ऐसी स्थिति में पिछला समय उनका अधकारमय कहा जा सकता है। इस काल में उन्हें विफलता और अनेक अपयश का सामना करना पड़ता है तथा मन प्रसन्न नहीं रहता उनके चेहरे पर प्रफुल्लता नहीं होती, उदासी उन्हें खूब प्रताड़ित करती है, जिससे वे व्याकुलता अनुभव करते हैं।
किन्तु इनका जीवन बाद में सुखमय होता है, समाज में सम्मान एवं यश मिलता है तथा उनकी रचना या कार्य इस समय सराहनीय हो जाती है। कुछ लोग ऐसे भी पाये गये हैं, जिन्हे संघर्ष करते-करते मृत्यु हो गयी, बाद में उनके कार्यों का फल उनके पुत्रादि को प्राप्त होता है। उन्हें जीते जी न कीर्ति मिलती है और न ही विपुल धन राशि। यदि हृदय रेखा से शुरु होने वाली सूर्य रेखा दोषी हो तो अपयश तथा दुख प्राप्त होता है वे दर-बदर ठोकरें खाते हैं।
उनकी कला ही बला बन जाती और गति स्थिति में पागल भी होते पाये गये हैं। उनकी मृत्यु मी भयानक और अशोभनीय होती है, जीवन का संघर्ष ही उनकी मृत्यु का कारण बन जाती है।