Hand Lakeer Se Bimari Dekhna In Hindi


Hand Lakeer Se Bimari Dekhna In Hindi

हस्तरेखा और बीमारिया 

हस्तरेखा शास्त्र (Hast Rekha Shastra) मानव के सम्पूर्ण स्वभाव के साथ आन्तरिक व बाहरी शारीरिक क्षमताओं और स्वास्थ्य की भी जानकारी देने में मददगार होता है।

आज मनुष्य अनेकों रोगों से ग्रसित है भयभीत है उसे हमेशा यह भय व्याप्त रहता है कि कहीं मुझे अमुक रोग न हो जाए। उस परिस्थिति में व्यक्ति अपने हाथ के द्वारा होने वाले रोगों की पूर्व जानकारी प्राप्त कर सकता है।

प्रस्तुत लेख हस्तरेखा ज्ञान पर आधारित है इसका अध्ययन करने के पहले निम्न अंगो पर भी ध्यान देना आवश्यक होगा।

1.  केवल एक चिन्ह लक्षण को देखकर अमुक रोग हो जाएगा ऐसा निर्णय करना हमेशा उचित नहीं रहता है।
2.  यहाँ दिए गए लक्षणों को अच्छी तरह से परखने के बाद ही निर्णय लेना उचित होगा।
3. विशेष परिस्थिति में अच्छे ज्योतिर्विद के द्वारा अवश्य सलाह लें। (Nitin Kumar Palmist)

शारीरिक दुर्बलता-

1. यदि नाखून पतले हों तथा जीवन रेखा फीकी हो साथ ही वह जंजीरदार होकर नीचे की ओर झुकी हुई हो।

2. ज्यादातर कोमल हाथ दुर्बलता का सूचक होता है।

3, शनि पर्वत पर अधिक गहरापन आन्तरिक व्यक्तियों को क्षीण करता है। यदि इसके साथ ही सूर्य पर्वत शनि पर्वत की ओर झुका हो तो मेहनती नहीं बनने देता है।

4, हाथ के मध्य में अधिक गहराई हो, हाथ वर्गाकार हो, शनि पर्वत दबा हो, गुरु पर्वत अधिक उठा हो तो शारीरिक स्थूलता होती है। आन्तरिकरूप से शरीर कमजोर होता है। सूर्य पर्वत पर दोष होने पर शरीर  जल्दी थक जाता है।

बचपन में दुर्बलता-

यदि गुरु रेखा बहुत अधिक मोटी हो और गुरु पर्वत के नीचे जंजीरदार हो गई हो।

वंशानुगत रोग-

वंशानुगत रोगों में गुरु व सूर्य का सम्बन्ध अधिक पाया जाता है। गुरु पूर्वजों का कारक होता है यदि इस पक्ष पर जन्मकुण्डली की सहायता ली जाए तो इस पक्ष में स्पष्ट  जानकारी मिल जाती है। गुरु को ही मधुमेह रोग का कारक माना जाता है।

1. जीवनरेखा के आरम्भ स्थल पर ही द्वीप का चिन्ह हो तो वंशानुगत रोग होते हैं।

2. गुरु पर्वत के दूषित होने पर भी वंशानुगत रोग होते हैं।

3. सूर्य पर्वत पर अशुभ चिन्ह वंशानुगत रोग कारक होते हैं।

4. मस्तिक रेखा द्वीप से प्रारम्भ हो।