1.ब. जीवन रेखा स्वतः घूमकर चन्द्र पर जा पहुंचे तब मनुष्य लम्बी यात्रायें करता है। उसका अन्त भी मातृभूमि से अन्यत्र ही होता है।
3.अ. चन्द्र पर्वत से चलकर भाग्य रेखा को काटती हुई ऊपर की ओर जीवन रेखा में जाकर मिले तो जातक विश्व भर का भ्रमण करता हैं।
4.ब. अगर यात्रा रेखा जाकर हृदय रेखा से मिल जाय तो यात्रा में प्रेम अथवा विवाह हो जाता है।
5.अ. अगर यात्रा रेखा मस्तिष्क रेखा से मिल जाय तो यात्रा में कोई व्यापारिक सम-हजयौता होगा।
5.स. मणिबन्ध से मंगल पर्वत की ओर जाने वाली रेखा समुद्र यात्रा का संकेत देती है, यदि क्षितिज पर कट जाय तो छोटी यात्रायें नाव आदि से होती है।







