Kisi Ko Apne Vash Me Karna | Vashikaran Totke Aur Upay


Kisi Ko Apne Vash Me Karna | Vashikaran Totke Aur Upay

Kisi Ko Apne Vash Me Karna | Vashikaran Totke Aur Upay


कुछ विशिष्ट टोटके - गंडे तावीज और टोने-टोटके


उच्चाटन का प्रयोग बताने से पहले इसका अर्थ स्पष्ट कर देना - रहेगा। सामान्य भाषा में जिसे हम ‘जी उचट जाना' कहते हैं, वही उच्च इसके अनेक प्रकार होते हैं। किसी भी काम में जी न लगना, मन-मस्ति अस्त-व्यस्त होना, पागलों की तरह का आचरण करना।

• पेड़ पर से कौए के घोंसले को लाकर जला लें। इस राख को जिसके सिर डाला जाएगा उसका उच्चाटन हो जाएगा।

• थूहर के कांटों का चूर्ण, वानर की टट्टी और कलिहारी की जड़ का चूर्ण बनाकर जिसके सिर पर डाला जाएगा वह वश में हो जाएगा। गोरोचन और ताड़ के बीजों को किसी भी वशीकरण मंत्र से अभिमंत्रित करके जिसके भी सिर पर डाला जाएगा वह वश में हो जाएगा। • महुए का बांदा अगर विशाखा नक्षत्र में प्राप्त कर लिया जाए तो यह शक्ति में वृद्धि करता है।

• अगर कोई व्यक्ति अपनी दाईं भुजा पर कनेर का बांदा अनुराधा नक्षत्र में अभिमंत्रित कर बांध ले तो उसके विरोधी शांत हो जाते हैं। इसी नक्षत्र में रोहित वृक्ष का बांदा मुख में धारण करने से वह ओझल हो जाता है। अगर थूहर का बांदा धारण किया जाए तो साधक को वाकसिद्धि की प्राप्ति होती है। अगर इसी नक्षत्र में कपित्थ वृक्ष का बांदा मुंह में रखा जाए तो शस्त्र-स्तंभन हो जाता है।

• बिल्व के वृक्ष का बांदा अश्विनी नक्षत्र से पूर्व निमंत्रण के द्वारा लाकर बांह पर बांधा जाए तो विद्या भी सिद्ध हो जाती है। • कपाल का बांदा भरणी नक्षत्र में धारण करने से साधक को सिद्धि प्राप्त हो जाती है।

• नीलोफर, भौरे के पंख, पोखरमूल, तगर, श्वेत वोंटली, इनका चूर्ण डालने पर वशीकरण होता है।

• स्त्री अगर पति को वशीभूत करना चाहे तो अपने रज को शुद्ध गोरोचन में। मिलाकर मस्तक पर तिलक करें। उल्लू का सिर, मैनसिल और हरताल, इन तीनों को आपस में पीसकर एक गुटिका तैयार कर लें। इसे कुछ दिनों तक पास में रखने से रात्रि में भी आंख देखने में समर्थ हो जाती हैं।

• उल्लू के पांव की हड्डी को शत्रु के घर में गाड़ देने से उसका सर्वनाश हो जाएगा। उल्लू की पीठ के के बालों को उखाड़कर अभिषिक्त कर, उन्हें चांदी के तावीज़ में रखकर भुजा पर बांध लेने से शत्रु पर विजय प्राप्त होती है।

• स्वाभाविक रूप से अर्थात जिसे मारा न जाए, उसका अरिथर्वल एक रात्मक है। इसे बालक के गले में पहनाने से उसे टोने-टोटके की पीड़ा कभी होती। श्वेत ओंगा पौधे की जड़ का माथे पर तिलक कर लेने से किसी का भी सम्मोहन हो, समाप्त हो जाता है।

• विष्णुकांता, भंगरा, गोखरू और गोरोचन को पीसकर गोली बना लें। इस गोली को घिसकर तिलक करना भी वशीकरण का प्रयोग है। पुरुष ग्त्री के वशीकरण के लिए लाजवंती, मुलेहली और कमलगट्टे को पीसकर अपने वीर्य के साथ मिलाकर तिलक करें। रति के अंत में पुरुष अपने बाएं हाथ से अपना वीर्य लेकर स्त्री के बाएं पगतलुए में लगा दे तो वह रत्री दूसरे को नहीं चाहती। 

• गोरख मुण्डी गोखरू और बिनौला को गाय के मूत्र में मिलाकर सुखाकर भूत-प्रेतग्रस्त रोगी को इसकी धूनी देने से भूत-प्रेतग्रस्त रोगी के भूत भाग जाते• लाजवंती की जड़ छल्ला बनाकर कमर में बांधने से आंत उतरने का रोग ठीक | हो जाता है। इसके लिए शनिवार का दिन उपयुक्त है। कलिहारी की जड़, ओंगा की जड़ और इंद्रायण की जड़, इन तीनों का चूर्ण जननेंद्रिय में रखने से मासिक धर्म खुल जाता है। 

• मस्तिष्क की सक्रियता बढ़ाने के लिए लाल सुलेमानी हकीक धारण करना उपयुक्त रहता है। 

• आंवले की जड़ आश्लेषा नक्षत्र में दाईं भुजा पर धारण करने से व्यक्ति को कोई भय नहीं रहता। 

• हीरा अथवा फिरोजा पहनने वाले को विषैले जंतुओं का कोई भय नहीं रहता। आश्लेषा नक्षत्र में धामी की जड़ हाथ में धारण करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिल जाती है। 

• बांस की जड़ जलाकर उसे कान पर धारण करने से भय मिट जाता है। निर्गुण्डी की जड़ अथवा मोर-पंख घर में रख देने से सर्प कभी भी घर में प्रवेश नहीं करता। लहसुन की गांठ का भी यही उपयोग है। रवि-पुष्य योग में प्राप्त सफेद चादर की जड़ लाकर दाईं भुजा पर बांधने से वन्य पशुओं का भय नहीं रहता, साथ ही अग्नि-भय से भी छुटकारा मिल जाता है। केवड़े की जड़ कान पर धारण करने से शत्रु भय मिट जाता है।


• कन्या का विवाह गुरु ग्रह की निर्बलता के कारण विलम्ब से होता है। अगर लड़की की कुंडली में गुरु मकर राशि का हो अथवा शनि के साथ हो पापग्रहों की दृष्टि हो तो गुरु निर्बल कहे जाएंगे। ऐसी स्थिति में बड़े का के साथ समय बीतने पर विवाह सम्पन्न होता है, अतः लड़की के पिता चाहिए कि लड़की को 5 रत्ती का पुखराज या 9 रत्ती का सुनहरा विधान (चांदी 62 प्रतिशत, तांबा 26 प्रतिशत और सोना 12 प्रतिशत) में जडवाक बाएं हाथ की प्रथम उंगली में गुरुवार को उत्तर की तरफ मुख करके पहना दें। साथ ही 7 रत्ती का फिरोजा चांदी में मढ़वाकर शुक्रवार को लड़की के बाएं हाथ की कनिष्ठिका उंगली में दक्षिण की तरफ मुख करके पहना दें। विवाह बिना कष्ट के सम्पन्न हो जाएगा। अगर कन्या की सप्तमेश निर्बल हो तो उस ग्रह की अंगूठी कन्या को तुरंत पहना देनी चाहिए।

• अगर बिना कुंडली मिलान के विवाह हो रहा है वह प्रेम विवाह है या कोई अन्य प्रकार की विवशता है, तब आप निम्न उपाय करें। 

• कन्या को फेरों से पहले पीले रंग का डोरा पांच गांटें (पांच सौगंध मानकर) लगाकर हाथ में बांध दें। यह डोरा चूड़े (कंगना) को स्पर्श करता रहे। विदा के समय गंगाजल में थोड़ी शुद्ध हल्दी डालकर कन्या के सिर से उतारकर उसके आगे फेंक दें और पीला डोरा खोल लें। यह डोरा माता पार्वती के चरणों में रखवा दें। जीवन सुखी रहेगा। 

• कृतिका नक्षत्र में लोहे की अंगूठी पहनने से भूत-प्रेत, जादू-टोने का भय नहीं रहता। यह अंगूठी रक्षात्मक होती है। रवि-पुष्य योग में काले धतूरे की जड़ को धारण करने से भय दूर हो जाता है। रवि-पुष्य योग में ही गुरुच की माला बनाकर धारण करने से कभी सर्प-दंश का भय नहीं रहता।

अगर किसी को मिर्गी आदि का कोई रोग हो तो गधे के अगले दाएं पैर का नाखून लेकर अपनी उंगली में धारण करना चाहिए। 

• गोरखमुंडी के हरे पौधे के रस की मालिश करने से सारी पीड़ा मिट जाती है। सर्प द्वारा काटे गए व्यक्ति की नाक में अगर कलिका की जड़ का बारीक चूर्ण किसी नली की सहायता से पहुंचाया जाए तो व्यक्ति ठीक हो जाता है। 

• गधे का दांत अगर किसी के सिरहाने रख दिया जाए तो अनिद्रा रोग दूर हो जाता है। संभोगरत गधे की पूंछ के बाल प्राप्त करके, उन्हें अपनी जंघा में। बांधने वाला व्यक्ति शीघ्रपतन की व्याधि से मुक्त हो जाता है। 

• किसी भी प्रकार का ज्चर हो, श्वेत ओंगा की पत्तियों को पीसकर और गुड़ में मिलाकर खाने से वह दूर हो जाता है। 

• रांगे की अंगूठी पहनने से मोटापा कम होता है।

• गोरखमुंडी के पौधे को सुखाकर उसका चूर्ण बनाएं। प्रातः-सायं दूध के साथ उसका सेवन करने से बल की प्राप्ति होती है।

• चकोंडा के पौधे की जड़ हस्त नक्षत्र में लाकर दाईं भुजा पर धारण की जाए साधक अजेय होता है। रवि-पुष्य योग में चमेली की जड़ को तावीज (यंत्र) रखकर, भुजा पर बांध लिया जाए तो इसको धारण करने वाला शत्रओं को पराजित करने में समर्थ हो जाता है।

• देशी पान का पत्ता रविवार को श्मशान भूमि पर पीसकर ले आएं। गर्भवती स्त्री की नाभि पर लगा दें तो प्रसव बिना कष्ट होता है। 

• पत्नी पति से या पति पत्नी से नाराज हो गया हो तो खुबी का पुष्प शहद में मिलाकर खिलाने से (एक माशा के बराबर) पुनः मेल-मिलाप हो जाता है। 

• रुद्राक्ष के पांच दाने लाल डोरे में पहनने से रक्तचाप ठीक रहता है। नागफनी की जड़ को बालक के गले में बांधने से जिगर व तिल्ली के रोग समाप्त हो जाते हैं। 

• राई को आक के दूध से युक्त करके हवन करने से शत्रु अंधा हो जाता है। पलाश की समिधा में राई को घी से होमने से एक सप्ताह में ब्राह्मण को गुड़ राई को होम कर क्षत्रिय को, दही राई से वैश्य को और नमक राई को होम कर शूद्र को वश में कर सकता है। पानी भरे घड़े में राई के पत्ते डालकर इस जल को अभिमंत्रित करके जिस भी किसी व्यक्ति को स्नान कराया जाएगा उसकी दरिद्रता, रोग नष्ट हो जाते हैं। 

•  राई के फूल, चंदन, प्रियंगु, नागकेसर, मैनसिल, नागर, इन सब पदार्थों को चूर्ण करके अभिमंत्रित करके सिर पर डालने से वशीकरण होता है। । 

• लाल गुलाब के फूल को पीसकर सिरदर्द या किसी भी प्रकार का दर्द क्यों न हो, माथे पर लगाने से तुरंत आराम मिलता है। जले-कटे घावों पर भी इसका लेप तत्काल पीड़ा का हरण करता है। 

• राई को पीसकर उससे पुतली बनाकर पुरुष पर प्रयोग करना हो तो दाएं पैर | से और स्त्री पर प्रयोग करना हो तो बाएं पैर से उसमें छेद करते हुए हवन करना चाहिए। छेदन का क्रम इस प्रकार है—पहले पैर, फिर भुजा, फिर सिर, फिर दूसरी भुजा, फिर कबंध, फिर दूसरा पैर। यह हवन भी राई की लकड़ियों | में ही करना होता है। कड़वे तेल और नीम के पत्ते से मिली राई का हवन शत्रु का नाम लेकर करने से शत्रु ज्वरग्रस्त हो जाता है। इसी प्रकार राई और नमक का हवन करने से शत्रु के फोड़े हो जाते हैं। 

• गूलर की लकड़ी की चार अंगुल लम्बी कील बनाकर शत्रु के घर में गाड़ दें, उसका उच्चाटन हो जाएगा।
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