Broken Mars Line Palmistry

Broken Mars Line Palmistry

Meaning Of Broken Mars Line

Broken Mars Line/Gap between Mars Line/Split in two parts Mars Line indicates family loss, health problem and accident.

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Circle On Mount Of Mercury Indian Palmistry

Circle On Mount Of Mercury Indian Palmistry

It indicates danger from water or poisoning from contaminated water or food.

Small Thumb Image Palmistry


Small Thumb Image Palmistry



Small Thumb In Palmistry

Small thumb denotes that subject is follower and weak minded.


Stiff Thumb In Palmistry

Stiff Thumb is one which does not bend backwards like the supple thumb but remains stiff against any pressure to bend it backwards. Usually it tends to remain close to the hand. The individual with stiff thing to the test of his common-sense. He is cautious, determined. He plods along, does not spend lavishly and neither gives confidence nor invites but a steady person who does not attempt many things at a time rather successfully completes a few attempted. He has the sense of justice and great self control. The quality of skin consistency and color certainly make a large difference in qualities of this thumb. The coarse skin would make the possessor of stiff thumb stingy and hard hearted while fine skin will produce economy and sense of justice.

Generally there is brutal force behind the will of this thumb. If the second phalange is also developed and thick the arguments and reasoning are blunt and the person is too out spoken.

The consistency tells whether constructive energy or laziness is directing the will and logic. A weak thumb with energy is better than a good thumb spoiled by laziness of flabby consistency. Good thumb on a soft hand would like to exert itself but will get tired too early.

Square On Mount Of Mercury Palmistry

Square On Mount Of Mercury Palmistry

Square On Mount Of Mercury Palmistry
It saves a businessman from ruins and losses. It is a sign of security from restlessness and nervousness and the baser virtues of the Mount.

Lal Kitab Ke Vashikaran Ke Prabhavshali Totke Aur Mantra In Hindi

Lal Kitab Ke Vashikaran Ke Prabhavshali Totke Aur Mantra In Hindi


Lal Kitab Ke Vashikaran Ke Prabhavshali Totke Aur Mantra In Hindi



Lal kitab ke totke for vashikaran






Hast Rekha Gyan In Hindi With Picture

Hast Rekha Gyan In Hindi With Picture

Hast Rekha Gyan In Hindi With Picture




हस्तरेखा (Hindi)


















मंगल क्षेत्र से निकलने वाली सूर्य रेखा | हस्तरेखा शास्त्र | Mangal Parvat Se Surya Rekha Ka Shuru Hona


मंगल क्षेत्र से निकलने वाली सूर्य रेखा | हस्तरेखा शास्त्र 
मंगल क्षेत्र से निकलने वाली सूर्य रेखा | हस्तरेखा शास्त्र
मंगल क्षेत्र से निकलने वाली सूर्य रेखा वीरता एवं चेतना को प्रदान करती है, जिनमें यह रेखा विद्यमान होती है वे हमेशा उत्साही, साहसी, आशावान, निडर और वाचाल होते हैं।
इनमें निरन्तर आत्मविश्वास की लहर दौड़ती रहती है तथा आपत्तियों का मुकाबला करने से नहीं डरते, इनमें हठ भी पाया जाता है परन्तु जिस कार्य को हठ भावना से करते हैं उसमें सफल भी पाये जाते हैं। कभी-2 विद्रोह की भावना भी जाग्रत होती है तथा रुढ़िवादी रीतिरिवाजों के खिलाफ रहना इनकी विशेषता है।
इनका हृदय एक ओर कठोर और दूसरी ओर कोमल होता हैं ये न्याय के प्रति हमेशा उतावले रहते हैं तथा न्याय के लिए स्वत: की बलि देना अपना कर्तव्य समझते हैं।
युद्ध स्थल में ये सफल सैनिक प्रमाणित होते हैं। ये लोग विषम परिस्थिति में भी अपने मनोबल और बैभव से सफल पाये जाते हैं।

शुक्र क्षेत्र से निकलने वाली सूर्य रेखा | हस्तरेखा शास्त्र

शुक्र क्षेत्र से निकलने वाली सूर्य रेखा | हस्तरेखा शास्त्र

शुक्र क्षेत्र से निकलने वाली सूर्य रेखा | हस्तरेखा शास्त्र
शुक्र क्षेत्र से निकलने वाली सूर्य रेखा की यह प्रथम अवस्था होती है यह जीवन भाग्य, मस्तिष्क एवं हृदय रेखा को काटती हुई सीधी अपने स्थान रविक्षेत्र पर पहुंचती है। शुक्र क्षेत्र प्रेम का प्रतीक है, स्त्री का द्योतक है।

इस कारण उसकी उन्नति किसी महिला के द्वारा होती है, वही उसको भूमि, सम्पदा, धन आदि से सम्पन्न करती है। यह स्त्री स्वयं की पत्नी या प्रेमिका ही सकती है जो कि पवित्र प्रेम करती है।

मस्तिष्क रेखा में सूर्य के नीचे द्वीप | Hast Rekha


मस्तिष्क रेखा में सूर्य के नीचे द्वीप | Hast Rekha

sun mount island palmistry मस्तिष्क रेखा में सूर्य के नीचे द्वीप | Hast Rekha

मस्तिष्क रेखा में सूर्य के नीचे द्वीप

यह द्वीप मस्तिष्क रेखा में सूर्य की उंगली के नीचे पाया जाता है। यह व्यक्ति की आंख में रोग का लक्षण है। यदि हृदय रेखा में भी सूर्य की उंगली के नीचे कोई द्वीप हो या वहां बाहर से कोई रेखा आकर हदय रेखा को छूती हो तो निश्चित ही आंखों में दोष हो जाता है। यह द्वीप यदि गोलाकार अर्थात् वृत्त के आकार का हो तो व्यक्ति अन्धा हो जाता है।

ऐसे व्यक्ति की आंख में बाहर से आकर कोई चीज लगती है। सूर्य व शनि की उंगली के बीच मस्तिष्क रेखा में बड़ा द्वीप हो तो इस आयु में व्यक्ति के मस्तिष्क पर बड़ा भार पड़ता है या तो ये उदासीन हो जाते हैं या पागल अन्यथा मस्तिष्क में रसौली या खून का जमाव होकर लकवा हो जाता है। यह देखने की बात है कि द्वीप के दोनों ओर की रेखाएं मस्तिष्क रेखा जैसी या मौलिक मोटाई से कुछ कम मोटी होनी चाहिए। (नितिन पामिस्ट )

शुक्र पर्वत पर रेखाए | Shukra Parvat Hastrekha Vigyan


शुक्र पर्वत पर रेखाए | हस्तरेखा शास्त्र 

शुक्र पर्वत पर रेखाए | हस्तरेखा शास्त्र
जिन लोगो के हाथो में शुक्र क्षेत्र से आने वाली रेखाए जीवन रेखा को काटती हुई आगे बढ़ जाय और भाग्य रेखा को भी स्पर्श करें या भाग्य रेखा को भी काटकर आगे निकल जाय तो ऐसी रेखाए उन लोगो के विवाह सम्बन्ध तथा प्रेम सम्बन्ध में बाधक होती है।   ऐसे लोगो का विवाह देर से होता है अथवा अपनी पसंद के व्यक्ति के लिए भटकना पड़ता है।  इन सम्बन्धो में बाधा डालने वाले अधिकतर परिवार वाले ही होते है।

गदानुमा अंगूठा - हस्तरेखा | Gaddanuma Angutha - Hastrekha | Clubbed Thumb - Palmistry

गदानुमा अंगूठा - हस्तरेखा | Gadanuma Angutha - Hastrekha | Clubbed Thumb - Palmistry

गदानुमा अंगूठा - हस्तरेखा | Gadanuma Angutha - Hastrekha |  Clubbed Thumb - Palmistry

गदानुमा अंगूठा

जिस व्यक्ति का अंगूठा गद्दानुमा (सोंटा) होता है उनकी हिंसक प्रर्वती होती है । ऐसे व्यक्ति को किस बात पर गुस्सा आ जाय कहा नहीं जा सकता है । ऐसा अंगूठा ज्यादातर हत्यारे और असामाजिक व्यक्तियों के हाथ में पाया जाता है । ऐसे व्यक्ति नास्तिक होते है ।

Gadanuma Angutha:

Jis aadami ka anghuta gadanuma hota hai unki hinsak parvati hoti hai. Aise aadami ko kis baat pr gussa aa jaay kaha nahi ja sakta hai. Aisa angutha jyadatar hatayaare aur asamajik vyktiyo ke hath mein paya jata hai. Aise vykti jyadatar nastik hote hai.


Clubbed Thumb

Stubborn, ungovernable temper.

हृदय रेखा से शुरु होने वाली सूर्य रेखा | Hridya Rekha Se Surya Rekha Ka Shuru Hona


हृदय रेखा से शुरु होने वाली सूर्य रेखा
हृदय रेखा से शुरु होने वाली सूर्य रेखा | Hridya Rekha Se Surya Rekha Ka Shuru Hona
हृदय रेखा से शुरु होने वाली सूर्य रेखा को स्वामी कलाकारी, नाटक, कहानी उपन्यास काव्य, आदि कायों से लाभ कमाते हैं। यह रेखा उन्हें प्रौढ़ अवस्था में सफलता देती है। ऐसे व्यक्ति आरम्भ काल में सुखी एवं सम्पन्न नहीं होते । इस समय समाज में उन्हें निन्दा आदि का सामना करना पड़ता है।

ऐसी स्थिति में पिछला समय उनका अधकारमय कहा जा सकता है। इस काल में उन्हें विफलता और अनेक अपयश का सामना करना पड़ता है तथा मन प्रसन्न नहीं रहता उनके चेहरे पर प्रफुल्लता नहीं होती, उदासी उन्हें खूब प्रताड़ित करती है, जिससे वे व्याकुलता अनुभव करते हैं।
किन्तु इनका जीवन बाद में सुखमय होता है, समाज में सम्मान एवं यश मिलता है तथा उनकी रचना या कार्य इस समय सराहनीय हो जाती है। कुछ लोग ऐसे भी पाये गये हैं, जिन्हे संघर्ष करते-करते मृत्यु हो गयी, बाद में उनके कार्यों का फल उनके पुत्रादि को प्राप्त होता है। उन्हें जीते जी न कीर्ति मिलती है और न ही विपुल धन राशि। यदि हृदय रेखा से शुरु होने वाली सूर्य रेखा दोषी हो तो अपयश तथा दुख प्राप्त होता है वे दर-बदर ठोकरें खाते हैं।

उनकी कला ही बला बन जाती और गति स्थिति में पागल भी होते पाये गये हैं। उनकी मृत्यु मी भयानक और अशोभनीय होती है, जीवन का संघर्ष ही उनकी मृत्यु का कारण बन जाती है।

जीवन रेखा क्षेत्र से निकलने वाली सूर्य रेखा | Surya Rekha

जीवन रेखा क्षेत्र से निकलने वाली सूर्य रेखा

जीवन रेखा क्षेत्र से निकलने वाली सूर्य रेखा


जीवन रेखा क्षेत्र से निकलने वाली सूर्य रेखा व्यक्ति को कलात्मक बनाती है, उसकी यह कला विभिन्न रूप धारण करती है और विभिन्न श्रोतों से उसका परिचय देती है।
वह एक सिद्ध हस्त दस्तकार, दर्जा, शिक्षक, शिल्पी, गायक और संगीतज्ञ, तान्त्रिक तथा अभिनेता हो सकता है, इनकी कलाओं में आकर्षण होता है ।
यह कला इन्हे यश प्रदान करती है, किन्तु इन्हें परिश्रम द्वारा ही धन प्राप्त होता है, इन्हें सामान्य धनाभाव भी होता है। ये सौन्दर्य के अंधे और परम उपासक होते हैं।
इन्हे परिवार द्वारा सफलता नहीं मिलती, ये स्वतः के बलबूते पर उन्नति करते हैं तथा स्वावलम्बी होते हैं। इनके माता-पिता कम, शिक्षा के स्वामी होते हैं, निर्धन निष्क्रिय और संसार विरक्त भी पाये जाते हैं। सात्विक हाथ में यह रेखा अच्छी और निकृष्ट हाथों में सामान्य मानी जाती है।

हाथ के पर्वत और उन पर पाई जाने वाली बीमारीया | Parvat Aur Bimariya Hastrekha

हाथ के पर्वत और उन पर पाई जाने वाली बीमारीया 

बीमारी, पर्वतों से बीमारी के लक्षण कहाँ और कैसे होगे तथा उनकी प्रकृति क्या होगी इसका निर्णय पर्वतों की स्थिति देख कर की जा सकती है। सामान्य रूप में निम्नलिखित पर्वत अपने सामने अंकित बीमारी की सूचना प्रमुखता से देते हैं। जैसे:-
बीमारी, पर्वतों से बीमारी के लक्षण कहाँ और कैसे होगे तथा उनकी प्रकृति क्या होगी इसका निर्णय पर्वतों की स्थिति देख कर की जा सकती है।

1.बृहस्पति- अधिक ऊँचा रक्तविकार, फोड़े-पुंशी, हड्डी के रोग, आग से जलना तथा निम्नस्तर का उत्साहहीनता, दब्बूपन, भोजन ज्यादा, गैस से मूछ हाजमा खराब, द्वीप होनें पर धूम्रपान से फेफड़े खराब, शुक्र से सम्बन्धित होनें पर टी0 बी0 (कामुकता) के कारण लिवर खराब और जॉन्डिस ।

2. शनि- दबा हुआ डिप्रेशन, घाव, टाँग में तकलीफ, हड्डी रीढ़ की तकलीफ, गठिया शिराओं में तकलीफ, गैस्ट्रिक, महिलाओं में चन्द्र से सम्बन्धित होनें पर हिस्टिरिया तथा अति उच्च पर आत्महत्या की प्रवृत्ति।
3.सूर्य- आँख की तकलीफ, गठिया, बुखार, भावुकता के कारण एलर्जी। हृदय रोग
4 . मंगल - रक्तविकार , ऑपरेशन , अग्निभय , चोरी , एक्सीडेंट , एलर्जी , दमा, अंतड़ियों के रोग।
5. बुध- फोड़ा, हाजमा, बाहरी तौर पर निराशा । (नितिन पामिस्ट)
6. चन्द्र- किडनी, स्नायुरोग, पथरी, पेशाब की जलन, हिस्टिरिया, जलोदर, जलभय वातविकार, नींद में चलना ।
7. शुक्र- अधिक्तर छूत का गेग, यौन-रोग, वृद्धावस्था में पेशाब से सम्बन्धित होनें पर।
8.राहु- आँत, पेट, अचानक मृत्यु। (नितिन पामिस्ट )
9. केतु- चर्म रोग, सफेद दाग, रक्त विकार ।

मस्तक रेखा का निकास बृहस्पति पर्वत से होना | Mastak Rekha

मस्तक रेखा का निकास बृहस्पति पर्वत से होना  

बृहस्पति ग्रह आत्मसम्मान, महत्तकांक्षा, प्रौदता व शासन का प्रतीक है। हाथ में बृहस्पति उन्नत होने पर व्यक्ति सचरित्र, महत्वाकांक्षी तथा शासकीय प्रवृति के होते हैं।

बृहस्पति ग्रह आत्मसम्मान, महत्तकांक्षा, प्रौदता व शासन का प्रतीक है। हाथ में बृहस्पति उन्नत होने पर व्यक्ति सचरित्र, महत्वाकांक्षी तथा शासकीय प्रवृति के होते हैं। 

इसी प्रकार जिन लोगों की मस्तिष्क रेखा बृहस्पति से निकलती है, उन व्यक्तियों में स्वभावतः ही उपरोक्त सभी गुण आ जाते हैं। ऐसे व्यक्ति पुरुषार्थ से जीवन बनाते हैं तथा स्वयं के गुणों में निरन्तर वृद्धि करने वाले होते हैं। इनकी मस्तिष्क शब्द कोष होता है व ग्रहण-शक्ति अच्छी होती है। 

ये बैद्धिक त्रुटियां नहीं करते। संयोगवश यदि कोई गलती कभी कर जाएं तो पुनरावृति का तो प्रश्न ही नहीं उठता। 

महत्वाकांक्षा की विशेष भावना इनमें पाई जाने के कारण अध्ययन के समय ये गुट बना कर रहते हैं: रुढिवादिता इन्हें बिल्कुल पसन्द नहीं होती, अतः अपने परिवार वालों से इनका विरोध बना रहता है। अध्ययन में तो ये निपुण होते हैं, परन्तु मेहनती नहीं होते।

ऐसे व्यक्तियों की उंगलियां मोटी हों तो आत्म-सम्मान के कारण झगड़े आदि रहते हैं तथा मस्तिष्क रेखा की कोई शाखा मंगल पर जाती हो तो कत्ल जैसे लांछन भी जीवन में लगते हैं। यह सब, सम्मान अथवा महत्वाकांक्षा के कारण ही होता है। (नितिन कुमार पामिस्ट )


सुधारवादी दृष्टिकोण के कारण इनके चरित्र में धीरे-धीरे सुधार होता जाता है। यदि मस्तिष्क रेखा में कोई दोष जैसे लाल या काली न हो तो समय आने पर ऐसे व्यक्ति स्वयं पैरों पर खड़े हो जाते हैं। उगलियां पतली होने पर उपरोक्त दोषपूर्ण फल नहीं होते। 

ये स्वाभिमानी होते हैं, झुकना पसन्द नहीं करते और छोटी सी बात को भी बहुत महसूस करते हैं। कभी-कभी यहां तक नौबत आती है कि छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा कर बैठते हैं। यदि इनकं गृहस्थ-सम्बन्ध में जरा भी त्रुटि हो तो छोटी सी बात पर ही अपमान महसूस कर जाते हैं जैसे यदि पत्नी विना कहे कहीं चली जाए तो ये उसे लेने जाएं, ऐसा प्रश्न ही नहीं उठता। 

थोड़ा भी विरोध आपस में होने पर, दूसरे को ही झुकना पड़ता है। ऐसी स्त्रियां रोने में तेज, अड़ने वाली, शुरू में डरने वाली तथा बाद में बहादुर होती हैं। इन्हें छोटे काम करने में लज्जा अनुभव होती है।  कभी-कभी आत्मसम्मान की मात्रा यहां तक बढ़ जाती है कि यदि गलत बात मुंह से निकल जाए तो उसी पर अड़ जाते हैं। 

छोटा काम नहीं करने के कारण स्थायित्व देर से प्राप्त होता है क्योंकि जब तक इनकी रुचि का कार्य नहीं मिलता, तब तक ये अपने आपको स्थायी महसूस नहीं करते और लगातार काम बदलने की सोचते रहते हैं। ऐसे व्यक्तियों की भाम्य रेखा चन्द्रमा से निकली हो तो स्त्री लोलुप होते हैं। (नितिन कुमार पामिस्ट )

ये मिलनसार व दृढ़ निश्चयी भी होते हैं। जिससे इनका परिचय या मित्रता हो जाती हैं, जीवन भर निभाते हैं, मित्रता होती भी अधिक व्यक्तियों से है। स्वयं से कोई गलती या अपराध होने पर क्षमा मांगने में देर नहीं करते और यदि कोई व्यक्ति गलती करके इनसे क्षमा मांगे तो क्षमा भी कर देते हैं।

ऐसे व्यक्तियों की दृदय रेखा व मस्तिष्क रेखा यदि एक-दूसरे के समानान्तर हो तो बदले की भावना रहती हैं, जिसके पीछे पड़ते हैं, उन्हें जड़ से उखाड़ देते हैं। परोपकारी, व्यवहारिक व मानवोचिन गुण होने के साथ ही जैसे के साथ तैसा व्यवहार करने वाले होते हैं।

 ऐसे व्यक्ति झगड़े में कम पड़ते हैं और यदि किसी झगड़े में आ भी जाते हैं तो उसका निपटारा भी स्वयं ही कर देते हैं। मुकद्दमें लड़ने में यदि डिकरी भी हो जाए तो ऐसे व्यक्ति उन्हें क्षमा मांगने पर छोड देते हैं। पैसा देने या अन्य कोई वायदा ये करते हैं तो उसका पूर्णतया पालन करते हैं, चाहें अपना काम बन्द करके भी करना पड़े। अत: बाजार में इनकी साख होती है।

मस्तिष्क रेखा समानान्तर होने पर ये लम्बे  समय तक किसी बात को नहीं भूल सकते और अवसर आने पर बदला लिए बगैर नहीं छोड़ते। 

ऐसे व्यक्ति अपने शत्रु को जान से नहीं मारते, जीवित रखकर मुकाबला करते हैं या अहसान से मारते हैं। उत्तरदायित्व अधिक अनुभव करने के कारण ऐसे व्यक्ति उस समय तक विवाह नहीं करते जब तक ये अपने पैरों पर खड़े न हो जाएं।

अतः अपनी शादी तक रोक देते हैं तथा आदर्श पसन्द या अन्य किसी करण से इनकी शादी में कई बार विध्न पड़ता है।