मस्तिष्क रेखा (The Line of Head)
मस्तिष्क रेखा को Mental Line, Head Line, मस्तक रेखा, मातृ रेखा, शीर्ष रेखा, विभव रेखा, धन रेखा, द्रव्य रेखा या व्याघ्र विलास लीला रेखा आदि नामों से जाना जाता है।
हस्तरेखा विज्ञान के भारतीय विचारक मस्तिष्क रेखा को 'मातृ रेखा' कहते हैं और इसके द्वारा मातृ पक्ष की परिस्थितियों का विचार करते हैं। आधुनिक अनुसन्धानों और प्रयोगों से यह सिद्ध हो चुका है कि मस्तिष्क रेखा का सम्बन्ध व्यक्ति की मनोवृत्ति, विचारधारा, विचार पद्धति, बौद्धिक शक्ति, कल्पना शक्ति. विवेक एवं युक्तिसंगतता आदि से है।
मनुष्य के शरीर में ही नहीं, बल्कि समस्त चेतन प्राणियों के शरीर में मस्तिष्क की रचना और उसकी कार्यविधि अति विलक्षण होती है। मानव अपनी विकसित मानसिक क्षमताओं के कारण ही समस्त प्राणियों में विशिष्ट स्तर का है। यदि किसी भी व्यक्ति की जीवन-पद्धति का अध्ययन किया जाये, तो पता चलता है कि व्यक्ति अपनी मानसिक परिसीमाओं के इर्द-गिर्द लटू की तरह घूमता है। वह जो कुछ भी करता है, सब बुद्धि के आन्तरिक आदेशों के अन्तर्गत ही करता है। पलक उठाना, हाथ चलाना, भोजन करना, दुःख-सुख की अनुभूति करना, उठना-बैठना सभी कुछ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष बौद्धिक आदेशों की ही परिणति है। इस सम्पूर्ण मानवीय काया को संचालित करने की जिम्मेदारी मस्तिष्क की है।
सारांशतः मानव शरीर की क्रियाविधियों में मस्तिष्क की भूमिका सर्वप्रमुख है। इसलिए जटिल मानसिक गतिविधियों के प्रभाव से मस्तिष्क रेखा का स्वरूप एक समान न होकर विविधतापूर्ण होता है। मस्तिष्क रेखा मन, बुद्धि और आत्मा के विचारों का प्रतिनिधित्व करती है। मन, बुद्धि और आत्मा ही अति परिवर्तनशीलता, जटिलता व विलक्षणता जैसे गुणों के पर्याय हैं। इनकी गतिविधियां सभी व्यक्तियों में अलग-अलग प्रकार की होती हैं, जिसके फलस्वरूप मस्तिष्क रेखा मनुष्य के हाथ में पायी जाने वाली अन्य रेखाओं की अपेक्षा सर्वाधिक परिवर्तनशील व अनियन्त्रित लक्षणों से युक्त देखने को मिलती है।
मस्तिष्क रेखा और वर्गाकार हाथ : वर्गाकार हाथ में युक्तिसंगतता, व्यवस्था तथा विज्ञान के प्रति रुचि आदि विशेष गुण होते हैं। इसलिए वर्गाकार हाथों में स्वाभाविक, सीधी और लम्बी मस्तिष्क रेखा होती है। यदि इन हाथों में मस्तिष्क रेखा का झुकाव चन्द्र क्षेत्र की ओर हो, तो जातक की कल्पना शक्ति में वृद्धि होगी, किन्तु वह कोरी कल्पना में न डूबकर कल्पना को व्यावहारिकता का स्वरूप प्रदान करने के लिए प्रयत्नशील रहेगा।
मस्तिष्क रेखा और निम्न श्रेणी का हाथ : निम्न श्रेणी के हाथों में मस्तिष्क रेखा प्रायः अविकसित रहती है। अविकसित मस्तिष्क रेखा अज्ञानतापूर्ण, पाशविक प्रवृत्तियों की परिचायक होती है। यही कारण है कि आदिम जाति के लोग, जो क्रूर, अज्ञानी व अन्धविश्वासी प्रवृत्ति के होते हैं, उनके मन में दया, करुणा व आदर्श भावना का अभाव होता है और उनके हाथ की मस्तिष्क रेखा भी अविकसित व छोटी होती है।
मस्तिष्क रेखा और चमसाकार हाथ : चमसाकार हाथ सक्रियता, आविष्कार की प्रवृत्ति, स्वतन्त्रता, आत्मनिर्भरता और मौलिकता के गुणों के परिचायक हैं। इसलिए ऐसे हाथों में लम्बी, स्पष्ट व कुछ झुकावदार मस्तिष्क रेखा पायी जाती है। यदि चमसाकार हाथों में मस्तिष्क रेखा का झुकाव अधिक हो, तो हाथ के गुणों में द्विगुणित वृद्धि होती है। इस प्रकार के हाथों में सीधी रेखा का होना व्यावहारिकता की अतिवादी प्रवृत्ति का परिचायक है। ऐसा लक्षण शुभ नहीं माना जाता। सीधी रेखा से जातक अधीर, चिड़चिड़ा और असन्तुष्ट हो जाता है।
मस्तिष्क रेखा और दार्शनिक हाथ : दार्शनिक हाथ विचारशीलता, मनन, विश्लेषण, अध्ययन, ज्ञान व अनुसरण के प्रतीक हैं। ऐसे हाथ के जातक स्वभावतः कल्पनाशील और सनकी विचारों के होते हैं। इसलिए इनकी मस्तिष्क रेखा जीवन रेखा से जुड़ी हुई, लम्बी व झुकावदार होती है। यदि मस्तिष्क रेखा सीधी हो, तो जातक हर बात में दूसरों की आलोचना करने लगता है। उसकी विश्लेषणात्मक प्रवृत्ति इतनी अधिक तीव्र हो जाती है कि आवश्यक-अनावश्यक बिन्दुओं व विषयों पर भी वह दोषान्वेण करने से नहीं चूकता है।
मस्तिष्क रेखा और नुकीला हाथ : नुकीले प्रकार के हाथ कलाप्रियता, आदेशात्मक प्रवृत्ति, भावुकता और सांसारिकता के प्रतीक होते हैं। ऐसे हाथों में मस्तिष्क रेखा स्वाभाविक रूप से धीरे-धीरे नीचे की ओर ढलान के साथ चन्द्र क्षेत्र की ओर बढ़ती है। इसलिए जातक सौन्दर्योपासक, स्वेच्छाचारी एवं मुक्त स्वभाव का बन जाता है और उसकी रुचि आदर्शवादी विचारों में नहीं होती। वह सहज.स्वाभाविक मानवीय या प्राकृतिक आकर्षणों की ओर खिंच जाता है। यदि ऐसे हाथों में मस्तिष्क रेखा सीधी हो, तो जातक को कलात्मक व्यवसाय के क्षेत्रों में सफलता मिलती है।
मस्तिष्क रेखा और अति नुकीला हाथ : अति नुकीले हाथों वाले व्यक्ति अत्यन्त भावुक, सहज ब पवित्र विचारों के होते हैं। इसलिए ऐसे हाथों में मामि अपने स्वाभाविक रूप से बहुत अधिक झुकी हुई होती है। इस प्रकार के में सीधी मस्तिष्क रेखा बहुत कम पायी जाती है। यदि किसी व्यक्ति के दाहिन हाथ में रेखा सीधी हो, तो बायें हाथ में अवश्य झुकी हुई ढलानदार होगी। नुकीले हाथ में मस्तिष्क रेखा का सीधा होना यद्यपि असम्भव है, फिर भी यह ढलान कुछ कम हो, तो जातक की भावुकता को व्यावहारिक आधार मिलने लगता है और वह कलात्मक एवं भावात्मक क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करता है।