नाखून (The Nails) | Indian Palmistry

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नाखून (The Nails)

अगलियों के शीर्ष पर्व पर करपृष्ठ की और नाखून सलग्न होने के नाखून उसकी जीवनरक्षा व शिकार आदि में अस्त्रों की भf आज मानव सभ्य हो चुका है, उसने नाखून से भी अधिक शक्ति की खोज कर ली है। इसलिए नाखूनों का अस्त्रों की तरह अवाञ्छित हो गया है। फिर भी नाखून पहले की तरह अब भी सभ्य मानव इन्हें काटता रहता है। नाखूनों का बढ़ना आदिम वत्तियों है. जिसे छोडने की इच्छा रखते हुए भी मानव छोड़ नहीं पा रहा है जमाने में नाखूनों का महत्त्व पहले की अपेक्षा कुछ कम तो हुआ है, किन्न तरह से शून्य नहीं हुआ है। अनेक मामलों में नाखून बहुत महत्त्वपूर्ण हैं, जैसे सुन्दरता की दृष्टि से या अंगुलियों के बैण्डेज के रूप में। हमारे पास जब कोई अस्त्र-शस्त्र नहीं होता, तो अपनी जीवनरक्षा के लिए हमें आज भी अपने नाखूनों का प्रयोग करना पड़ता है। अंगुलियों को भी कार्यक्षमता, दृढ़ता व दक्षता नाखूनों की उपस्थिति से ही मिलती है।

नाखून जहां एक ओर शारीरिक विद्युत् के शक्तिशाली ध्रुव है, वहीं ऊष्मा के सुग्राही उत्सर्जक और अवशोषक भी हैं। प्राकृतिक या आयुर्वेदिक चिकित्सा में शरीर की गरमी को दूर करने के लिए नाखूनों को ठण्डे पानी में डुबोने की सलाह दी जाती है। इसी प्रकार यदि किसी व्यक्ति को ठण्ड लग जाती है, तो उसके नाखूनों पर लहसुन या हींग जैसी गरम तासीर की औषधियों का लेप लगाने के लिए कहा जाता है । इस उपचार से रोगी को शीघ्र स्वास्थ्य-लाभ प्राप्त होता है। नाखून वातावरण की गरमी या ठण्डक को संग्राही चालक की तरह अवशोषित कर शरीर को स्वास्थ्य प्रदान करते हैं और शरीर में गरमी की अधिकता होने पर नाखून के द्वारा अवाञ्छित तापमान बाहरी वातावरण में विकिरण क्रिया से उत्सर्जित हो जाता है। इसलिए शारीरिक क्रियाविधि में उत्पन्न होने वाली जटिलताओं का प्रत्यक्ष प्रभाव नाखूनों पर पड़ता है। आधुनिक चिकित्सा शास्त्र में रोग परीक्षा के सन्दर्भ में नाखूनों का अध्ययन अनिवार्य हो गया है। नाखूनों की बनावट, रग एवं अन्य लक्षणों के द्वारा रोगी के वंशानुगत एवं स्वअर्जित रोगों की पहचान और परीक्षा की जाती है।

शरीर विद्युत् का प्रवाह अंगुलियों की दिशा में होता है और चूंकि नाखन अग्रभाग में होते है, इसलिए इनका व्यवहार शरीर विद्युत के वों जैसा होता है। शारीरिक शक्ति की निर्बलता की अवस्था में रंग बदरंग हो जाता है। जिस आदमी का रक्त-प्रवाह उत्तम और वल होता है, उसके नाखून हलके गुलाबी या ताम्र वर्ण के होते हैं, किन्तु वनों को ऊपर से दबाया जाये, तो उनका गुलाबी रंग लुप्त हो जाता है। बफेद रंग के दिखाई देने लगते है। जिस व्यक्ति को पीलिया (जाण्डिस) मारी होती है, उसके नाखून पीले रंग के हो जाते हैं। आश्चर्य की बात यह है कि पीलिया बीमारी के लक्षण सर्वप्रथम नाखूनों में ही प्रकट होते हैं। शारीरिक शक्ति या शारीरिक विद्युत् के असामान्य रूप से ह्रास होने के कारण न व्यक्तियों की मृत्यु होने वाली होती है, उनकी मध्यमा अंगुली के नाखून में दी-तिरछी रेखाओं का जाल उभर आता है। ऐसा जाल यदि स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगे, तो यह समझ लेना चाहिए कि जातक की मृत्यु आगामी पांच-छह महीनों के अन्दर अवश्य हो जायेगी।

सारांशतः नाखून हमारे शारीरिक स्वास्थ्य एवं प्रवृत्तियों के स्पष्ट और विश्वसनीय परिचायक हैं। मनोवृत्तियों के अध्ययन के लिए नाखूनों को निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है।

1. लम्बे नाखून : लम्बे नाखून प्रायः कोनिक या नुकीले हाथों में होते है। स्वप्नदशी, भावुक, कलाप्रिय व शान्त स्वभाव के व्यक्तियों के नाखून लम्बे होते है। ऐसे लोग जीवन की जटिलता व आलोचना से दूर भागने वा तर्क-वितर्क, वाद-विवाद पसन्द नहीं आता है। वे जीवन में चाहने वाले होते हैं। उनकी प्रवत्ति पलायनवादी और अंतरमुखी होती है।

2. छोटे नाख़ून : छोटे नाखन प्राय: अविकसित श्रेणी के हाथों में पाये जात अट नाखून विचारशक्ति की कमजोरी और आदिम वृत्तियों के परिचायक है।  जिन लोगो में छोटे नाख़ून मौजूद होते है वो भावुकता के मामले में कमज़ोर होते है।

3. चौड़े नाखून : छोटे और चौड़े नाखून चमसाकार या वर्गाकार हाथो में पाये जाते है। ऐसे व्यक्ति व्यावहारिक बुद्धि आर युक्तिसंगतता के गुण में सम्पन्न होते है। इनकी निगाह अति पैनी होती है, जो तथ्यों के मर्म लेती है। ऐसे लोग आलोचनात्मक प्रवृत्ति के व बौद्धिक एवं ताकि होते हैं। कर्मठता और सक्रियता के बल पर अपने सभी कामों को बाकाय पर परा कर लेते है। इनके विचार व्यावहारिक होते है इसलिए किसी भी बात को बिना सोचे-समझे कभी कदम नहीं उठाते, किन्तु जिस काम, है उसे अवश्य पूरा करते हैं। ऐसे लोग बहस करने में बहुत पक्के होते बात को मनवाने के लिए लम्बी बहस करते हैं और अपने विचारों को का प्रयास करते हैं। दूसरों की बातें ये तब तक स्वीकार नहीं करते, जब तक इनके मन में अच्छी तरह से जंच न जाये। बुद्धि की लड़ाई लड़ना, बहस करना बुद्धिजीवियों का सम्मान करना इनकी आदत होती है। यदि कोई इनके तर्को स्वीकार न करे, तो क्रोध में कभी-कभी अनियन्त्रित भी हो जाते हैं।

4. लम्बाई से अधिक चौड़ाई वाले नाखून : यदि नाखूनों की चौड़ाई लम्बाई से अधिक हो, तो जातक का स्वभाव उच्छृखल और कलहप्रिय होता है। ऐसे लोग लड़ाई-झगड़े, मारपीट, निन्दा व दुष्टता के कार्यों में संलग्न रहते हैं। दूसरे लोगों को आपस में लड़ाना, औरों के आपसी विवादों में जबरदस्ती हस्तक्षेप करना और खुद लड़ाई-झगड़े में सम्मिलित हो जाना इनकी आदत होती है। इनकी उपस्थिति ही अशान्ति का परिचायक होती है।

5. पतले नाखून : पतले नाखून शारीरिक रुग्णता और कमजोरी के परिचायक है। पतले नाखून वाले लोग चिड़चिड़े, डरपोक, नर्वस स्वभाव के होते हैं। इनमें आत्मविश्वास की कमी होती है।

नितिन कुमार पामिस्ट

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