गुप्त विद्या रेखा ( रिंग ऑफ़ सोलोमन )
हाथ में गुप्त विद्या रेखा का बहुत बड़ा महत्व है। सामुद्रिक शास्त्र में गुप्त विद्या का बहुत विस्तार से बताया गया है।
हाथ में विवाह रेखा कहाँ और किस लिए होती है - विवाह रेखा ( मैरिज लाइन )
सबसे पहले ये जान लीजिये की गुप्त विद्या रेखा को और किस किस नाम से जाना जाता है।
गुप्त विद्या रेखा को जुपिटर रिंग, सन्यासी रेखा, आध्यात्म रेखा, ज्ञान रेखा, दीक्षा रेखा, गुरु मुद्रिका, गुरु रेखा, गुरु वलय , बृहस्पति रेखा, और अंग्रेजी में सोलोमन रिंग से जाना जाता है।
अब नाम जानने के बाद आप समझ ही गए होंगे की इस रेखा का क्या कार्य है। जैसा की नाम से ही पता लग रहा है की ये रेखा व्यक्ति को गुप्त विद्याओ की और आकर्षित करती है और ऐसा व्यक्ति गुप्त विद्याओ और गुप्त कलाओ का महारथी होता है।
पहले ये जान लेते है की गुप्त रेखा हाथ में कहा होती है और कैसी होती है। गुप्त विद्या रेखा एक अर्धचन्द्राकार रेखा होती है जो की गुरु पर्वत यानि गुरु की ऊँगली यानि तर्जनी ऊँगली के नीचे स्थित होती है। गुरु पर्वत या तर्जनी को घेरते हुए अर्धचन्द्राकार रेखा को गुप्त विद्या रेखा कहा जाता है। आप चित्र के माध्यम से भी समझ सकते है। ऊपर शुरुआत में चित्र दिया हुआ है जिस से आप देख सकते है की यथार्थ में गुरु मुद्रिका कैसी होती है।
जिस व्यक्ति के हाथ में गुरु रेखा होती है वह व्यक्ति समाज में विशेष दर्जा रखता है लेकिन शर्त यह की वह दूषित न हो वर्ना अपयश का कारण बन जाती है।
गुरु मुद्रिका होने पर व्यक्ति महापंडित, ज्ञाता , ज्योतिषी, तांत्रिक, गणितज्ञ, और पंहुचा हुआ संत महात्मा होता है।
ऐसे व्यक्ति कम उम्र में ही सन्यास ले लेते है या फिर उनका रुझान गुप्त विद्या और ईश्वर की तलाश में बढ़ने लगता है।
जैसा हम सबको मालूम है गुरु ज्ञान का कारक है तो ऐसे में व्यक्ति के पास ज्ञान की कोई कमी नहीं होती है।
गुप्त विद्या रेखा में दोष भी होते है जैसे यदि गुरु रेखा टूटी हुई है तो व्यक्ति को अवसाद यानि डिप्रेशन हो जाता है जिसकी वजह घेरलू यानि पारिवारिक होती है।
यदि गुरु मुद्रिका खड़ी रेखाओ से कटी है तो व्यक्ति को सफलता नहीं मिलती है उसका कारण भी पारिवारिक समस्या और झगड़ा होता है।
दोहरी गुरु रेखा वाला व्यक्ति जीवन में अप्रत्याशित सफलता प्राप्त करता है लेकिन वह सफलता व्यापार में करता है लेकिन अपने दिमाग से सफलता हासिल करता है।
ऐसे व्यक्ति अपने गुरु से दीक्षा जरूर लेते है इसलिए ही इस रेखा को दीक्षा रेखा भी कहा जाता है। एक से ज्यादा दीक्षा रेखा होने पर एक से ज्यादा गुरु से दीक्षा मिलती है।
यदि गुरु रेखा को हृद्य रेखा काट दे तो ये बहुत अशुभ फल देने वाला योग बनता है ऐसे में व्यक्ति दुराचार की भावना आ जाती है और ऐसा व्यक्ति व्यभाचारी बन जाता है। ऐसे व्यक्ति को सरकार से दंड भी मिलता है।
इंग्लिश में "रिंग ऑफ़ सोलोमान" के बारें में पढ़ने के लिए इस पोस्ट को पढ़ें -
What is meaning of Ring of Solomon Line On Hand
नितिन कुमार पामिस्ट