हथेली में गुरु या वृहस्पति (Jupiter) क्षेत्र - Hastrekha Shastra


hastrekha mein guru parvat ka mahatv

हथेली पर तर्जनी के मूल स्थान में यह निम्न मंगल-क्षेत्र से ठीक ऊपर होता है। गुरु अधिकार, लेखन, संचालन एवं नेतृत्व के क्षेत्र में जातक को प्रेरित करते हैं। यदि हस्तरेखाओं में से मस्तिष्क रेखा सुंदर एवं सुस्पष्ट हो तो जातक में उपरोक्त गुणों की संभावना और बढ़ जाती है।

मस्तिष्क रेखा सुस्पष्ट होने के साथ-साथ गुरु का क्षेत्र उभरा हो, गुरु पर्वत अन्य ग्रह पर्वतों से अपेक्षाकृत अधिक उन्नत जान पड़े तो समझे जातक देवतुल्य मानव है। ये अपने साथ-साथ दूसरों को भी उन्नति के पथ पर देखना चाहते है। उन्हें मार्गदर्शन करने में इनकी प्रसन्नता होती है। ये न्याय के पक्षधर होते हैं, जहाँ भी होंगे इन गुणों के अधिकारी होने के नाते समाज या कार्यालय में इन्हें न्यायिक माना जाता है। ये अपने दिए वचनों को निभाते हैं। धोखाधड़ी से काफी घृणा होती है। बल्कि ऐसा करनेवालों के विरोध में खड़ा होकर नुकसान उठाते हैं लेकिन अन्याय सहने की क्षमता इनमें नहीं होती। ये धार्मिक स्वभाव के होते हैं एवं जिनसे बात करते हैं उन्हें अपने अनुकूल बना लेने की क्षमता इनमें अजीब होती है।

विपरीत लिंग (योनि) वालों के प्रति इनमें सद्भावना होती है। यदि जातक पुरुष हो तो सभ्य एवं सुंदर स्त्री के साथ मधुर संबंध हो जाना स्वाभाविक होता है। ये अर्थोपार्जन की अपेक्षा यश और प्रतिष्ठा को स्थान अधिक देते हैं। जातक का जन्म 21 नवंबर से 20दिसंबर के बीच हो या अधिक से अधिक 29 दिसंबर तक भी हो तो उपरोक्त गुण निश्चित रूप से प्रमाणित होंगे। ये राजनीति में संलग्न रहना पसंद नही करते बल्कि अपने कामों में लगे रहना ही इनका सिद्धांत होता है। साहित्य के क्षेत्र में सफलता मिलती है।

पर ध्यान रहे, गुरु का क्षेत्र यदि अति उभारयुक्त हो तो व्यक्ति परम स्वार्थी एवं अहंकारी होता है। इस पर्वत के अभाव में जातक पूर्ववर्णित गुणों से वंचित रहते हैं। आत्मगौरव की कमी होती है।