श्वेत प्रदर या ल्यूकोरिआ या लिकोरिआ (Leukorrhea/Lukoria) या "सफेद पानी आना"


लिकोरिया व उसका समाधान

योनि मार्ग से सफेद, चिपचिपा गाढ़ा स्राव होना आज मध्य उम्र की महिलाओं की एक सामान्य समस्या हो गई है। सामान्य भाषा में इसे सफेद पानी जाना कहते हैं. भारतीय महिलाओं में यह आम समस्या प्रायः बिना चिकित्सा के ही रह जाती है। सबसे बुरी बात यह है कि इसे महिलाएँ अत्यंत सामान्य रूप से लेकर ध्यान नहीं देती, छुपा लेती हैं श्वेत प्रदर में योनि की दीवारों से या गर्भाशय ग्रीवा से श्लेष्मा का स्राव होता है, जिसकी मात्रा, स्थिति और समयावधि अलग-अलग स्त्रियों में अलग-अलग होती है। यदि स्राव ज्यादा मात्रा में, पीला, हरा, नीला हो, खुजली पैदा करने वाला हो तो स्थिति असामान्य मानी जाएगी। इससे शरीर कमजोर होता है और कमजोरी से श्वेत प्रदर बढ़ता है। इसके प्रभाव से हाथ-पैरों में दर्द, कमर में दर्द, पिंडलियों में खिंचाव, शरीर भारी रहना, चिड़चिड़ापन रहता है। इस रोग में स्त्री के योनि मार्ग से सफेद, चिपचिपा, गाढ़ा, बदबूदार स्राव होता है, इसे वेजाइनल डिस्चार्ज कहते हैं। (http://indianpalmreading.blogspot.com)

श्वेत प्रदर या ल्यूकोरिआ या लिकोरिआ (Leukorrhea) या “सफेद पानी आना” स्त्रिओं का एक रोग है जिसमें स्त्री-योनि से असामान्य मात्रा में सफेद रंग का गाढा और बदबूदार पानी निकलता है और जिसके कारण वे बहुत क्षीण तथा दुर्बल हो जाती है। महिलाओं में श्वेत प्रदर रोग आम बात है। ये गुप्तांगों से पानी जैसा बहने वाला स्त्राव होता है। यह खुद कोई रोग नहीं होता परंतु अन्य कई रोगों के कारण होता है। श्वेत प्रदर वास्तव में एक बीमारी नहीं है बल्कि किसी अन्य योनिगत या गर्भाशयगत व्याधि का लक्षण है; या सामान्यतः प्रजनन अंगों में सूजन का बोधक है।  (Nitin Kumar Palmist)

असामान्य योनि स्राव के कारण एवं लक्षण 



असामान्य योनि स्राव के ये कारण हो सकते हैं- (1) योन सम्बन्धों से होने वाला संक्रमण (2) जिनके शरीर की रोधक्षमता कमजोर होती है या जिन्हें मधुमेह का रोग होता है उनकी योनि में सामान्यतः फंगल यीस्ट नामक संक्रामक रोग हो सकता है। (http://indianpalmreading.blogspot.com)

ग्रीवा से उत्पन्न श्लेष्मा (म्युकस) का बहाव योनिक स्राव कहलाता है। अगर स्राव का रंग, गन्ध या गाढ़ापन असामान्य हो अथवा मात्रा बहुत अधिक हो जाती है तो यह समस्या लिकोरिया होती है । योनिक स्राव (Vaginal discharge) सामान्य प्रक्रिया है जो कि मासिक चक्र के अनुरूप परिवर्तित होती रहती है. दरअसल यह स्राव योनि को स्वच्छ तथा स्निग्ध रखने की प्राकृतिक प्रक्रिया है वहीं अण्डोत्सर्ग के दौरान यह स्राव इसलिये बढ़ जाता है ताकि अण्डाणु आसानी से तैर सके. अण्डोत्सर्ग के पहले काफी मात्रा में श्लेष्मा (mucous) बनता है. यह सफेद रंग का चिपचिपा पदार्थ होता है. लेकिन कई परिस्थितियों में जब इसका रंग बदल जाता है तथा इससे बुरी गंध आने लगती है तो यह रोग के लक्षण का रूप ले लेता है.  (Nitin Kumar Palmist)

अत्यधिक उपवास, उत्तेजक कल्पनाएं, अश्लील वार्तालाप, सम्भोग में उल्टे आसनो का प्रयोग करना, सम्भोग काल में अत्यधिक घर्षण युक्त आघात, रोगग्रस्त पुरुष के साथ सहवास, सहवास के बाद योनि को स्वच्छ जल से न धोना व वैसे ही गन्दे बने रहना आदि इस रोग के प्रमुख कारण बनते हैं। बार-बार गर्भपात कराना भी सफेद पानी का एक प्रमुख कारण है।

  • ऐसी हालत में स्त्री को कमर-पेट-पेडू व जांघो का दर्द होने लगता है
  • चक्कर आना
  • आँखो के सामने अंधेरा आना
  • भूख न लगना  (Nitin Kumar Palmist)
  • थकावट महसूस होना 
  • कमजोरी व काम में मन न लगना आदि  (http://indianpalmreading.blogspot.com)
  • कष्टपूर्ण शिकायतें बन जाती हैं जिससे धीरे-धीरे जवान स्त्री भी ढलती उम्र की दिखाई देने लगती है।

ईलाज 



  • एक केले के बीच में चीरा लगा ले और देशी घी डाल दे (जैसे उपर की फोटो में दिखाया गया है ) और फिर खा ले ! ऐसे दिन में तीन बार करें मतलब दिन में तीन केले आपको खाने है वा कुछ दिन लगातार खाने है ! आप देखोगी की आपको तीन  दिन में ही आराम मिल जायगा ! (Nitin Kumar Palmist)
  • आपको सिक्के हुए चन्‍ने एक मुट्ठी रोज़ खाने है कुछ दीनो तक के लिए ! इस से भी काफ़ी लाभ मिलता है !
  • आपको अपनी योँनी को फिटकरी के पानी से धोना चाहिए !

असामान्य योनिक स्राव के लिए क्या डाक्टर से सम्पर्क करना चाहिए?
हां, शीघ्र ही डाक्टर से परामर्श लेना चाहिए। वे आपके लक्षणों की जानकारी लेंगे, जननेन्द्रिय का परीक्षण करेंगे और तदनुसार उपचार बतायेंगे।  (http://indianpalmreading.blogspot.com) Keywords:- white fluid discharge during pregnancy