दोहरी जीवन रेखा
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ऐसी जीवन रेखा सन्तान उत्पति में बाधक होती है। दोनों जीवन रेखाएं मिलकर यदि एक बड़ा द्वीप बनाती हैं तो स्वयं या कोई रिश्तेदार हवाई दुर्घटना से बचता है। दोनों हाथों में ऐसा हो तो यह स्वयं के साथ घटित होती है। यदि जीवन रेखा अन्त में दोनों और से दोहरी हो तो व्यक्ति की किसी से व्यापार में सहयोग मिलता है या ऐसे व्यक्ति किसी दूसरे के आश्रित रहकर पलते हैं। अन्त में ऐसे व्यक्ति बहुत धनी हो जाते हैं तथा दूसरे के ही द्वारा बढ़ते हैं। दोहरी जीवन रेखा वाले व्यक्ति विवाह के बाद तरक्की करते हैं।
यदि इनकी भाग्य रेखा मस्तिष्क रेखा पर रूकी हो तो यह कई बार विदेश यात्रा भी करते हैं, नहीं तो विदेश यात्रा का फल इनकी सन्तान को होता है। दो से अधिक जीवन रेखा होने पर व्यक्ति सफल तो अधिक होता है, लेकिन उसके जीवन में अधिक अड़चनें और खतरे आते हैं। दो जीवन रेखाओं में से एक यदि बृहस्पति व एक मंगल से निकले तो व्यक्ति दो स्वभाव का पाया जाता है, जैसे क्रोधी एवं स्वाभिमानी, लेकिन प्राय: देखने में आता है, ये बहुत चालाक होते हैं। दोहरी जीवन रेखा वाले व्यक्ति कुलीन होते हैं व जीवन भर अपने कुल की मर्यादा को आंच नहीं आने देते हैं। तीन जीवन रेखाएं होने पर स्वाजातीय प्रतिष्ठित वश में पैदा होते हैं। बात अधिक करते हैं तथा क्रोधी प्रकृति के होते हैं। दोहरी जीवन रेखा वाले व्यक्ति स्वास्थ्य की अधिक परवाह करते देखे जाते हैं। इसी कारण यह अधिक वासना पसन्द करते हैं। जीवन रेखा और हृदय रेखा दोनों ही दोहरी हों तो व्यक्ति को जीवन साथी से अधिक प्रेम होता है और इनका जीवन साथी सुन्दर होता है।
स्वयं का स्वभाव बहुत क्रोधी व जीवन साथी सीधा और मलीन और मेहनती होता है। ऐसे व्यक्ति अपने जीवन साथी को देवता के समान मानते हैं और उसके बिना एक दिन भी नहीं रह सकते। उसकी मृत्यु के बाद यह बहुत जल्दी ही मर जाते हैं। यदि जीवन रेखा में किसी प्रकार का दोष नहीं है तो बच्चे बिल्कुल भी लापरवाह नहीं होते। इनके किसी बच्चे के दांत पर दांत है। दांत पर दांत होना भाग्यशाली होने का चिन्ह माना जाता है। ऐसे बच्चे इस तरह उन्नति करते हैं कि परिवार में इनका नाम होता है। इनमें किसी प्रकार की गन्दी आदत नहीं होती। दोहरी जीवन रेखा वाले व्यक्तियों के एक से अधिक आय के साधन पाये जाते हैं। दोनों जीवन रेखाओं में से यदि किसी एक जीवन रेखा में दोष हो और दूसरी जीवन रेखा में कोई दोष न हो तो स्वास्थ्य तथा घन सम्बन्धी विपत्ति आती है, लेकिन बिना किसी विशेष कष्ट दिये टल जाती है।
यदि दोनों ही जीवन रेखाएं एक ही समय में दोषपूर्ण हों तो परिस्थिति सचमुच सोचनीय होती है, साथ ही मस्तिष्क रेखा में भी इस समय में दोष होने पर गम्भीरता से सोचने की आवश्यकता होती है। उस समय व्यक्ति के ऊपर अवश्य ही बड़ी विपत्ति आती है, परन्तु दोहरी जीवन रेखा का स्वभाव खतरों से रक्षा करना है। अत: ऐसे व्यक्ति धैर्य से उस समय को काट जाते हैं। दोहरी जीवन रेखा में एक लाल या काली हो तो उस व्यक्ति को शराब की आदत होती है। ऐसा व्यक्ति शराब का अत्याधिक आदी होता है।