Hath Mein Mangal Grah Ya Mangal Parvat Kaha Hota Hai

Mangal Grah Ya Parvat | मंगल ग्रह या मंगल पर्वत

Mangal Grah Ya Parvat | मंगल ग्रह या मंगल पर्वत 

मंगल ग्रह का स्थान हाथ में दो जगह होता है। एक तो अंगूठे के पास बृहस्पति के नीचे (1st), दूसरा बुध की उंगली के पास बुध के नीचे (2nd)।
पहला स्थान यदि बड़ा हो तो अकारात्मक होता है और उसका महत्व अधिक हो जाता है। यदि व्यक्ति का जन्म 21 मार्च और 21 अप्रैल के बीच में हो और यदि 28 अप्रैल तक हो।
कुछ हद तक होता है। वर्ष का यह भाग भचक में मंगल का भाव सकारात्मक कहलाता है। (नितिन पामिस्ट )
दूसरा स्थान नकारात्मक होता है और उसका महत्व अधिक होता है। यदि व्यक्ति का जन्म 21 अक्टूबर और 21 नवम्बर कॊ बीच में हो और यदि जन्म 28 नवम्बरं तक हो तो कुछ हद तक होता है वर्ष का यह भाग भचक में मंगल का भाव नकारात्मक कहलाता है।
मंगल का सम्बन्ध व्यक्ति के साहस, क्रोध, धैर्य, निष्ठा, खेती, पेट विकार आदि से है। अत: मंगल उठा होने पर उपरोक्त गुण पाये जाते हैं। परन्तु पेट में विकार रहता है।
जो व्यक्ति प्राय: राजसेवा में होते हैं, उनके हाथ में उठा हुआ मंगल होता है। ऐसे व्यक्ति अति निष्ठावान होते हैं। अतः राज्यसेवा में उनका स्थान सेना, पुलिस, जल सेना या इस प्रकार के पदों पर होता है। उनकी उंगलियां भी मोटी देखी जाती हैं।
ये मस्तिष्क का प्रयोग कम ही करते हैं। साथ ही जिद्दी, क्रोधी, साहसी, लगन वाले आदि होते हैं। स्पष्टवक्ता होते हैं और गलत बात को भी सहन नहीं करते।
हदय रेखा का अन्त वृहस्पति पर हो तो ऐसे व्यक्ति महान, साहसी, सत्यवादी, आन पर मरने वाले व कई भाषाओं के ज्ञात होते हैं। ऐसे व्यक्तियों के हाथ गुलाबी होते हैं। इनके मकान या सम्पति पर झगड़ा पाया जाता है। (नितिन पामिस्ट )
मंगल अधिक उठा होने पर व्यक्ति को विवाह में रुकावट होती है। विवाह देर से होता है या सम्बन्ध होकर टूटता है। ऐसे व्यक्तियों को मूंगा पहनना चाहिए।
मंगल उठा होने पर इसका विशेष फल 1 12, 4, 8, 12, 14, 28 व 48 वर्ष में देखा जाता है। (नितिन पामिस्ट )
मंगल उत्तम होने पर व्यक्ति यदि भावुक भी हो तो आत्महत्या जैसी घटनाएं नहीं करता। मस्तिष्क रेखा में दोष होने पर व्यक्ति स्पष्टत्रक्ता, झगड़ालू, बेहद चिड़चिड़े व क्रोधी स्वभाव के होते हैं। मस्तिष्क रेखा सुन्दर होने पर साहसी, बर्दाश्त न करने वालं होते हैं। ऐसे व्यक्ति दबते नहीं। सत्य का अन्तत: पालन करते हैं।
जुबान के पक्के होते हैं, सच्चे व स्वाभिमानी होते हैं। परन्तु मस्तिष्क रेखा अधिक सुन्दर होने पर ये बेहद चालाक देखे जाते हैं। इनका मकान ऊची जगह पर होता है तथा यह कार्य भी समतल भूमि से ऊंचे पर ही करते हैं।
मंगल पर क्रास होने पर बवासीर हो जाती है। यदि मस्तिष्क रेखा में शनि की नीचे दोष हो तो निश्चय ही ऐसा कहा जा सकता है।
मस्तिष्क रेखा में अन्य दोष होने पर ये अपनी स्मृति को कमजोर समझते हैं। विशेष दोष होने पर बड़ी आयु में इनकी स्मृति कमजोर भी हो जाती है।
मंगल पर काला या लाल दाग होने पर इनकी मृत्यु विष से होने की सम्भावना होती हैं।
मंगल पर तारा होने पर क्रोध अधिक आता है और झगड़ों में मार-पीट व चोट लगती है। मस्तिष्क रेखा में दोष हो तो यह भी सम्भावना होती है कि इनके हाथ से किसी की हत्या हो जाये।
मंगल पर अधिक रेखाएं होने पर भेंट में गैस, स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता हैं। फलस्वरूप धातु विकार होते हैं। सिर में दर्द रहता है। चन्द्रमा उन्नत हो तो ऐसा निश्चय ही होता है। सर्दी का असर नाक व गले में बना रहता है। (नितिन पामिस्ट )
मंगल पर चतुष्कोण होने पर जेल का डर भी होता है। कई बार जेल यात्रा भी करनी पड़ती है।
मंगल पर त्रिकोण होने पर उच्चकोटि के गणितज्ञ होते हैं। इन्हें सेना या शोध कार्य में सम्मान मिलता है।

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