चन्द्रमा पर जीवन रेखा का अंत होना - HASTREKHA VIGAN



चन्द्रमा पर जीवन रेखा का अंत होना

जीवन रेखा जितनी ही सीधी होकर चन्द्रमा पर जाती है, व्यक्ति को उत्तरोत्तर उतना ही स्त्री, धन व सन्तान का सुख होता जाता है। ऐसे व्यक्तियों को अन्त में ही सुख मिल पाता है। (नितिन पामिस्ट)

जीवन रेखा चन्द्रमा पर जाने की दशा में हाथ व्यक्ति इधर-उधर घूमकर गुजारा करने वाले होते हैं। उंगलियां मोटी तथा भाग्य रेखा गहरी हो तो खेती का योग होता है, किन्तु जमीन एक स्थान पर नहीं रहती। खेत कहीं और घर कहीं पर होता है।

जीवन रेखा गोलाकार होकर चन्द्रमा पर जाए तो परित्रार बड़ा होने के कारण अशान्ति रहती है और चिन्ता का कारण बनता है। कोई सम्बन्धी भी इनकी चिन्ता का कारण बना रहता है। ऐसे व्यक्ति जायदाद की कमी महसूस करते हैं। चाहे कितने ही मकान हों, परिवार तथा कारोबार अधिक होने से सदैव ही स्थान की तंगी महसूस करते हैं।

जीवन रेखा सर्वश्रेष्ठ वही मानी जाती है, जो बृहस्पति व मंगल के मध्य से उदय होकर पूर्ण रूप से शुक्र को घेरती हुई मणिबन्ध की ओर जाती है। ऐसी जीवन रेखा धन, सन्तान, सवारी, स्वास्थ्य, जीवन साथी तथा माता-पिता का पूर्ण सुख कराने वाली होती है। इस रेखा का अन्त मणिबन्ध के पास शुक्र व चन्द्रमा के बीच होता है।