हस्तरेखा में मणिबंध रेखा का परिचय


मणिबन्ध

हाथ के मूल भाग में कलाई के ऊपरी भाग में मणिबन्ध होता है यह कई रेखाओं की सहायता से घुमावदार रेखा होती है।

मणिबन्ध में तीन बल होने से लम्बी आयु का पता चलता है तथा तीन से अधिक रेखायें होने से शुभ नहीं माना जाता है।

अ मणिबन्ध में अनेक खण्ड होने से व्यक्ति कंजूस होता है तथा समाज में सामान्य श्रेणी की स्थिति होती है।

ब मणिबन्ध एक रेखा की हो तो अल्पायु सम-हजयना
चाहिए।


स-  मणिबन्ध की प्रथम रेखा वलयकार और छोटे द्वीप हों तो व्यक्ति अपने पराक्रम से सफल होता है।

अ- तीन रेखाओं का मणिबन्ध हो तथा उसमें त्रिभुज हो तो बृद्धावस्था में परायी सम्पत्ति या धन मिलता है।

ब- पहला मणिबन्ध हथेली में ऊपर की ओर धनुषाÑति हो जाय तो संतान प्रतिबन्धक योग बनता है।

स- जंजीरनुमा होने से व्यक्ति मेहनती होता है।

अ- मणिबन्ध से कोई रेखा चन्दz पर्वत की ओर जाये तो व्यक्ति नौसेना या हवाई सेना में जाने का इच्छुक होता है।

ब- मणिबन्ध रक्त वर्ण की हो तथा जंजीरनुमा होने से व्यक्ति वाचाल होता है तथा आर्थिक हानि होती है।
स- मणिबन्ध अधूरी हो तथा कुछ रेखायें टूटकर शुक्र पर्वत पर जाये तो आजीविका में कुछ कठिनाई होती है।

अ- दो मणिबन्ध चौड़े और मोटे हों तो व्यक्ति को परिवार की चिंता रहती है तथा स्थान बदलने से पैसा कमा सकता है। ऐसे व्यक्ति अच्छी आय करते हैं पर स्वयं के पास कुछ नहीं होता।

ब- तीन मणिबन्ध कहीं से भी टूटे हुए न हों तो व्यक्ति किसी तकनीकी ज्ञान में दक्ष होता है। इनमें कुछ जल्दबाजी एवं दूसरे की भलाई की भावना होती है। 

स- मणिबन्ध से आयु रेखा को काटने वाली रेखा जन्म स्थान से दूर मृत्यु कराती है।

अ- मणिबन्ध की कोई रेखा बुध पर्वत तक जाने से अनायास धन प्राप्ति होती है।

ब-  मणिबन्ध से निकल कर कोई रेखा सूर्य स्थान तक जाने से व्यक्ति को दूसरे की मदद से
लक्ष्मी प्राप्त होती है तथा सुखी रहता है।



सौजन्य  - सरल हस्तरेखा पुस्तक 

Hastrekha Vigyan Aur Kartal