अपनी मस्तिष्क रेखा से जाने की आपके धनी बनने की कितनी संभावना है ? हस्तरेखा विज्ञान

अपनी मस्तिष्क रेखा से जाने की आपके धनी बनने की कितनी संभावना है ? हस्तरेखा विज्ञान

अपनी मस्तिष्क रेखा से जाने की आपके अमीर बनने की कितनी संभावना है ? हस्तरेखा शास्त्र 

मस्तिष्क रेखा और धन : मस्तिष्क रेखा का हथेली में बहुत महत्त्व होता है। क्योंकि जीवन में प्रतिष्ठा, मान-सम्मान, उन्नति बुद्धि के द्वारा ही प्राप्त होती है। हथेली में मस्तिष्क रेखा का स्पष्ट एवं सृदृढ़ होना सफलता के लिए आवश्यक है। मस्तिष्क रेखा पर अशुभ प्रभाव व्यक्ति का जीवन संघर्षपूर्ण एवं असफल बनाता है। इस रेखा को हैड लाइन, प्रज्ञा रेखा या मातृ रेखा कहते हैं। यह रेखा हृदय रेखा के लगभग समानांतर सी चलती है। यह तर्जनी अंगुली एव अंगुष्ठ के मध्य भाग से प्रारम्भ होकर हथेली के मध्य भाग की ओर आती दिखाई देती है।

हस्तरेखा ज्ञान के अनुसार यदि व्यक्ति के हाथ में तीनों मुख्य रेखा बहुत अच्छी है और निर्दोष ये तो व्यक्ति अपने पराकर्म, कौशल और विवेक से धन अर्जित करता है । इस में भी मस्तक रेखा को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है । 
मस्तक रेखा यदि निर्दोष है तो व्यक्ति विलासितापूर्ण जीवन व्यतीत करता है ।   

मस्तिष्क रेखा और धन का व्यय 

- यदि यह रेखा जीवन रेखा के प्रारंभ स्थान से जीवन रेखा को काटती हुई हथेली के दूसरे छोर तक पहुँच जाए तो व्यक्ति जोश, जुनून, क्रोध व दुर्घटना वश धन का व्यय करता है।

- मस्तिष्क रेखा जीवन रेखा के प्रारम्भ स्थान से निकलकर हथेली के मध्य तक पहुँचती है, तो व्यक्ति को उचित समय पर उचित निर्णय लेने के कारण जीवन में धन व सफलता प्राप्त होती है।

- मस्तिष्क रेखा जीवन रेखा के आरंभ से निकलकर हथेली को दो भागों में बाँटती हुई हथेली के दूसरे छोर पर पहुँच जाती है, तो धन व भौतिक दृष्टि से सफलता प्राप्त होती है।

- यदि मस्तिष्क रेखा बीच में हृदय रेखा की ओर झुककर, फिर उससे दूर होती हुई, हथेली के दूसरे छोर तक चली गई हो तो आत्मशक्ति तथा तीव्र बुद्धि दोनों ही अधिक हैं व इसी सें आप धन का अर्जन करेंगे।

- मस्तिष्क रेखा से कोई रेखा गुरु पर्वत की ओर जाए तो व्यक्ति बुद्धिमानी, दूरदर्शी व योजनाबद्ध तरीके से कार्यो को करके धन व सफलता प्राप्त करता है।

- मस्तिष्क रेखा का झुकाव शनि पर्वत की ओर हो तो दार्शनिकता उत्पन्न करके धन के मोह से विमुख करता है।

- मस्तिष्क रेखा सूर्य पर्वत की ओर बढ़े तो यश, सम्मान, धन व उच्च पद की प्राप्ति होती है।

- मस्तिष्क रेखा के साथ-साथ अन्य रेखा भी चले तो वह व्यक्ति को धनी व भाग्यवान बनाती है।

- यदि मस्तिष्क रेखा बीच से टूटी हो तो व्यक्ति अंसतुलित विचारों व द्वंद्व वश एवं दूषित हो तो निर्णय क्षमता की कमी, दूसरों की सलाह पर चलने, अस्थिरता, मन में बात न रखनें व जिगर व स्नायु रोगों में धन का व्यय करता है। 
 
- मस्तिष्क रेखा यदि चन्द्र पर्वत की ओर झुके तो व्यक्ति भावुक एवं कल्पनाप्रिय होकर इसी में धन व्यय व इसी से धन का अर्जन करता है। सूर्य पर्वत की नीचे मस्तिष्क रेखा टूट जाए तो नौकरी में अपयश एवं परेशानियों वश धन का व्यय होता है।

- मस्तिष्क रेखा पर सफेद बिन्दु धन व सफलतादायक, काले बिन्दु कुत्सित विचारधारा के कारण अनावश्यक कार्यों में धन व्यय करता है। नीला धब्बा अनैतिक, अपराधिक प्रवृत्तिवश अदालतों व पुलिस में धन व्यय करता है।

- मस्तिष्क रेखा पर क्रॉस हो, नक्षत्र का चिह्न हो तो सर चोट या सिर संबंधित रोग एवं दुर्घटना में धन का व्यय करता है।

- यदि अंगूठा छोटा हो और मस्तिष्क रेखा अस्पष्ट हो तो व्यक्ति मूर्खतावश धन का व्यय करता है।

- यदि मस्तिष्क रेखा चंद्र पर्वत की ओर झुककर मणिबन्ध को छू ले तो व्यक्ति भावुकता वश गलत कदम उठाकर धन का व्यय करता है। यदि कुछ दूर जाकर मस्तिष्क रेखा वापस मुड़ जाए तो ऐसे व्यक्ति का प्रेम असफल अंगूठे के पास से चले तो आयु की चिंता शुक्र की ओर मुड़ जाए तो कायरता में धन का व्यय करता है।

- यदि मस्तिष्क रेखा लम्बी, गहरी और स्पष्ट है तो पैनी बुद्धि तथा क्रियाशीलता वश व यदि कुछ धूमिल सी दिखाई पड़े तो दिमाग की अपेक्षा शारीरिक परिश्रम अधिक करते हैं, दिमाग पर जोर नहीं डालते, इसमें धन का अर्जन करता है। लहरदार हो तो अस्थिर स्वभाववश धन का व्यय करता है। 

- यदि इसके प्रारंभ में द्वीप का चिह्न हो तो आनुवांशिक कारणों से मस्तिष्क या फेफड़ों से संबंधित, मध्यभाग में द्वीप चिह्न हो तो सिर दर्द, स्नायविक दुर्बलता तथा गठिया से संबंधित रोग में धन का व्यय होता है। यदि मस्तिष्क रेखा पर कहीं भी चतुष्कोण का चिह्न हो तो अपनी बुद्धि से किसी विपत्ति से स्वयं की रक्षा करने व इसी से धन का अर्जन व इसी में धन का व्यय करता है।
 
- यदि मस्तिष्क रेखा को कोई रेखा काटे तो सिर संबंधित रोगों, उतावलेपन व मातृकष्ट में, पास में बारीक रेखा हो तो निर्णय क्षमता के अभाव में, बारीक रेखाएँ हृदय में जाये तो दूसरों से प्रभावित व लगाव नहीं होता, शुक्र प्रभाविक रेखा काटे तो गृहस्थी के झमेलों में व टुकड़े-टुकड़े जैसी हो तो अहंवृति में धन का व्यय करता है।

- यदि मस्तिष्क रेखा हृदय रेखा के पास आए तो स्वार्थ, इच्छाओं के अध तीन मन पर नियंत्रण खोने, अहंकार के कारण हृदय रेखा से दूर हो तो परोपकार व दूसरों की बातों में आकर व शनि पर्वत के नीचे हृदय रेखा से दूर जाए तो अध्यात्मवश, हृदय रेखा से मिले तो पत्नी से कष्ट के कारण, हृदय रेखा को छुए तो प्रेम में बदनामी के कारण, हृदय रेखा को काटे तो विश्वासघात के कारण, छोटी रेखा वहम के कारण धन का व्यय करता है।

- यदि मस्तिष्क रेखा व हृदय रेखा एक ही हो तो भावना शून्य होगा। 

- यदि मस्तिष्क रेखा का झुकाव गुरु की ओर हो तो साहित्य, शनि की ओर हो तो दार्शनिक, परंतु क्रॉस हो तो मानसिक रोगी, सूर्य की ओर हो तो उच्चपद, बुध की ओर हो तो व्यापारी व व्यवस्थित तरीके से कार्य करने वाना, मंगल तक हो तो परेशान व असफलता, चंद्र तक जाए तो जल यात्रा, गुप्तविद्या, तंत्र व कला में ही धन का अर्जन व्यय करता है व इसमें ही धन का व्यय करता है।

- यदि मस्तिष्क रेखा गुरु के नीचे टूटे तो बचपन में चोट के कारण, शनि के नीचे टूटे सर के रोग या शस्त्र से आघात, सूर्य के नीचे टूटे तो नौकरी में अपयश या पशुभय, बुध के नीचे टूटे तो उन्माद या हानी के कारण धन व्यय करता है ।