध क्षेत्र में (चित्र-807, 12)- परिवर्तनशीलता के कारण व्यापार व विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति का अभाव ।
13. मंगल क्षेत्र में (चित्र-807, 13)- निरुत्साह, डर, कायरता।
14. चन्द्र क्षेत्र में (चित्र-807, 14)- कल्पना शक्ति की क्षीणता।
15. शुक्र क्षेत्र में (चित्र-807, 15)- कामुकता का दुष्प्रभाव।
16. सहायक रेखाओं एवं गौण रेखाओं में-यदि हाथ की अन्य सहायक रेखाओं एवं गौण रेखाओं में द्वीप चिह्न उपस्थित होगा, तो उन रेखाओं के प्रभाव में कमी आयेगी। |
17. अंगुलियों के जोड़ों में भी द्वीप चिह्न देखने को मिलता है, जो शुभ फल देता है।
2. वृत्त चिह
वृत्त चिह्न बीमारी के सूचक होते हैं।
1. जीवन रेखा में (चित्र-808, 1)- अन्धापन, अखि की बीमारी।
2. मस्तिष्क रेखा में (चित्र-808, 2)- अन्धत्व, नेत्र-ज्योति का नाश।
3. हृदय रेखा में (चित्र-808,3)- आंख की बीमारी, हृदय की कमजोरी।
4. स्वास्थ्य रेखा में (चित्र-808, 4)- शिकार या वाहन चालन में ख़तरा।
5. बृहस्पति क्षेत्र में (चित्र-808, 5)- पूर्वजन्म की स्मृति।
6. शनि क्षेत्र में (चित्र-808, 6)- हृदय की बीमारी।
7. सूर्य क्षेत्र में (चित्र-808, 7)- सफलता में सहायक।
8. बुध क्षेत्र में (चित्र-808, 8)- जल एवं ज़हर से खूतरा।
9. मंगल क्षेत्र में (चित्र-808, 9)- आंख में चोट।
10. चन्द्र क्षेत्र में (चित्र-808, 10)- जल में डूबने से मृत्यु।
11 शुक्र क्षेत्र में (चित्र-808, 11)- कमजोर स्वास्थ्य।
12. तर्जनी के प्रथम पर्व में (चित्र-808, 12)- बौद्धिक योग्यता, तर्क-वितर्क करने की दक्षता।
3) क्रास चिह्न
क्रॉस चिह्न बहुत कम परिस्थितियों में शुभ फल देता है। यह कष्ट, विषमता, दुर्घटना व परिवर्तन का सूचक माना जाता है।
1. जीवन रेखा के आरम्भ में (चित्र-809, 1)- अशिष्टता, निर्लज्जता।
2. जीवन रेखा के अन्त में (चित्र-809 ,2)- बीमारी, बुढ़ापे में कष्ट, ग़रीबी।
3 भाग्य रेखा में (चित्र-809, 3)- दुर्भाग्यपूर्ण परिवर्तन।
4. मस्तिष्क रेखा में (चित्र-809, 4)- दुर्घटना।
5. दृदय रेखा में (चित्र-809, 5)- प्रेम सम्बन्धों के कारण आत्मिक कष्ट।
6 स्वास्थ्य रेखा में (चित्र-809, 6)- दुर्घटना का संकेत। |
7. बृहस्पति क्षेत्र में (चित्र-809, 7)- धार्मिकता, उच्चाकांक्षा, पद-प्राप्ति।
8. शनि क्षेत्र में (चित्र-809, 8) - दुर्भाग्य, दिव्य शक्तियों का दुरुपयोग "संतानहीनता, हत्या की प्रवृत्ति।
9. सूर्य क्षेत्र में (चित्र-809, 9)- आर्थिक संकट, सौभाग्य में कमी।
10. बुध क्षेत्र में ( चित्र-809, 10) - आर्थिक संकट, पैर में चोट , व्यापर में बाधा।
11. उच्च मंगल क्षेत्र में (चित्र-809, 11)- चोरी।
12. निम्न मंगल क्षेत्र में (चित्र-809, 12)- आत्महत्या की प्रवृत्ति।
13. चन्द्र क्षेत्र में (चित्र-809,13)- डूबने का खतरा, मधुमेह, गठिया, किडनी के रोग।
14. शुक्र क्षेत्र में (चित्र-809, 14)- सम्बन्धियों द्वारा उत्पन्न संकट, एक व्यक्ति प्रेम ।
15. अंगूठे के प्रथम पर्व में (चित्र-809, 15)- नैतिकता का अभाव।
16. तर्जनी के दूसरे पर्व में (चित्र-809, 16)- धनवान् दोस्त।
17. अनामिका के प्रथम पर्व में (चित्र-809, 17)- सतीत्व, ब्रह्मचर्य।
18. कनिष्ठिका के प्रथम पर्व में (चित्र-809, 18)- अविवाहित जीवन।
4. नक्षत्र चिह्न
नक्षेत्र चिह्न हस्तचिह्नों में अति विशिष्ट गुण वाला होता है। यह बहुत कम परिस्थितियों में अशुभ होता है। कुछ स्थानों और रेखाओ पर तो नक्षत्र चिन्ह की उपस्थिति अत्यन्त सौभाग्यशाली होती है।
1. बृहस्पति क्षेत्र में (चित्र-810, 1) ग्रह क्षेत्र के उच्चतम स्थान पर नक्षत्र चिह्न होने से जातक में उच्च प्रतिष्ठा अधिकार प्राप्त करने की महत्वाकांक्षा होती है तर्जनी के मूलस्थान या करतल के किनारे होने पर प्रभाव में कमी आती है। ऐसे लोग महत्वाकांक्षी तो होते हैं और प्रभावशाली लोगों के सम्पक में आते हैं, फिर भी महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त करने में सफल नहीं हो पाते।
2. शनि क्षेत्र में (चित्र-810, 2) शनि क्षेत्र का नक्षत्र चिह्न भयानक भवित व्यता के दास होने का सूचक है। ऐसे लोगों की सफलता अति विशिष्ट होती है, किन्तु वह भयावह होती है। विद्वानों का मत है कि शनि क्षेत्र में नक्षत्र के उपस्थित होने पर जातक भयानक रूप से भाग्य के हाथों में एक खिलौने की तरह होगा। दूसरे शब्दों में यह समझना चाहिए कि भाग्य या विधाता ने उसे किसी विशेष भूमिका को अदा करने के लिए जन्म दिया है, परन्तु उसका समस्त जीवन और कैरियर एक दुखान्त नाटक की तरह भयानक रूप से अपने अन्तिम चरणों में पहुंचेगा। वह प्रतिभाशाली होगा, राजा होगा, परन्तु समय आने पर उसका सब कुछ विस्फोटक ढंग से नष्ट हो जायेगा। यह चिह्न आत्महत्या की परिस्थिति को भी प्रकट करता है।
3. सूर्य क्षेत्र में (चित्र-810, 3) सूर्य क्षेत्र के मध्य में उपस्थित नक्षत्र चिह्न अति विशिष्ट सफलता, धन, मान-सम्मान व ख्याति का परिचायक है, किन्तु इस योग में सफलता बहुत देरी से मिलती है और तब तक बुढ़ापा आ जाता है। इसलिए जातक भौतिक वैभव ख्याति से परिपूर्ण रहता है, किन्तु उसका मन अशान्त रहता है, उसे मानसिक शान्ति नहीं मिलती। यदि अनामिका के मूल या सूर्य क्षेत्र के नीचे यह चिह्न हो, तो प्रभाव में कमी आ जाती है।
4. बुध क्षेत्र में (चित्र -810 , 4) व्यापार , विज्ञान व वाक्पटुता के क्षेत्र में अति विशिष्ट सफलता मिलती है।
5. उच्च मंगल क्षेत्र में (चित्र -810 , 5 ) धैर्य और आत्मविश्वास के द्वारा शौर्य के क्षेत्र में सफलता।
6. निम्न मंगल क्षेत्र में (चित्र -810 , 6) सैनिक जीवन में विशिष्टता और ख्याति परमवीर चक्र सेना पदक अशोक चक्र मैडल की प्राप्ति।
7. चन्द्र क्षेत्र में (चित्र-810, 7) कल्पना शक्ति के द्वारा ख्याति और धन
की प्राप्ति, आत्महत्या की प्रवृत्ति ।
8 . शुक क्षेत्र में (चित्र-810, 8) प्रेम और अनुराग के मामलों में सफलता | अपनी ग्रैम भावना के लिए दुनिया के विरोध को झेलने की क्षमता। यदि नक्षत्र शुक क्षेत्र के किनारे हो, तो जातक उन लोगों के सम्पर्क में आता है, जो अपने प्रेम के मामले में विजयी होते है । ( नितिन कुमार पामिस्ट )
9. अंगलियों की नोक में (चित्र-810, 15, 16, 17,18) अंगुलियों की नोक, अर्थात् प्रथम पर्व के ऊपरी क्षेत्र में नक्षत्र चिह्न हो, तो जातक जिस काम में हाथ लगाता है, उसी में सफलता प्राप्त होती है।
10. अंगूठे के प्रथम पर्व में (चित्र-810, 19) व्यक्ति के प्रयासों एवं दृढ़ इच्छाशक्ति के द्वारा लक्ष्य की प्राप्ति ।
11. जीवन रेखा में (चित्र-810, 9) आत्महत्या।
12. मस्तिष्क रेखा में (चित्र-810, 10) मस्तिष्क में चोट, संघात।
13. भाग्य रेखा में (चित्र-810, 11) ख़तरा, दुर्भाग्य।
14. सूर्य रेखा में (चित्र-810, 12) अप्रत्याशित सफलता, सौभाग्य वृद्धि।
15. हृदयरेखा में (चित्र-810, 14): अन्धत्व, हृदय के दौरे से अचानक मृत्यु।
16. तर्जनी अंगुली के प्रथम पर्व में (चित्र-810, 15) : यात्राएं।
17. स्वास्थ्यरेखा में (चित्र-810, 13) अप्रत्याशित सफलता, केवल एक पुत्र।
18. मध्यमा के प्रथम पर्व में (चित्र -810, 16) - दुखी जीवन।
19. मध्यमा के तीसरे पर्व में (चित्र -810, 17) - पानी में डूबने से मृत्यु।
20. अनामिका के पहले पर्व में (चित्र -810, 18) - सफलता।
21. मध्यमा के दूसरे पर्व में (चित्र -810, 20) - पागलपन की बीमारी।
22. प्रभाव रेखाओं के आरम्भ में - अचानक, दुखद स्थिति से प्रभाव की शुरुआत।
23 . प्रभाव रेखाओ के अंत में - अचानक मृत्यु या दुर्घटना के कारण प्रभाव का अंत।
5. वर्ग चिन्ह
वर्ग चिन्ह परिरक्षण और सरंक्षण का प्रतीक है ये दुर्घटनाओं एवं अतिवादी प्रवृत्तियों के दोषों से जातक की रक्षा करता है।
1. वृहस्पनेि क्षेत्र में (चित्र-811, 1) - महत्वाकांक्षा की अतिवादिता से बचाव धागिंकता, आत्मसन्नुलन।
2. शनि क्षेत्र में (चित्र-811, 2) - अन्धविश्वास से रक्षा।
3. सूर्य क्षेत्र में (चित्र-811, 3) - ख्याति की जच्चाभिलाषा पर नियन्त्रण।
4. बुध क्षेत्र में (चित्र-811, 4) - अधीरता, जल्दबाज़ी पर नियंत्रण।
5. मंगल क्षेत्र में (चित्र-811, 5) : युद्ध तथा शत्रुओं से रक्षा।
6. चंद्र क्षेत्र में (चित्र-811, 6) - अत्यधिक कल्पना शक्ति पर नियंत्रण।
7. शुक्र क्षेत्र में (चित्र-811, 7) - कामुकता पर नियंत्रण।
8. शुक्र क्षेत्र की ओर जीवन रेखा में सम्बन्ट (चित्र-811, 12) - कामुक प्रवृत्तियों के कारण उत्पन्न स्कटों से रक्षा। ,
9. मंगल के मैदान में जीवन रेखा के पास (चित्र-811, 13) : कारावास की सजा ।
10. जीवन रेखा में (चित्र-811, 8) - जीवन रक्षा, दुर्घटना में बचाव ।
11 . मस्तक रेखा (चित्र-811, 9 ) - मस्तक के बोझ चिंताओं की क्षति से जातक की रक्ष।
यदि यह चिह्न बृहस्पति क्षेत्र की ओर हो, तो जातक अपना भविष्य जानने के लिए-कि उसकी महत्वाकांक्षाएं कब और कैसे पूरी होंगी-निगूढ़ विद्याओं का अध्ययन करता है। वह ऐसी विद्याओं को आधार बनाकर यश, मान और पद प्राप्त करना चाहता है।
यदि यह चिह्न शनि क्षेत्र के नीचे या हृदय रेखा के क़रीब हो, तो जातक अन्धविश्वास में पड़कर या पैसा कमाने के लोभ से निगूढ़ विद्याओं का अध्ययन करता है। मस्तिष्क रेखा जितनी छोटी होगी, अन्धविश्वास की मात्रा भी उतनी अधिक होगी और जातक धूर्त, मायावी या ठग प्रवृत्ति का होगा। यदि रहस्यमय क्रास चन्द्र क्षेत्र की ओर हो, तो जातक लोगों की चमत्कृत कर उनका ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करने के लिए निगूढ़ विद्या सीखता है।
4. बुध क्षेत्र में (चित्र -810 , 4) व्यापार , विज्ञान व वाक्पटुता के क्षेत्र में अति विशिष्ट सफलता मिलती है।
5. उच्च मंगल क्षेत्र में (चित्र -810 , 5 ) धैर्य और आत्मविश्वास के द्वारा शौर्य के क्षेत्र में सफलता।
6. निम्न मंगल क्षेत्र में (चित्र -810 , 6) सैनिक जीवन में विशिष्टता और ख्याति परमवीर चक्र सेना पदक अशोक चक्र मैडल की प्राप्ति।
8 . शुक क्षेत्र में (चित्र-810, 8) प्रेम और अनुराग के मामलों में सफलता | अपनी ग्रैम भावना के लिए दुनिया के विरोध को झेलने की क्षमता। यदि नक्षत्र शुक क्षेत्र के किनारे हो, तो जातक उन लोगों के सम्पर्क में आता है, जो अपने प्रेम के मामले में विजयी होते है । ( नितिन कुमार पामिस्ट )
9. अंगलियों की नोक में (चित्र-810, 15, 16, 17,18) अंगुलियों की नोक, अर्थात् प्रथम पर्व के ऊपरी क्षेत्र में नक्षत्र चिह्न हो, तो जातक जिस काम में हाथ लगाता है, उसी में सफलता प्राप्त होती है।
10. अंगूठे के प्रथम पर्व में (चित्र-810, 19) व्यक्ति के प्रयासों एवं दृढ़ इच्छाशक्ति के द्वारा लक्ष्य की प्राप्ति ।
11. जीवन रेखा में (चित्र-810, 9) आत्महत्या।
12. मस्तिष्क रेखा में (चित्र-810, 10) मस्तिष्क में चोट, संघात।
13. भाग्य रेखा में (चित्र-810, 11) ख़तरा, दुर्भाग्य।
14. सूर्य रेखा में (चित्र-810, 12) अप्रत्याशित सफलता, सौभाग्य वृद्धि।
15. हृदयरेखा में (चित्र-810, 14): अन्धत्व, हृदय के दौरे से अचानक मृत्यु।
16. तर्जनी अंगुली के प्रथम पर्व में (चित्र-810, 15) : यात्राएं।
17. स्वास्थ्यरेखा में (चित्र-810, 13) अप्रत्याशित सफलता, केवल एक पुत्र।
18. मध्यमा के प्रथम पर्व में (चित्र -810, 16) - दुखी जीवन।
19. मध्यमा के तीसरे पर्व में (चित्र -810, 17) - पानी में डूबने से मृत्यु।
20. अनामिका के पहले पर्व में (चित्र -810, 18) - सफलता।
21. मध्यमा के दूसरे पर्व में (चित्र -810, 20) - पागलपन की बीमारी।
22. प्रभाव रेखाओं के आरम्भ में - अचानक, दुखद स्थिति से प्रभाव की शुरुआत।
23 . प्रभाव रेखाओ के अंत में - अचानक मृत्यु या दुर्घटना के कारण प्रभाव का अंत।
5. वर्ग चिन्ह
वर्ग चिन्ह परिरक्षण और सरंक्षण का प्रतीक है ये दुर्घटनाओं एवं अतिवादी प्रवृत्तियों के दोषों से जातक की रक्षा करता है।
1. वृहस्पनेि क्षेत्र में (चित्र-811, 1) - महत्वाकांक्षा की अतिवादिता से बचाव धागिंकता, आत्मसन्नुलन।
2. शनि क्षेत्र में (चित्र-811, 2) - अन्धविश्वास से रक्षा।
3. सूर्य क्षेत्र में (चित्र-811, 3) - ख्याति की जच्चाभिलाषा पर नियन्त्रण।
4. बुध क्षेत्र में (चित्र-811, 4) - अधीरता, जल्दबाज़ी पर नियंत्रण।
5. मंगल क्षेत्र में (चित्र-811, 5) : युद्ध तथा शत्रुओं से रक्षा।
6. चंद्र क्षेत्र में (चित्र-811, 6) - अत्यधिक कल्पना शक्ति पर नियंत्रण।
7. शुक्र क्षेत्र में (चित्र-811, 7) - कामुकता पर नियंत्रण।
8. शुक्र क्षेत्र की ओर जीवन रेखा में सम्बन्ट (चित्र-811, 12) - कामुक प्रवृत्तियों के कारण उत्पन्न स्कटों से रक्षा। ,
9. मंगल के मैदान में जीवन रेखा के पास (चित्र-811, 13) : कारावास की सजा ।
10. जीवन रेखा में (चित्र-811, 8) - जीवन रक्षा, दुर्घटना में बचाव ।
11 . मस्तक रेखा (चित्र-811, 9 ) - मस्तक के बोझ चिंताओं की क्षति से जातक की रक्ष।
12. हृदय रेखा में (चित्र-811, 11): प्रेम सम्बन्धों के कारण उत्पन्न मुसीबत या आत्मिक कष्ट, हृदय रोग से रक्षा। ( नितिन कुमार पामिस्ट )
13. भाग्य रेखा में (चित्र-811, 10) : धन-हानि से रक्षा, दुर्भाग्य से बचाव।
14. सूर्य रेखा में (चित्र-811, 14) : मान-प्रतिष्ठा में हानि से रक्षा।
6. त्रिकोण चिह्न
त्रिकोण चिह्न भी वर्ग चिह्न की तरह दुर्घटनाओं, विषमताओं, मुसीबत में संरक्षण प्रदान करता है और दुष्प्रभाव को कम कर देता है। स्वतन्त्र रूप से बने हुए त्रिकोण चिह्न महत्वपूर्ण होते हैं। रेखाओं के आपस में कटने से बने त्रिकोण प्रभावहीन व बेअसर होते हैं।
1. बृहस्पति क्षेत्र में(चित्र-812-1) - संगठनशक्ति,नेतृत्वक्षमता, प्रबन्धकर्ता।
2. शनि क्षेत्र में (चित्र-812, 2) - गुप्त विद्या में सफलता।
3. सूर्य क्षेत्र में (चित्र-812,3) - कला के व्यापारिक उपयोग की क्षमता, लाभ, विचार सन्तुलन।
4. बुध क्षेत्र में (चित्र-812, 4) - अधीरता पर नियन्त्रण, व्यापारिक एवं मामला म सफलता ।
5. मंगल क्षेत्र में (चित्र-812, 5) - धैर्य, शान्तिपूर्वक मुसीबतों का सामना।
6. चन्द्र क्षेत्र में (चित्र-812, 6) : कल्पनाशक्ति का वैज्ञानिक उपयोग।
7. शुक्र क्षेत्र में (चित्र-812, 7) : कामुकता पर नैतिकता का नियन्त्रण।
7. जाल चिह्न
जाल चिह्न अधिकतर ग्रह क्षेत्रों पर पाया जाता है। इसकी उपस्थिति से ग्रह क्षेत्र के गुणों में कमी आ जाती है और उनके शुभ प्रभाव सीमित या नष्ट हो जाते हैं।
1. बृहस्पति क्षेत्र में (चित्र-813, 1) - अहम्, अभिमान, दूसरो पर प्रभुत्व रखने की प्रवृत्ति को बढ़ावा।
2. शनि क्षेत्र में (चित्र-813, 2) - उदासीनता, निराशावादिता व अन्धविश्वास ।
3. सूर्य क्षेत्र में (चित्र-813, 3) - मिथ्याभिमान, मूर्खता, नैतिक-अनैतिक उपाय से ख्याति अजित करने की ललक।
4. बुध क्षेत्र में (चित्र-813, 4) : अस्थिर स्वभाव, चालाकी से पैसा कमाने की धुन व अनैतिकता।
5. मंगल क्षेत्र में (चित्र-813, 5) - असन्तुलित विचार, शक्ति का प्रदर्शन, आक्रामक, झगड़ालू स्वभाव, कठोरता। ( नितिन कुमार पामिस्ट )
6. चन्द्र क्षेत्र में (चित्र-813, 6) - अधीरता, असन्तोष, अशान्ति, चञ्चल स्वभाव |
7. शुक्र क्षेत्र में (चित्र-813, 7) - प्रेम सम्बन्धों में अस्थिरता, चरित्रहीनता, कामुकता, बदनामी।
8. तिल चिह्न
1. जीवन रेखा में - गम्भीर बीमारी, ऑपरेशन।
2. मस्तिष्क रेखा के आरम्भ में - वैभवपूर्ण जीवन, सुखी जीवन।
3. मस्तिष्क रेखा में - सुख, समृद्धि।
4. मस्तिष्क रेखा के अन्त में - वाहन सुविधा।
5. हृदय रेखा में - असफलता, मायाजाल, छल ।
9 . बिन्दु चिह्न
बिन्दु चिह्न अस्थायी बीमारी के घातक आक्रमण का संकेत देते हैं, किन्तु टूटी-फूटी दोषयुक्त रेखाओं के बीच या अन्त में उपस्थित बिन्दु चिह्न मृत्यु का कारण बन सकता है।
1. मस्तिष्क रेखा में : चमकता हुआ लाल बिन्दु मानसिक आघात या सिर म चाट ।
2. स्वास्थ्य रेखा में : यकृत या पेट की बीमारी, ज्वर। ( नितिन कुमार पामिस्ट )
3. जीवन रेखा में : अचानक स्वास्थ्य में गिरावट।
4. हृदय रेखा में : हृदय की बीमारी, शोक।
10. धब्बा
बिन्दु चिह्नों के विस्तृत आकार से ही धब्बा निर्मित होता है। जिस प्रकार बिन्दु चिह्न अस्थायी बीमारी का संकेत देते हैं, उसी प्रकार धब्बे भी शारीरिक क्रिया में आने वाली विषमताओं की प्रकट करते हैं। इन धब्बों का रंग प्राय: काला, लाल, सफ़ेद, नीला, पीला या मटमैला होता है। धब्बों की उपस्थिति से रेखाओं की शक्ति क्षीण हो जाती है और किसी-न-किसी बीमारी का आक्रमण होता है। धब्बा जितना गहरा और विस्तृत होगा, बीमारी भी उतनी ही गम्भीर और अधिक दिनों तक चलने वाली होगी।
1. मस्तिष्क रेखा पर धब्बा : सिर में चोट या मस्तिष्क के रोग या मियादी बुखार।
2. जीवन रेखा पर धब्बा : सहसा किसी रोग का आक्रमण । ( नितिन कुमार पामिस्ट )
3. स्वास्थ्य रेखा पर धब्बा : मियादी बुखार, यकृत की खराबी, पीलिया रोग।
4. अन्य रेखाओं पर धब्बा : अन्य रेखाओं पर इस चिह्न का कोई विशेष प्रभाव नहीं पडता।
11. रहस्यमय क्रॉस (Mystique Cross)
हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा के मध्य में वृहत् चतुष्कोण के मध्य में करतल के केन्द्र स्थान में बना हुआ विस्तृत क्रास चिह्न अद्भुत गुणों वाला होता है। इस चिह्न की रचना स्वतन्त्र रूप से भी होती है और हृदय एवं मस्तिष्क रेखा से आने वाली रेखाएं भी इसे बना सकती हैं, किन्तु स्वतन्त्र रूप से बना हुआ स्पष्ट, विस्तृत व सुन्दर क्रास चिह्न अत्यन्त प्रभावी एवं शुभ होता है।
जिन लोगों के हाथों में यह क्रास चिह्न मौजूद होता है, वे निगूढ़ विद्याओं के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। ऐसे लोगों की रुचि सामान्य लोगों से हटकर होती है। वे कुछ ऐसा काम करना चाहते हैं, जिसे सर्वसामान्य कर पाने में अक्षम होता है।
यदि यह चिह्न हृदय और मस्तिष्क रेखाओं के बिलकुल बीचों-बीच हो और दोनों रेखाओं को अच्छी तरह से स्पर्श करता हो (चित्र-814), तभी प्रभावी होता है। यदि यह मस्तिष्क रेखा की ओर अधिक झुका हो, तो जातक अपनी बौद्धिक क्षमता का उपयोग निगूढ़ विद्याओं के क्षेत्र में नहीं कर पाता, क्योंकि ऐसी स्थिति में वह हृदय रेखा के प्रभाव से भावुक हो जाता है। इसके विपरीत यदि रहस्यमय क्रास का झुकाव हृदय रेखा की ओर हो, तो आत्मज्ञान की कमी और बौद्धिकता की प्रबलता से दिव्य दृष्टि या अन्तज्ञान जागृत नहीं होता, किन्तु दोनों रेखाओं के मध्य में क्रास होने से आत्मा और बुद्धि का सुन्दर सामञ्जस्य बना रहता है, जो निगूढ़ विद्याओं की प्रगति के लिए अत्यावश्यक है।
यदि यह चिह्न बृहस्पति क्षेत्र की ओर हो, तो जातक अपना भविष्य जानने के लिए-कि उसकी महत्वाकांक्षाएं कब और कैसे पूरी होंगी-निगूढ़ विद्याओं का अध्ययन करता है। वह ऐसी विद्याओं को आधार बनाकर यश, मान और पद प्राप्त करना चाहता है।
यदि यह चिह्न शनि क्षेत्र के नीचे या हृदय रेखा के क़रीब हो, तो जातक अन्धविश्वास में पड़कर या पैसा कमाने के लोभ से निगूढ़ विद्याओं का अध्ययन करता है। मस्तिष्क रेखा जितनी छोटी होगी, अन्धविश्वास की मात्रा भी उतनी अधिक होगी और जातक धूर्त, मायावी या ठग प्रवृत्ति का होगा। यदि रहस्यमय क्रास चन्द्र क्षेत्र की ओर हो, तो जातक लोगों की चमत्कृत कर उनका ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करने के लिए निगूढ़ विद्या सीखता है।