हस्तरेखा शास्त्र में 10वी तरह की भाग्य रेखा | Bhagya Rekha Jyotish Hast Rekha Shastra




ज्योतिष शास्त्र में हाथ में दस प्रकार की भाग्य रेखा का विवरण | 10 Types Of Fate Line On Hand Palmistry

भाग्य रेखा की सीरीज में हम इस पोस्ट में दशम प्रकार की भाग्य रेखा की बात करेंगे। आप बाकी की 1 से 10 तक की भाग्य रेखा का विवरण और उनका आपस में सम्बन्ध यहाँ पढ़ सकते है " हस्तरेखा " ।
हस्तरेखा शास्त्र में 10वी तरह की भाग्य रेखा | Bhagya Rekha Jyotish Hast Rekha Shastra
कुछ विद्वान उच्च मंगल के नीचे हर्षल का स्थान मानते है और बीच में प्लूटो का स्थान मानते है लेकिन कुछ विद्वान हर्षल, प्लूटो और नेप्चुअन को नहीं मानते है वे सिर्फ मंगल को ही मानते है। 
दशम भाग्य रेखा-दशम प्रकार की भाग्य रेखा वह कहलाती है। जोकि प्रजापति या हर्शल क्षेत्र से निकलकर, यम (प्लूटो) क्षेत्र को होती हुई हृदय रेखा को पार कर शनि क्षेत्र में प्रवेश करती है । यदि यह रेखा सुन्दर, साफ, स्पष्ट, पतली, गहरी तथा बिना टूटे अपने स्वाभाविक रूप से शनि प्रदेश में ठहर जाती है तो अत्यन्त शुभ फलदायक होती है । ऐसा मनुष्य, वायु सेना का प्रधान हो सकता है। अच्छा इलेक्ट्रिक इंजीनियर या वायुयान चालक (पाईलेट) मैशीनगन चालक, अणु-परमाणु (पाशुपत-पाशुपताश) का प्रयोग करने वाला अद्वितीय वैज्ञानिक आविष्कर्ता होता है।

इस प्रकार की भाग्य रेखा वाले मनुष्य जलयान या समुद्री बेड़े के भी उत्तम चालक हो सकते हैं फिर भी ये लोग वायुयान चालक, या वायु सेना के प्रधान अथवा स्थल सेना के हथियारबन्द दस्तों के ही प्रधान होकर अपनी विशेष बुद्धि तथा रण कौशल का प्रमाण देकर ही यशस्वी होते हैं जिसके लिए सुचारू रूप से पारितोषिक पाकर सम्मानित होते हैं और इतिहास के चिरस्मरणीय व्यक्ति बन जाते हैं। ये लेख भारत के प्रसिद्ध हस्तरेखा शास्त्री नितिन कुमार पामिस्ट द्वारा लिखा गया है अगर आप उनके दवारा लिखे सभी लेख पढ़ना चाहते है तो गूगल पर इंडियन पाम रीडिंग ब्लॉग को सर्च करें और उनके ब्लॉग पर जा कर उनके लिखे लेख पढ़ें । देश को ऐसे व्यक्तियों पर गर्व रहता है । विमानभेदी तोपों के चालक श्री राजू और सुप्रसिद्ध वायुयान चालक श्री कीलर भाई और पठानियाँ आदि बृभृतिभिर मनुष्यों के हाथों में इस रेखा का होना बहुत कुछ सम्भव है। 

यह रेखा किसी भी हाथ में । दुहेरी हृदय रेखा (Double Heart line) का कार्य करती है। इसलिये ऐसी रेखा से युक्त मनुष्य का हृदय संकट के समय डोलायमान नहीं होता बल्कि शान्ति और स्थिरता से कार्य करने की क्षमता बढ़ती है । साहस और धैर्य की प्रचुर मात्रा बढ़ती है। रण में असाधारण रणकौशल दिखाकर दैवी शक्ति का प्रतापी परिचय देना यद्यपि इनके लिये एक साधारण-सी बात है जोकि प्रशंसनीय व्यक्तियों द्वारा एक असम्भव कार्य समझा जाता है।

यदि यह भाग्य रेखा शनि प्रदेश में आगे को बढ़कर मध्यमा उगली बन्द तक पहुँच जाए तो पूर्वोक्त गुणों में न्यूनता लाने में समर्थ हो जाती है और यदि प्रथम, द्वितीय पोरुए तक चढ़ जाने वाली रेखा, ऐसे लक्षण से युक्त हाथ वाले मनुष्य को अपयश का भागी बनाये बिना नहीं रहती, यदि किसी भी पोरुए की इस रेखा पर तारे का चिन्ह हो तो उस मनुष्य की अपमानित मृत्यु का सूचक है । । यदि स्वाभाविक रूप से शनि क्षेत्र पर ठहरने वाली भाग्य रेखा की कोई शाख गुरू प्रदेश को जाती हो तो निश्चय ही उसके उत्तरोत्तर बढ़ते विचारों के सफल होने का प्रत्यक्ष प्रमाण प्रदर्शित करती है और यदि कोई शाखा रवि क्षेत्र को जाती हो तो उस व्यक्ति के यशस्वी होकर सफलता प्राप्त करने का प्रत्यक्ष लक्षण दिखाई देता है । 

जिस हाथ में पूर्वोक्त तीनों रेखायें निर्दोष रूप से अवस्थित हों तो उस आदमी के यश धन, सम्पति, कीति, सफलता आदि में किसी प्रकार की कमी नहीं रहती और उसका जीवन धन्य हो जाता है । 'यदि वह भाग्य रेखा शनि क्षेत्र तक टूट-टूटकर पहुँचती हो तो उस मनुष्य के उपयुक्त गुणों में कुछ न्यूनता आ जाती है और वह मनुष्य टूटी रेखा के अनुसार मुसीबतों में फंसकर निकल जाता है। ये लेख भारत के प्रसिद्ध हस्तरेखा शास्त्री नितिन कुमार पामिस्ट द्वारा लिखा गया है अगर आप उनके दवारा लिखे सभी लेख पढ़ना चाहते है तो गूगल पर इंडियन पाम रीडिंग ब्लॉग को सर्च करें और उनके ब्लॉग पर जा कर उनके लिखे लेख पढ़ें । यदि यह रेखा लहरदार हो तो उस मनुष्य को बड़ी ही कठिनाई से जीवन में सफलता मिलती है। शृंखलाबद्ध भाग्य रेखा बतलाती है। कि मनुष्य के सफलता मार्ग में अनेक बाधायें, अड़चने तथा रुकावटें आयेंगी । 

उसकी सफलता तथा विफलता के विषय में उसके हाथ की बनावट, दूसरी रेखाओं का सहयोग तथा विरोध देखकर ही ठीक-ठीक कहा जा सकता है। प्रतिकूल इसके यदि वह रेखा द्वीपदार है तो निश्चय ही दुर्भाग्यपूर्ण लक्षण है। यदि एक द्वीप है तो द्वीप का समय समाप्त होने पर वह अवश्य अच्छे दिन देखेगा और दो या दो से अधिक द्वीप होने पर मनुष्य सदा संकटों में ही फंसा रहेगा जिस कारण वह अपने जीवन में निश्चित समय को छोड़ कभी सुख का अनुभव न कर सकेगा।