दोषपूर्ण व निदाँष रेखाएँ - हस्तरेखा


 दोषपूर्ण रेखाओं का अध्ययन करते समय यह परम आवश्यक है कि दोनों हाथों को ध्यान पूर्वक देखा जाय अथवा रेखाओं को बारीकी से समझा जाय इस तरह किसी निर्णय पर आसानी से पहुंचा जा सकता है।

दोषपूर्ण व निदाँष रेखाएँ - हस्तरेखा 

दोषपूर्ण रेखाओं का अध्ययन करते समय यह परम आवश्यक है कि दोनों हाथों को ध्यान पूर्वक देखा जाय अथवा रेखाओं को बारीकी से समझा जाय इस तरह किसी निर्णय पर आसानी से पहुंचा जा सकता है।

यदि एक हाथ में खराब चिह्न और दूसरे में ऐसा न हो तो उसका परिणाम उतना बुरा नहीं होता जितना कि दोनों हाथों में होने पर।
उदाहरण- किसी व्यक्ति के दाहिने हाथ में जीवन रेखा खराब है या कड़ी हुई है अथवा उसमें कोई दोष है, ऐसी स्थिति में तीन तरीकों से मृत्यु टल सकती है।
1. बायें हाथ में जीवन रेखा निर्दोष व पूर्ण हो।
2. जीवन रेखा पुन: उदित होकर पूरी हो जाये।
3. कोई सहायक रेखा जीवन रेखा का स्थान ले लेवें।