विवाह की आयु
स्पष्ट विवाह रेखा जो कछ लम्बी हो हदय रेखा के अधिक निकट होगी, तो मिलन 14 से 21 वर्ष की आयु में , 22 से 28 वर्ष की आयु में अगर कनिष्ठिका (Little Finger) और हृदय रेखा के मध्य में विवाह रेखा हो। विवाह या लिव-इन संबंधो ( Live in relationship) का सही समय चंद्र पर्वत से आकर भाग्य रेखा के साथ चलने वाली या भाग्य रेखा से मिलने वाली रेखा से होता है।
सन्तान रेखाएँ
भारतीय हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार अँगूठे के जोड के नीचे बाहरी बगल में, शुक्र पर्वत पर बनी रेखाएँ सन्तान रेखाएँ होती है। इनमें से गहरी, कुछ चौडी लम्बी और स्पष्ट रेखाएँ पुत्रों की, पतली कम लम्बी पर स्पष्ट रेखाएँ पुत्रियों की होती हैं।
आधुनिक हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार जिसे कीरो और भारतीय हस्तरेखा शास्त्री भी मानते हैं, कनिष्ठिका अँगुली के नीचे स्थित विवाह रेखा से निकलकर ऊपर खड़ी रेखाएँ सन्तान रेखाएँ होती हैं। इन्हें केवल अच्छी क्वालिटी के आतशी शीशे (Magnifying Glass) या सूक्ष्मदर्शी (Microscope) से ही देखा जा सकता है।
चौडी रेखाएँ पुत्रों को और बहुत पतली रेखाएँ पुत्रियों की होती है। भारतीय हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार शुक्र पर्वत का उचित रूप से उठा होना, पहले मणिबन्ध में बड़ा द्वीप या मेहराब नहीं होना सन्तोनोत्पत्ति की शक्ति के लिए आवश्यक है। इसे आधुनिक पॉमिस्ट (Palmist) भी मानते हैं।