Island On Head Line Under Mount Of Saturn Palmistry In Hindi


Island On Head Line Under Mount Of Saturn Palmistry In Hindi 

शनि पर्वत के नीचे मस्तक रेखा पर दोष होना 

यह दोष विशेषतया व्यक्ति को स्वास्थ्य के विषय में विचारणीय है। इनकी कई अन्य फल भी होते हैं, परन्तु दूसरी रेखाओं के साथ समन्वय करने पर स्वास्थ्य के विषय में इस दोष के चिन्तन का परिणाम बहुत ही ठोस निकलता है।

यह एक महत्वपूर्ण लक्षण है तथा जीवन के प्रत्येक पहलू पर प्रभाव डालता हैं। यदि मस्तिष्क रेखा में दोष है तो जीवन की हर घटना पर इसका प्रभाव पड़ता है । 
saturn mount defected under head line यह दोष विशेषतया व्यक्ति को स्वास्थ्य के विषय में विचारणीय है। इनकी कई अन्य फल भी होते हैं, परन्तु दूसरी रेखाओं के साथ समन्वय करने पर स्वास्थ्य के विषय में इस दोष के चिन्तन का परिणाम बहुत ही ठोस निकलता है।
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शनि की नीचे मस्तिष्क रेखा में दोष होने की साथ, यदि जीवन रेखा के प्रारम्भ अर्थात् बृहस्पति के नीचे दोष हो तो व्यक्ति के कन्धे या आस-पास के भाग में कोई न कोई बीमारी पाई जाती है। यदि जीवन रेखा के बिल्कुल आरम्भ में ही कोई दोष हो तो गले पर इसका प्रभाव पड़ता है। जीवन रेखा के मध्य में दोध होने पर व्यक्ति की पट, भोजन नली, आतें तथा रीढ़ की हड्डी में इसका प्रभाव पड़ता है। 

जीवन रेखा के उत्तरार्द्ध में इसका प्रभाव व्यक्ति के फेफड़ों, हदय आदि पर पड़ता है, अर्थात् उपरोक्त अंगों में बीमारी पाई जाती है। हाथ में कहीं भी नेष्ट लक्षण होने के साथ यदि मस्तिष्क रेखा में शनि के नीचे दोष हो तो उसके उपरोक्त लक्षणों के आधार पर बताए गए दोषों की पुष्टि की जा सकती है। 

हृदय रेखा में यदि शनि के नीचे और मस्तिष्क रेखा में शनि के ऊपर कोई दोष होने पर गुर्दा, हर्निया, अपैन्डिक्स, दांत रोग एवं अण्डकोषों में जीमारी पाई जाती है। स्त्रियों में यह लक्षण दांत एवं गर्भाशय विकार का लक्षण है। हृदय रेखा टूटी होने पर यदि मस्तिष्क रेखा में शनि के नीचे दोष हो तो हृदय रोग होता है और शुक्र या चन्द्रमा उठा होने पर मानसिक विकृति हो जाती है। 

इसी प्रकार स्वास्थ्य की विषय में सोचते समय हमें मस्तिष्क रेखा को दोष का प्रभाव अवश्य रेखा में होने पर उसका फल कई गुना बढ जाता है एवं उस रोग की निश्चितता का अनुमान होता है।

मस्तिष्क रेखा में शनि के नीचे दोष होने पर व्यक्ति का जिगर एवं पैनक्रियाज ग्रन्थियों की कार्यशक्ति कमजोर होती है। इन्हें अधिक बैठकर काम नहीं करना चाहिए तथा अपने जिगर का पूर्ण ध्यान रखना चाहिए, नहीं तो मधुमेह होने की पूर्ण सम्भावना होती है। 


शनि के नीचे मस्तिष्क रेखा में झुकाव व जीवन रेखा थोड़ी भी सीधी होने पर ऐसा होता है। स्वयं को तथा परिवार में भी किसी को यह रोग पाया जाता है।

इसी से रक्त-चाप, जलोदर, जालीदार फोड़ा, पेशाब अधिक तथा गरम आना, शरीर में दर्द, वायु प्रबल होना, पिण्डलियों में दर्द, बेहोशी, आधाशीशी दर्द जैसा कष्ट होता है। ऐसे व्यक्तियों को चिकनाई वाले पदार्थ नहीं पचते, अतः इनसे बचते रहना चाहिए। (नितिन कुमार पामिस्ट)

कोमल हाथों में रोग शीघ्र तथा कठोर हाथ में देर से होते हैं। रोग का कारण व्यक्ति अपने पूर्व कर्म को मानता है और भाग्य को ही इस विषय में दोष देता है। शनि के नीचे मस्तिष्क रेखा से कोई रेखा निकल कर नीचे की ओर जाती हो तो व्यक्ति की ऐडी में दर्द, गुप्तांग में भगन्दर रोग होते हैं।

ऐड़ी क दर्द का कारण हड्डी बढ़ना होता है। ऐसे व्यक्तियों को अधिक नमक पसन्द होता है और उसी कारण हड्डी बढ़ जाती है। शनि के नीचे मस्तिष्क रेखा में तिल हो तो व्यक्ति के गुप्तांग में फोड़ा होता है, वैसे ही मस्तिष्क रेखा में कहीं भी तिल हो तो बड़ी आयु में लकवे का लक्षण है। 

स्त्री के हाथ में उपरोक्त लक्षण के साथ जीवन रेखा के आरम्भ में दोष होने पर गर्भपात के कारण सन्तान की सम्भावना देर से होती है। यदि जीवन रेखा सीधी भी हो तो प्रजनन कष्टमय होता है। जीवन रेखा अधूरी होने पर तो निश्चित रूप से ऐसा कहा जा सकता है।

इस दशा में व्यक्ति का जिगर किसी न किसी रूप में दोष पूर्ण पाया जाता है तथा बहुत सम्भावना होती है कि उसकी मृत्यु जिगर दोष से ही हो, आयु लम्बी हो तो निश्चय ही ऐसा होता है। (नितिन कुमार पामिस्ट)

मस्तिष्क रेखा में शनि के नीचे द्वीप या अन्य दोष होने पर, तथा चन्द्र की ओर एकदम झुकी होने पर एवं शुक्र पर्वत उठा हो तो मस्तिष्क में विकार आ जाता है।