तर्जनी पर चिह्न हस्तरेखा | Signs On Index Finger Palmistry
खड़ी रेखा-
यदि तर्जनी के प्रथम पर्व पर खड़ी रेखायें हों तो धार्मिक उन्नति और उच्चता का लक्षण है। यदि द्वितीय पर्व पर ऐसी रेखायें हों तो जातक को अपनी महत्वाकांक्षा-पूर्ति में सहायता प्राप्त होगी। किन्तु यदि ये खड़ी रेखायें लहरदार या घिचपिच हों तो जातक की महात्वाकांक्षा का विषय कोई अच्छा न होगा। यदि द्वितीय पर्व पर कोई खड़ी रेखा शाखायुक्त हो तो वह सफलता का लक्षण है ।
यदि शुक्र-क्षेत्र से प्रारम्भ होकर कोई खड़ी रेखा तर्जनी के द्वितीय पर्व तक आवे तो ऐसा व्यक्ति बहुत उच्च चरित्र का होगा और उसे बहुत इज्जत प्राप्त होगी।
यदि तर्जनी के तृतीय पर्व पर छोटी-छोटी बिलकुल सीधी खड़ी रेखायें हों तो ऐसा व्यक्ति दूसरों पर भली प्रकार हुकूमत करता है। किन्तु यदि ये रेखा अस्पष्ट या लहरदार हों तो ऐसे व्यक्ति को सासारिक सुख के पदार्थों की विशेष इच्छा रहेगी। यदि साथ ही जीवन-रेखा से निकल कर ऊपर की ओर जाने वाली रेखा भी हों। (अर्थात हाथ में यह द्वितीय लक्षण भी हो) तो धन-प्राप्ति होती है।
आड़ी रेखा-
यदि तर्जनी के प्रथम पर्व पर आड़ी रेखायें हों तो धर्मान्धता का लक्षण है। यदि द्वितीय और तृतीय दोनों पर्वो पर ऐसी रेखा हों तो ईर्ष्यालु और दूसरे को धोखा देने की प्रवृत्ति होती है। यदि केवल तृतीय पर्व पर हों तो विरासत में धन मिलता है। ये लेख भारत के प्रसिद्ध हस्तरेखा शास्त्री नितिन कुमार पामिस्ट द्वारा लिखा गया है अगर आप उनके दवारा लिखे सभी लेख पढ़ना चाहते है तो गूगल पर इंडियन पाम रीडिंग ब्लॉग को सर्च करें और उनके ब्लॉग पर जा कर उनके लिखे लेख पढ़ें । हुकूमत के कार्य में बाधाएँ उपस्थित होती हैं। यदि अन्य लक्षण अस्वास्थ्य के हों तो यह कमजोर पाचन-शक्ति का भी लक्षण है।
क्रॉस चिह्न-
यदि तर्जनी के प्रथम पर्व पर क्रॉस-चिह्न हो तो पागलपन का रोग या अचानक मृत्यु होती है। पुष्टि के लिए अन्य लक्षणों का भी अन्वेषण करना चाहिए। यदि द्वितीय और प्रथम पर्व के बीच वाली गाड़ी रेखा पर 'क्रॉस'-चिह्न हो तो साहित्यिक । सफलता प्राप्त होती है । यदि द्वितीय पर्व पर एक या दो क्रॉस-चिह्न हों तो बड़े आदमियों का संरक्षिकत्व (सहायता) प्राप्त होता है। तृतीय पर्व पर क्रॉस-चिह्न होने से, कामुकता और अन्य खराब आदतें होती हैं।
तारे का चिह्न-
यदि तर्जनी के प्रथम पर्व पर तारे का चिह्न हो तो जातक के जीवन में कोई बहुत सौभाग्यशाली घटना होती है। यदि यह चिह्न द्वितीय पर्व पर हो और इसके दोनों ओर एक-एक खड़ी रेखा भी हो तो पातिव्रत्य का लक्षण है । पुरुषों के हाथ में एक-पत्नीव्रत समझना चाहिए। किन्तु यदि सारे के चिह्न के बगल में अर्धवृत्त चिह्न हो तो निर्लज्जता का लक्षण है। तृतीय पर्व पर तारे का चिह्ना हो तो भी निर्लज्जता होती है।
त्रिकोण-चिह्न-
यदि तर्जनी के प्रथम पर्व पर त्रिकोण-चिह्न हो तो धामिक ग्रंथों तथा गुप्त विद्याओं के अध्ययन की ओर विशेष प्रवृत्ति होती है। द्वितीय पर्व पर यह चिह्न होने से मनुष्य कुशल राजनीतिज्ञ होता है। तृतीय पर्व पर भी शुभ लक्षण है।
वर्ग-चिह्न-
यदि तर्जनी के प्रथम पर्व पर वर्ग-चिह्न हो तो मनुष्य में धैर्य और अध्यवसाय होता है। द्वितीय पर्व पर भी यही फल । तृतीय पर्व पर यह चिह्न होने से तानाशाही प्रकृति होती है । कामुकता का भी लक्षण है।
वृत्त-चिह्न-
प्रथम पर्व पर वृत्त-चिह्न होने से तर्क या ज्ञान-मार्ग की अपेक्षा भक्ति की ओर विशेष झुकाव होता है। द्वितीय पर्व पर महत्वाकांक्षाओं की सफलता का लक्षण है। तृतीय पर्व पर भी यही फल।
जाल-चिह्न-
यदि प्रथम पर्व पर हो तो जेल या निर्जन एकान्तप्रदेश में वास । अन्ध-धार्मिकता का भी लक्षण है-द्वितीय पर्व पर होने से दुष्प्रवृत्ति और असफलता। तृतीय पर्व पर होने से चरित्र अच्छा नहीं होता; जेल-यात्रा भी होती है।
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