Yatra Rekha - Hath Mein Videsh Jane Ka Yog | Hastr Rekha


हस्तरेखा में यात्रा  रेखा  का परिचय


Yatra Rekha - Hath Mein Videsh Jane Ka Yog | Hasta Rekha


चन्द्र पर्वत पर आड़ी एवं खड़ी रेखा दोनों से यात्रा का विचार किया जाता है तथा जीवन रेखा से निकलकर चन्द्र पर्वत पर पहुंचती रेखाएं या हथेली के पाश्र्व से चन्द्र पर आती हुई रेखाएं यात्रा रेखा कहलाती है। मणिबन्ध से उठकर चन्द्र पर पहुंचने वाली रेखायें भी यात्राओं के बारे में ज्ञान दर्शाती हैं। यात्रा रेखाओं की शक्ति पर्वत की प्रधानता के अनुसार निश्चित की जाती है।

1.अ. अगर जीवन रेखा द्विमार्गी होकर एक शाखा चन्द्र पर पहुंचे तो मनुष्य जीवन पथ पर सदा अस्थिर होता है तथा कई यात्रायें जीवन में करता है।

1.ब. जीवन रेखा स्वतः घूमकर चन्द्र पर जा पहुंचे तब मनुष्य लम्बी यात्रायें करता है। उसका अन्त भी मातृभूमि से अन्यत्र ही होता है।

2.अ. यात्रा रेखाओं पर क्रास, द्वीप, शाखा, विंदु आदि होने से यात्राओं में विघ्न बाधाएं एवं दुर्घटनादि होती है।




2.ब. चन्द्र पर्वत से आरम्भ होकर मस्तक रेखा तक जानेवाली रेखा से यात्रा के कारण सिर में चोट पहुंचती है।

3.अ. चन्द्र पर्वत से चलकर भाग्य रेखा को काटती हुई ऊपर की ओर जीवन रेखा में जाकर मिले तो जातक विश्व भर का भ्रमण करता हैं।






3.ब. हथेली के नीचे से आती हुई यात्रा रेखा जीवन रेखा की ओर जाते समय मध्य में क्रास चिह्न पर समाप्त हो जाय तो व्यक्ति को पानी की यात्रा से दुर्घटना आदि होने की आशंका होती है।










4.अ. कोई भी रेखा शनि पर्वत से आकर जहां पर आयु रेखा को काटती है उस समय यात्रा से दुर्घटना की आशंका होती है।

4.ब. अगर यात्रा रेखा जाकर हृदय रेखा से मिल जाय तो यात्रा में प्रेम अथवा विवाह हो जाता है।

5.अ. अगर यात्रा रेखा मस्तिष्क रेखा से मिल जाय तो यात्रा में कोई व्यापारिक सम-हजयौता होगा।






5.ब. चन्द्र पर्वत से चलकर सही मार्ग से हटकर नीचे की ओर आयु रेखा में जाकर मिले तो यात्रा में दुर्घटना होती है।

5.स. मणिबन्ध से मंगल पर्वत की ओर जाने वाली रेखा समुद्र यात्रा का संकेत देती है, यदि क्षितिज पर कट जाय तो छोटी यात्रायें नाव आदि से होती है।




सौजन्य  - सरल हस्तरेखा पुस्तक 
Yatra Rekha - Hath Mein Videsh Jane Ka Yog | Hastr Rekha
Hastrekha Vigyan Aur Yatra Rekha