Indications Of Court Case, Jail On Hand Palmistry


How To Avoid Lawsuit In Palmistry?

Lawsuit Indication In Palmistry

Generally bad sun line or island on sun line denotes court case, legal issues, lawsuit, etc.

Remedy to avoid lawsuit -


1)     Gazing at the Sun and its red glow with naked eyes as it rises is also a powerful remedy for weak Sun Line.
2)     To improve weak Sun Line should always have a glass of water with sugar before commencing a new project or leaving home.
3)     Providing medicines to the needy people is also a workable remedy for Sun.
4)     Donating clothes and things of red or ruby color is also an effective in this case.
5)     Wearing Ruby gemstone can also be considered to improve Sun Line.
6)     Throwing a copper coin in a river or canal consecutively for 43 days is highly beneficial.

Also Read - Marriage Line Cross By Health Line Palmistry

जीवन रेखा से ऊपर उठती हुई रेखा और नीचे गिरती हुई रेखा - हस्तरेखा शास्त्र

जीवन रेखा से ऊपर उठती हुई रेखा और नीचे गिरती हुई रेखा - हस्तरेखा शास्त्र 


जीवन रेखा से अगर रेखा नीचे गिर रही है तो वह स्वास्थ्य और समृद्धि में गिरावट दर्शाती है।
जीवन रेखा से अगर रेखा नीचे गिर रही है तो वह स्वास्थ्य और समृद्धि में गिरावट दर्शाती है।
जीवन रेखा से अगर रेखा ऊपर जा रही है तो वह स्वास्थ्य और समृद्धि में उन्नति दर्शाती है।

जीवन रेखा से अगर रेखा ऊपर जा रही है तो वह स्वास्थ्य और समृद्धि में उन्नति दर्शाती है। 

The Teacher's Square Palmistry


The Teacher's Square Palmistry





The Teacher's Square: A square on the Mount of Jupiter indicates ability to teach, lecture, or instruct.  


स्वास्थ्य-रेखा हस्तरेखा विज्ञान

स्वास्थ्य-रेखा

हस्तरेखा विज्ञान से स्वास्थ्य-रेखा की सम्पूर्ण जानकारी इस लेख में दी गयी है।

स्वास्थ्य-रेखा Health Line
सर्वप्रथम ये बताना आवश्यक है की ये लेख हस्तरेखा पर लिखी पुस्तक "प्रैक्टिकल पामिस्ट्री" से लिया गया है।

मानब के जीवन में स्वास्थ्य का महत्व सबसे अधिक माना है। व्यक्ति के पास यश, मान, पद, प्रतिष्ठा, तथा ऐश्वर्य हो परन्तु यदि उसके पास स्वास्थ्य की कमी हो तो उसका यह सारा वैभव एक प्रकार से व्यर्थ है। इसलिये शास्त्रों में स्वास्थ्य को सबसे उत्तम धन माना है। हस्तरेखा विशेषज्ञ को चाहिए कि वह जीवन रेखा का अध्ययन करने के बाद सबसे पहले स्वास्थ्य रेखा को ही अपयन करे।

उत्तम स्वास्थ्य का उसके पूरे जीवन और उसके कार्य-कलापों पर प्रभाव पड़ता है। यदि स्वास्थ्य उत्तम होता है तो वह सब कुछ कार्य कर सकता है, प्रत्येक कार्य में मानसिक और शारीरिक शक्ति लगा सकता है। परन्तु यदि स्वास्थ्य उसका साथ नहीं दे तो उसका जीवन एक प्रकार से व्यर्थ सा हो जाता है।

हुमेली में स्वास्थ्य-रेखा का उद्गम किसी भी स्थान से हो सकता है परन्तु यह बात निश्चित है कि इसकी समाप्ति बुध पर्वत पर ही होती है। कई बार ऐसा भी देखा गया है कि कोई एक रेखा प्रारंभ होकर बुध पर्वत की ओर आने का प्रयत्न करती है परन्तु बुध पर्वत तक नहीं पहुंच पाती। ऐसी स्थिति में वह रेखा स्वास्थ्य रेखा नहीं कहला सकती। स्वास्थ्य रेखा वह तभी कला सकती है जबकि वह बुध पर्वत को स्पर्श करे या बुध पर्वत पर पहुंचे। कुछ रेखाएं बुध पर्वत को मात्र स्पर्श करके ही रह जाती हैं ऐसी रेखा को भी बुध रेखा या स्वास्थ्य रेखा मान लेना चाहिए।

यह रेखा हथेली के किसी भी भाग से प्रारंभ हो सकती है। मुख्य रूप से इसका प्रारंभ निम्न स्थानों से होता है। यदि आप भारत के प्रसिद्ध हस्तरेखा शास्त्री नितिन कुमार पामिस्ट के लिखे लेख पढ़ना चाहते है तो उनके पामिस्ट्री ब्लॉग को गूगल पर सर्च करें "ब्लॉग इंडियन पाम रीडिंग" और उनके ब्लॉग पर जा कर उनके लिखे लेख पढ़ें ।

१. शुक्र पर्वत से।
२. जीवन रेखा के पास से ।
३. हृदय रेखा से।
४. चंद्र पर्वत से।
५. मणिबंध से ।
६. भाग्य रेखा से ।
७. मंगल पर्वत से।

जैसा कि मैं ऊपर पता चुका है कि स्वास्थ्य रेखा का प्रारंभ कही से भी हो सकता है परन्तु उस रेखा की समाप्ति बुध पर्वत पर ही होती है।

इस रेखा का भली भांति अध्ययन करना चाहिए । हथेली में यह रेखा जितनी अधिक स्पष्ट, निर्दोष व गहरी होती है संबंधित व्यक्ति का स्वास्थ्य इतना ही ज्यादा श्रेष्ठ एवं उन्नत होता है। उसका शरीर सुगठित और व्यक्तित्व, प्रभावशाली होता है। यदि हथेली में स्वास्थ्य रेखा टूटी हुई हो या कटी-फटी, छिन्न-भिन्न, लहरदार, या जंजीर के समान हो तो उस व्यक्ति का स्वास्थ्य अपने आप में कमजोर होगा। जीवन में उसे किसी भी प्रकार का कोई आनन्द नहीं रह पायेगा । व्यक्ति की हथेली में स्वास्थ्य रेखा का स्पष्ट होना बहुत अधिक जरूरी है।

कुछ हथेलियों में स्वास्थ्य रेखा का अभाव भी देखने को मिलता है। इस सम्बन्ध में मेरा यह अनुभव है कि स्वास्थ्य रेखा का न होना भी अपने आप में एक शुभ संकेत है। जिन व्यक्तियों के हाथों में स्वास्थ्य रेखा नहीं होती। वे स्वस्थ अाकर्षक और आनन्ददायक जीवन व्यतीत करने वाले होते हैं। ऐसे व्यक्ति किसी भी प्रकार के रोग से दूर रहते हैं तथा अपने पुरुषार्थ के बल पर सब कुछ करने के लिए तैयार रहते हैं।

जिस हथेली में यह रेखा चौड़ी होती है उसका स्वास्थ्य जीवन भर कमजोर रहता है। यदि यह रेखा कड़ी के समान जुड़ी हुई हो तो उसे जीवन भर पैट को बीमारी रहती है । यदि लहर के समान यह रेखा ऊपर की ओर बढ़ रही हो तो उसे जिगर की बीमारी अवश्य ही होती है। इस रेखा का पीलापन इस बात को स्पष्ट करता है कि ऐसा व्यक्ति पीलिया या रक्त से संबंधित बीमारी से पीड़ित रहेगा। स्वास्थ्य रेखा पर जितने अधिक बिन्दु होते हैं उसका स्वास्थ्य उतना ही ज्यादा खराब रहता है। यदि किसी की हथेली में स्वास्थ्य रेखा कई जगह से कटी हुई हो तो वह व्यक्ति जीवन भर बीमार बना रहता है।

आगे के पृष्ठों में मैं स्वास्थ्य रेखा से संबंधित कुछ विशेष तम्य स्पष्ट कर रहा हैं।

१. यदि स्वास्थ्य रेखा जीवन रेखा से मिली हुई न हो तो ऐसा व्यक्ति दीर्घायु होता है।

२. स्वास्थ्य रेखा जितनी अधिक लम्बी, स्वस्थ और पुष्ट होती है उस व्यक्ति का स्वास्थ्य उतना ही अधिक श्रेष्ठ कहा जाता है।

३. यदि स्वास्थ्य रेखा का प्रारंभ लाल हो तो उसे जीवन में हार्ट की बीमारी होती है।

४. यदि यह देखा मध्य में साल हो तो उसका स्वास्थ्य जीवन मर कमजोर बना रहता है ।

५. यदि यह रेखा अन्तिम स्थल पर लाल रंग की हो तो उसे सिर दर्द की मारी बनी रहती है।


६. यदि यह रेखा कई रंगों की हो तो उसे जीवन में पक्षाघात का सामना करना पड़ता है।

७, दि यह रेखा पीले रंग की हो तो उसे गुप्त रोग होते हैं।

८. यदि स्वास्थ्य रेखा चन्द्र पर्वत से होती हुई हथेली के किनारे किनारे पलकर बुध पर्वत तक पहुंचती हो तो वह जीवन में कई बार विदेश यात्राएं करता है।

६. यदि यह रेखा पलली तथा स्पष्ट हो एवं मस्तिष्क रेखा भी पुष्ट हो तो उस व्यक्ति की स्मरण-शक्ति अत्यन्त तीव्र होती है ।

१०. यदि इस रेखा पर तथा मस्तिष्क रेखा पर धब्बे हों तो व्यक्ति जीवन भर बीमार बना रहता है ।

११. यदि हथेली में स्वास्थ्य रेखा सुर्ख रंग की हो तो ऐसा व्यक्ति जरूरत से ज्यादा भोगी तथा कामी होता है ।

१२. यदि मस्तिष्क रेखा कमजोर हो या स्वास्थ्य रेखा लहरदार हो तो उसे पेट की बीमारी बनी रहती है।

१३. यदि बुध पर्वत पर यह रेखा आकर कट जाती हो तो ऐसे व्यक्ति को पित्त दोष होता है।

१४. यदि यह रेखा लाल रंग की होकर हृदय रेखा से बढ़ती हो तो उसका हृदय अत्यन्त कमजोर समझना चाहिए।

१५. यदि कोई स्वास्थ्य रेखा हृदय रेखा पर क्रास का चिह्न बनाती हो तो उसे मन्दाग्नि रोग रहता है।

१६. यदि स्वास्थ्य रेखा से कई सहायक रेखाएं निकलकर ऊपर की पोर बढ़ रही हों तो ऐसे व्यक्ति का स्वास्थ्य अत्यन्त श्रेष्ठ माना जाता है।

१७, यदि स्वास्थ्य रेखा लम्बी तथा लहरदार हो पर भाग्य रेखा कमजोर हो तो उसे जीवन में दांतों की बीमारी होती है।

१८. यदि स्वास्थ्य रेखा कमजोर हो एवं हृदय रेखा भी कमजोर हो तो ऑक्त दुर्बल मनोवृत्ति का होता है।

१६. यदि स्वास्थ्य रेखा के अन्तिम स्थल पर चतुर्भुज हो तो व्यक्ति देने के रोग से पीड़ित होता है।

२०, यदि उंगलियां कोषदार हों तथा स्वास्थ्य रेखा कमजोर हो तो व्यक्ति -सकवे के रोग से पीड़ित रहता है।

३१. यदि स्वास्थ्य रेखा से कई छोटी-छोटी शाखाएं नीचे की ओर जा रही हों तो उसका स्वास्थ्य जीवन भर कमजोर बना रहता है।

२२. यदि स्वास्थ्य रेखा से कोई प्रशाखा सूर्य पर्वत की ओर जा रही हो तो उस व्यक्ति के पास अतुलनीय धन होता है।

२३. यदि स्वास्थ्य रेखा की कोई प्रशाखा शनि पर्वत की मोर जा ही हो तो वह व्यक्ति स्वास्थ्य से गंभीर मननशील तथा दीर्घायु होता है।

२४. यदि स्वास्थ्य रेखा में चन्द्र रेखा आकर मिल रही हो तो वह व्यक्ति सफल कवि होता है तथा कई बार विदेश यात्राएं करता है।

२५. यदि स्वास्थ्य रेखा से कोई प्रशाखा अञ्च वृत्त सा बनाती हुई मंगल पर्वत की ओर जा रही हो तो वह व्यक्ति सफल भबिष्यवक्ता होता है।

२६. यदि मनुष्य की हथेली में स्वास्थ्य रेखा चलकर हृदय रेखा को काट रही हो तो उस व्यक्ति को मिर्गी का रोग होता है ।

२७. यदि लहरदार स्वास्थ्य रेखा भाग्य रेखा को स्पर्श कर लेती है तो उस इयक्ति का माग्य जीवन भर कमजोर बना रहता है।

२८. यदि ऐसी रेखा मस्तिष्क रेखा को छूती हो तो उस व्यक्ति का दिमाग अत्यन्त कमजोर रहता है।

२६. यदि लहरदार स्वास्थ्य रेखा सूर्य पर्वत को स्पर्श करती हो तो यह जीवन में कई बार बदनाम उठाता है।

३०. यदि स्वास्थ्य रेखा लहरदार हो तथा बुध पर्वत को पार करती हो तो उसे व्यापार में जबरदस्त हानि सहन करनी पड़ती है।

३१. यदि उंगलियां नोकीली हों और हथेली में स्वास्थ्य रेखा का अभाव हो तो वह व्यक्ति क्रियाशील होता है ।

३२. यदि बुध पर्वत अत्यन्त विक्षिप्त हो और स्वास्थ्य रेखा का अभाव हो तो वह व्यक्ति खुश मिजाज होता है ।

३३. यदि लहरदार बुध रेखा मुडकर शुक्र पर्वत की और जा रही हो तो उसे प्रेम के क्षेत्र में जबरदस्त धक्का लगता है।

३४. यदि स्वास्थ्य रेखा पर द्वीप का चिह्न हो तो उसे रक्त संबंधी बीमारियां होती हैं तथा उसके फेफड़े कमजोर होते हैं।

३५. यदि स्वास्थ्य रेखा के आस-पास कई छोटी छोटी रेखाएं हों तो इस व्यक्ति का स्वास्थ्य हमेशा कमजोर रहता है।

३६. यदि स्वास्थ्य रेखा जीवन रेखा से बहकर मस्तिष्क रेखा तथा हृदय रेखा को स्पर्श करती हुई आगे बढ़ती है तो उसे जीवन में कमजोरी हती है।

३७. यदि जीवन रेखा के साथ यह रेखा जुडी हुई हो परन्तु इस रेसी पर नीले घचे हों तो उसे हृदय रोग की शिकायत बनी रहती है।

३८. यदि मस्तिष्क रेखा के अन्त में तथा स्वास्थ्य रेषा के अन्त में कॉस हो तो वह व्यक्ति सफल होता है।

३१. यदि स्वास्थ्य रेखा कहीं पर चमकदार तथा कहीं पर फीकी हो अथवा इकों में बंटी हो तो उसका स्वास्थ्य जीवन भर कमजोर रहता है।

४०. वि स्वास्थ्य रेखा कमजोर और अत्यन्त पतली हो तो उसके चेहरे पर सुस्ती बनी रहती है।

४१. यदि स्वास्थ्य रेखा और सूर्य रेखा का परस्पर सम्बन्ध बन गया हो तो उस व्यक्ति का मस्तिष्क अत्यन्त उर्बर होता है।

४२. दि इस रेखा के अन्त में झाँस हो तथा मस्तिष्क रेखा पर भी क्रॉस का चिह्न हो तो व्यक्ति जीवन में अन्धा होता है।

४३. यदि स्वास्थ्य रेखा के मार्य में कहीं पर तिरछी रेखा कटती हो तो गायु के उस भाग में जबरदस्त एक्सीडेन्ट (दुर्घटना) होता है।

४४. यदि रेखा पर तारे का चिह्न हो तो उसे जीवन में परिवार का सहयोग नहीं मिलता है।

४५. यदि स्वास्थ्य रेखा के आस-पास क्रॉस का चिह्न हो तो उसके जीवन में कई बार दुर्घटनाएं घटित होती है।

४६. यदि राहु क्षेत्र पर गुजरते समय स्वास्म्य रेखा पर दीप का चिह्न हो तो ऐसा व्यक्ति टी ० ची ० के रोग से पीड़ित रहता है।

४७. यदि मस्तिष्क रेखा पर दीप का चिह्न हो और उस द्वीप के ऊपर से होकर स्वास्थ्य रेखा गुजर रही हो तो व्यक्ति का स्वास्थ्य जीवन में अत्यन्त कमजोर रहेगा।

४८ पदि भाग्य रेखा कटी हुई हो तथा स्वास्थ्य रेखा पर दीप का चिह्न हो तो व्यक्ति माथिक दृष्टि से पीड़ित रहता है।

४६. यदि स्वास्थ्य रेखा हथेली के अन्दर बंसी हुई सी हो तो उसे गुप्त रोग रहते हैं।

५०. स्वास्थ्य रेखा पर क्रॉस स्वास्थ्य की हानि की और ही संकेत करते हैं।

५१. यदि स्वास्थ्य रेखा पर नक्षत्र हों तो व्यक्ति को पारिवारिक सुख नहीं मिलता।

५२. यदि बुध रेखा तथा प्रणय रेखा आपस में मिली हुई हों तो उस व्यक्ति को पली का स्वास्थ्य जीवन भर कमजोर रहता है।

५३. यदि दोनों हाथों में स्वास्थ्य रेखा स्पष्ट हो तो वह व्यक्ति कामुक गौर भोगी होता है।

५४. यदि स्वास्थ्य रेखा दुहरी हो तो व्यक्ति श्रेष्ठ भाग्य का स्वामी होता है।

५५. यदि हरी घास्थ्य रेखा सूर्य पर्वत को भी स्पर्श करती हो तो वह मचि राजनीति में अत्यन्त बेष्ठ पत्र प्राप्त करता है।

५६. यदि स्वास्थ्य रेखा तथा हृदय रेखा का मिलन दुध पर्वत के नीचे हो तो उस व्यक्ति की मृत्यु हार्ट-अटैक से होती है।

५७, यदि स्वास्थ्य रेखा के साथ में कोई सहायक रेखा भी चल रही हो तो उस व्यक्ति का स्वास्थ्य अत्यन्त श्रेष्ठ समझना चाहिए ।

५८. यदि स्वास्थ्य रेखा ठीक हो परन्तु नाखूनों पर पीली धारियां हो तो उस व्यक्ति की असामयिक मृत्यु होती है।

५६. यदि स्वास्थ्य रेखा नीचे से पुष्ट परन्तु ऊपर चलते-चलते क्षीण होती जाती हो तो व्यक्ति की यौवनकाल में है। मृत्यु हो जाती है।

६. यदि स्वास्थ्य रैला मणिबन्ध से निकल रही हो पर टूटी हुई हो तो उस व्यक्ति की मृत्यु शीघ्र ही समझनी चाहिए।

६१. यदि स्वास्थ्य रेखा पर जाली का चिह्न हो तो व्यक्ति पूर्ण आयु नहीं भोगता ।

६२. यदि जीवन रेखा तथा स्वास्थ्य रेखा को आपस में संबंध हो जाय और ऊपर तारे का चिह्न हो तो व्यक्ति की मृत्यु यात्रा में होती है ।

६३. यदि जरूरत से ज्यादा लम्बे नाखून हों तो व्यक्ति को स्नायु संबंधी बीमारी होती है ।

६४. यदि नाखूनों का रंग नीला हो तो व्यक्ति पक्षाघात से पीड़ित रहता है। यदि नाखून छोटे-छोटे हों और स्वास्थ्य रेझा कटी हुई हो तो व्यक्ति को मिर्गी का रोग होता है।

६५. यदि जीवन रेखा कमजोर हो तथा बुध रेखा लहरदार हो तो उसे गठिया की बीमारी होती है।
६६, उत्तम स्वास्थ्य रेखा ही व्यक्ति के लिये सभी दृष्टियों से सुखदायक कहीं जाती है।

हस्तरेखा विशेषज्ञ को स्वास्थ्य रेखा का सावधानी के साथ अध्ययन करना पाहिए । इस रेखा से भविष्य में हम होने वाली बीमारियों तथा दुर्घटनाओं की जानकारी पहले से ही कर सकते हैं और इस प्रकार की चेतावनी देकर उसे सावधान कर सकते हैं।

वस्तुतः स्वास्थ्य रेखा का महत्व हथेली में अन्यतम है इसमें कोई दो राय नहीं।


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Surya rekha ki puri jankari di gayi hai.

आत्म हत्या की सम्भावना बताने वाले लक्षण | Hastrekha

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आत्म हत्या की सम्भावना बताने वाले लक्षण

1. मस्तिष्क रेखा झुककर मणिबन्ध तक पहुँचकर रुक जाये और वहाँ क्रॉस (Cross) हो।

2. मस्तिष्क रेखा ढालूदार (Sloping) हो और हाथ लम्बा हो, मस्तिष्क रेखा सामान्य से कहीं ज्यादा जीवन रेखा से जुडी चली गयी हो, चन्द्रपर्वत (Mount of Luna) अपने आधार पर उठा हुआ हो।

3. शनि पर्वत का भली प्रकार ऊँचा उठा होना, और उसके साथ ऊपर लिखे संख्या 2 वाले लक्षण पाये जायें।

4. सूच्याकार हाथ (Conic Hand) में अत्यधिक झुकी हुई मस्तिष्क रेखा हो।

5. मस्तिष्क रेखा, जीवन रेखा से घनिष्ठता से मिली हो, बृहस्पति पर्वत (Mount of Jupiter) दबा हो और शनि पर्वत शान से ऊँचा उठा हो।

Shirdi Sai Baba Manokamna Puri Karne Ka Mantra

Shirdi Sai Baba Manokamna Puri Karne Ka Mantra


Shirdi Sai Baba Manokamna Puri Karne Ka Mantra



Agar aapki job nahi lag rahi hai, naukari mein koi samasya hai, vivah nahi ho raha hai, shadi mein samasya hai, ya love relationship mein problem aa rahi hai (lover baat nahi kar raha ya shaadi ke liye ha nahi kar raha hai) ya aapka business nahi chal raha hai to aap is mantra ka prayog kar sakte hai.

Aapko ye mantra daily padna hai aur 7 guruwar ka upwas rakhna hai.  Shirdi Sai Baba ki kripa aap par jaldi hi hogi.

शिर्डी साईं बाबा कष्ट निवारण और मनोकामना पूरी करने का मंत्र

सदगुरू साईं नाथ महाराज की जय
कष्टों की काली छाया दुखदायी है, जीवन में घोर उदासी लायी है l
संकट को तालो साईं दुहाई है, तेरे सिवा न कोई सहाई है l
मेरे मन तेरी मूरत समाई है, हर पल हर शन महिमा गायी है l
घर मेरे कष्टों की आंधी आई है,आपने क्यूँ मेरी सुध भुलाई है l
तुम भोले नाथ हो दया निधान हो,तुम हनुमान हो तुम बलवान हो l
तुम्ही राम और श्याम हो,सारे जग त में तुम सबसे महान हो l
तुम्ही महाकाली तुम्ही माँ शारदे,करता हूँ प्रार्थना भव से तार दे l
तुम्ही मोहमद हो गरीब नवाज़ हो,नानक की बानी में ईसा के साथ हो l
तुम्ही दिगम्बर तुम्ही कबीर हो,हो बुध तुम्ही और महावीर हो l
सारे जगत का तुम्ही आधार हो,निराकार भी और साकार हो l
करता हूँ वंदना प्रेम विशवास से,सुनो साईं अल्लाह के वास्ते l
अधरों पे मेरे नहीं मुस्कान है,घर मेरा बनने लगा शमशान है l
रहम नज़र करो उज्ढ़े वीरान पे,जिंदगी संवरेगी एक वरदान से l
पापों की धुप से तन लगा हारने,आपका यह दास लगा पुकारने l
आपने सदा ही लाज बचाई है,देर न हो जाये मन शंकाई है l
धीरे-धीरे धीरज ही खोता है,मन में बसा विशवास ही रोता है l
मेरी कल्पना साकार कर दो,सूनी जिंदगी में रंग भर दो l
ढोते-ढोते पापों का भार जिंदगी से,मैं गया हार जिंदगी से l
नाथ अवगुण अब तो बिसारो,कष्टों की लहर से आके उबारो l
करता हूँ पाप मैं पापों की खान हूँ,ज्ञानी तुम ज्ञानेश्वर मैं अज्ञान हूँ l
करता हूँ पग-पग पर पापों की भूल मैं,तार दो जीवन ये चरणों की धूल से l
तुमने ऊजरा हुआ घर बसाया,पानी से दीपक भी तुमने जलाया l
तुमने ही शिरडी को धाम बनाया,छोटे से गाँव में स्वर्ग सजाया l
कष्ट पाप श्राप उतारो,प्रेम दया दृष्टि से निहारो l
आपका दास हूँ ऐसे न टालिए,गिरने लगा हूँ साईं संभालिये l
साईजी बालक मैं अनाथ हूँ,तेरे भरोसे रहता दिन रात हूँ l
जैसा भी हूँ , हूँ तो आपका,कीजे निवारण मेरे संताप का l
तू है सवेरा और मैं रात हूँ,मेल नहीं कोई फिर भी साथ हूँ l
साईं मुझसे मुख न मोड़ो,बीच मझधार अकेला न छोड़ो l
आपके चरणों में बसे प्राण है,तेरे वचन मेरे गुरु समान है l
आपकी राहों पे चलता दास है,ख़ुशी नहीं कोई जीवन उदास है l
आंसू की धारा में डूबता किनारा,जिंदगी में दर्द , नहीं गुज़ारा l
लगाया चमन तो फूल खिलायो,फूल खिले है तो खुशबू भी लायो l
कर दो इशारा तो बात बन जाये,जो किस्मत में नहीं वो मिल जाये l
बीता ज़माना यह गाके फ़साना,सरहदे ज़िन्दगी मौत तराना l
देर तो हो गयी है अंधेर ना हो,फ़िक्र मिले लकिन फरेब ना हो l
देके टालो या दामन बचा लो,हिलने लगी रहनुमाई संभालो l
तेरे दम पे अल्लाह की शान है,सूफी संतो का ये बयान है l
गरीबों की झोली में भर दो खजाना,ज़माने के वली करो ना बहाना l
दर के भिखारी है मोहताज है हम,शंहंशाये आलम करो कुछ करम l
तेरे खजाने में अल्लाह की रहमत,तुम सदगुरू साईं हो समरथ l
आये हो धरती पे देने सहारा,करने लगे क्यूँ हमसे किनारा l
जब तक ये ब्रह्मांड रहेगा,साईं तेरा नाम रहेगा l
चाँद सितारे तुम्हे पुकारेंगे,जन्मोजनम हम रास्ता निहारेंगे l
आत्मा बदलेगी चोले हज़ार,हम मिलते रहेंगे बारम्बार l
आपके कदमो में बैठे रहेंगे,दुखड़े दिल के कहते रहेंगे l
आपकी मर्जी है दो या ना दो,हम तो कहेंगे दामन ही भर दो l
तुम हो दाता हम है भिखारी,सुनते नहीं क्यूँ अर्ज़ हमारी l
अच्छा चलो एक बात बता दो,क्या नहीं तुम्हारे पास बता दो l
जो नहीं देना है इनकार कर दो,ख़तम ये आपस की तकरार कर दो l
लौट के खाली चला जायूँगा,फिर भी गुण तेरे गायूँगा l
जब तक काया है तब तक माया है,इसी में दुखो का मूल समाया है l
सबकुछ जान के अनजान हूँ मैं,अल्लाह की तू शान तेरी शान हूँ मैं l
तेरा करम सदा सब पे रहेगा,ये चक्र युग-युग चलता रहेगा l
जो प्राणी गायेगा साईं तेरा नाम,उसको मुक्ति मिले पहुंचे परम धाम l
ये मंत्र जो प्राणी नित दिन गायेंगे,राहू , केतु , शनि निकट ना आयेंगे l
टाल जायेंगे संकट सारे,घर में वास करें सुख सारे l
जो श्रधा से करेगा पठन,उस पर देव सभी हो प्रस्सन l
रोग समूल नष्ट हो जायेंगे,कष्ट निवारण मंत्र जो गायेंगे l
चिंता हरेगा निवारण जाप,पल में दूर हो सब पाप l
जो ये पुस्तक नित दिन बांचे,श्री लक्ष्मीजी घर उसके सदा विराजे l
ज्ञान , बुधि प्राणी वो पायेगा,कष्ट निवारण मंत्र जो धयायेगा l
ये मंत्र भक्तों कमाल करेगा,आई जो अनहोनी तो टाल देगा l
भूत-प्रेत भी रहेंगे दूर ,इस मंत्र में साईं शक्ति भरपूर l
जपते रहे जो मंत्र अगर,जादू-टोना भी हो बेअसर l
इस मंत्र में सब गुण समाये,ना हो भरोसा तो आजमाए l
ये मंत्र साईं वचन ही जानो,सवयं अमल कर सत्य पहचानो l
संशय ना लाना विशवास जगाना,ये मंत्र सुखों का है खज़ाना l
इस पुस्तक में साईं का वास,जय साईं श्री साईं जय जय साईं l



Shirdi Sai Baba Manokamna Puri Karne Ka Mantra




Kashton ki kali chaya dukhdayi hai, Jeewan me ghor udasi layi hai 

Sankat ko talo sai duhai hai, Tere siwa na koi sahayi hai 

Mere man teri surat samai hai , Har pal har kshan mahima gayi hai 

Ghar mere kashton ki aandhi aayi hai, Aapne kyun meri sudh bhulayi hai 

Tum bholenaath ho daya nidhan ho, Tum hanuman ho maha balwan ho 

Tumhi ram aur shyam ho, Saare jagat mein tum sabse mahan ho 

Tumhi mahakali tumhi maa shaarde, Karta hoon prarthna bhav se taar de 

Tumhi mohhammad ho gareeb nawaz ho, Nanak ki vani mein eesa ke saath ho 

Tumhi digambar tumhi kabir ho, Ho budh tumhi aur mahaveer ho 

Saare jagat ka tumhi aadhar ho, Niraakar bhi aur saakar ho 

Karta hu vandana prem vishwas se, suno sai allah ke vaste 

adharo pe mere nhi muskaan hai, Ghar mera banna laga shamshan hai 

Reham nazar karo ujre viran pe, Zindagi sawaregi ek vardan se 

Paapo ki dhoop se tan laga haarne, Aapka ye das laga pukaarne 

Aapne sada hi laaj bachayi hai, Der na ho jaaye man shankayi hai 

Dheere dheere dheeraj hi khota hai, Man me basa vishwas hi rota hai 

Meri kalpana saakar kar do, Sooni zindagi me rang bhar do 

Dhote dhote paapon ka bhaar zindagi se, Main gaya haar zindagi se 

Naath avgun ab to bisaaro, Kashton ki lehar se aake ubaaro 

Karta hu paap main paapo ki khan hu, Gyani tum gyaneshwar main agyan hu l

Karta hu pag pag par paapo ki bhool main, Taar do jeewan charno ki dhool se 

Tumne ujda hua ghar basaya, Paani se Deepak bhi tumne jalaya 

Tumne hi shirdi ko dhaam banaya, Chhote se gaon mein swarg sajaya 

Kasht paap shrap utaro, Prem daya drishti se nihaaro 

Aapka daas hu aise naa taaliye, Girne laga hu sai sambhaliye 

Saiji balak main anaath hu, Tere bharose rehta din raat hu 

Jaisa bhi hoon, hoon to aapka, Keeje nivaran mere santaap ka 

Tu hai sawera aur main raat hoon, Mel nhi koi phir bhi saath hoon 

Saiji mujhse mukh naa modo, Beech majhdaar akela na chodo 

Aapke charno mein base pran hain, Tere vachan mere guru saman hain  

Aapki raah pe chalta daas hai, Khushi nhi koi jeewan udas hai 

Aansoo ki dhaara mein doobta kinaara, Zindagi mein dard , nhi guzaara 

Lagaya chaman to phool khilaao, Phool khile hai to khushboo bhi laao 

Kar do ishara to baat ban jaye, Jo kismat me nhi wo mil jaaye 

Beeta zamana ye gaake fasana, Sarhade zindagi maut tarana 

Der to ho gayi hai andher na ho, Fikr mile lekin fareb na ho 

Deke taalo ya daaman bacha lo, Hilne lagi rehnumayi sambhalo 

Tere dam pe allah ki shaan hai, Sufi santon ka ye bayan hai 

Gareebon ki jholi me bhar do khazana, Zamane ke wli na karo bahana 

Dar ke bhikhari hain mohtaaj hain hum, Shehenshahe aalam karo kuch karam 

Tere khazaane mein allah ki rehmat, Tum sadguru saiji ho samarth 

Aaye ho dharti pe dene sahara, Karne lage kyun humse kinaara 

Jab tak ye brahmand rahega, Sai tera naam rahega 

Chaand sitare tumhe pukaarenge, Janmojanam hum rasta nihaarenge 

Aatma badlegi chole hazar, Hum milte rahenge baarambar 

Aapke kadmo mein baithe rahenge, Dukhde dil ke kehete rahenge 

Aapki marzi hai do ya na do, Hum to kahenge daaman hi bhar do 

Tum ho data hum hain bhikhaari, Sunte nhi kyun araz hmari 

Achchha chalo ek baat bta do, Kya nhi tumhaare paas bta do 

Jo nhi dena hai inkaar kar do, Khatam ye aapas ki takrar kar do 

Laut k khali chala jaaunga, Phir bhi gun tere gaaunga 

Jab tak kaaya hai tab tak maaya hai, Isi mein dukhon ka mool samaya hai 

Sab kuch jaan ke anjaan hu main, Allah ki tu shaan teri shaan hu main 

Tera karam sada sabpe rahega,Ye chakra yug yug chalta rahega 

Jo prani gayega saiji tera naam, Usko mukti mile pahuche param dhaam 

Ye mantra jo praani nit din gaayege, Raahu ketu shaani nikat na aayenge 

Tal jaayenge sankat saare, Ghar mein vaas Karen sukh saare 

Jo shraddha se karega pathan, Us par dev sabhi ho prasann 

Rog samool nasht ho jayenge, Kasht nivaaran mantra jo gaayenge 

Chinta harega nivaran jaap, Pal mein door ho sab paap 

Jo ye pustak nit din baanche, Shri lakhmi ji ghar uske sada viraaje 

Gyan buddhi praani wo paayega, Kasht nivaran mantra jo dhyayega 

Ye mantra bhakto kamal karega, Aayi jo anhoni to taal dega 

Bhoot prêt bhi rahenge door, Is mantra mein sai shakti bharpoor 

Japte rahe jo mantra agar, Jaado tona bhi ho beasar 

Is mantra mein sab gun samaye, Na ho bharosa to aazmaye 

Ye mantra saiji vachan hi jaano, Swayam amal kar satya pehchaano 

Sanshay na laana vishwas jagana, Ye mantr sukhon ka hai khazana 

Is pustak mein sai ka vas, Jai sai shri sai jai jai sai 

OM SAI RAM !!!