हथेली पर ग्रहों के स्थान - हस्तरेखा | Mounts On Hand Palmistry


हथेली पर ग्रहों के स्थान - हस्तरेखा | Mounts On Hand Palmistry


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार निर्धारित हैं जिनके गहन अध्ययन से जातक के फलाफल का ज्ञान होता है। वे इस प्रकार हैं : ग्रहों के स्थान को ग्रहों के पर्वत के नाम से भी जाना जाता है। जैसे सूर्य के स्थान को सूर्य का पर्वत, शुक्र के स्थान को शुक्र का पर्वत कहा जाता है। यदि पैनी दृष्टि से इनका अध्ययन किया जाए तो ग्रहों के पर्वतों को विकसित, अविकसित एवं निम्न देखकर ग्रहों की जानकारी वैसे ही मिल सकती है जैसे कि किसी जन्मपत्री से मिलती है।


ग्रहों के पर्वत से संकेत
गुरु - तर्जनी के मूल - धर्म, मानसम्मान, नेतृत्व, महत्वाकांक्षा, अधिकार, प्रभुत्व।
शानि - मध्यमा मूल - शिक्षण, अध्ययन, चिंतन, धृष्णा, एवं घुटन आदि।
सूर्य - अनामिका मूल - कला, प्रतिभा, यश, सफलता, महानता, तेज, आदर-सम्मान।
बुध - कनिष्ठा मूल - बुद्धि, व्यवसाय, विज्ञान एवं चातुर्य।।
शुक्र - अंगूठे का मूल - प्रणय, वासना, सहदयता, कला आदि।
चंद्र - शुक्र पर्वत के सामने - कल्पना, रहस्य, स्वार्थ, वासना एवं कलात्मक प्रगति का सूचक।
निम्न मंगल - शुक्र एवं गुरु पर्वत के बीच - हिंसा एवं क्रोध ।
उच्च मंगल - चंद्र एवं बुध पर्वत के बीच - साहस, धर्म , नैतिकता , धैर्य ।

नितिन कुमार पामिस्ट