ज्योतिष शास्त्र में हाथ में त्रिभुज सूर्य पर्वत पर होना | Triangle On Mount Of Sun
त्रिभुज रवि या सूर्य क्षेत्र परः—जिस मनुष्य के हाय में यह न्यून त्रिभुज सुन्दर, साफ, स्पष्ट तथा निर्दोष रूप से रवि क्षेत्र पर विद्यमान हो, ऐसा मनुष्य बड़ा ही धार्मिक, परोपकारी, सदैव दूसरे मनुष्यों के दुखदर्द में काम आने वाला, ज्ञान विज्ञान का ज्ञाता, चित्रकार, दस्तकार, कलाकार होता है। ये लेख भारत के प्रसिद्ध हस्तरेखा शास्त्री नितिन कुमार पामिस्ट द्वारा लिखा गया है अगर आप उनके दवारा लिखे सभी लेख पढ़ना चाहते है तो गूगल पर इंडियन पाम रीडिंग ब्लॉग को सर्च करें और उनके ब्लॉग पर जा कर उनके लिखे लेख पढ़ें । जिसके लिये वह बड़े-बड़े पारितोषिक पाकर यशस्वी बन जाता है उसकी प्रतिभा इतनी प्रखर होती है कि एक ही बार में किसी भी वस्तु का सारांश निकालकर अपने मस्तिष्क में धर लेता है और उसकी प्रतिकृति सजीव-सी बनाकर मनमुग्ध बना देता है। दर्शक वाह-वाह कर उठते हैं ।
वह जिस कार्य में भी हाथ डालता है सफलता प्राप्त करता है। और वह कभी भी किसी भी कार्य में अपयश या बदनामी का भागी नहीं होता। इसके प्रतिकूल यदि यह त्रिभुज किसी प्रकार भी दूषित हो जाय तो मनुष्य अपने कार्यों में सफल नहीं होता और बदनामी सिर पर आती हैं।
त्रिभुज और भी जगह हाथ में पाया जाता है। आप वरुण क्षेत्र पर ट्रायंगल का क्या मतलब होता है वो यहाँ पढ़ सकते है - ट्रायंगल वरुण पर्वत पर होना हस्तरेखा
त्रिभुज रवि या सूर्य क्षेत्र परः—जिस मनुष्य के हाय में यह न्यून त्रिभुज सुन्दर, साफ, स्पष्ट तथा निर्दोष रूप से रवि क्षेत्र पर विद्यमान हो, ऐसा मनुष्य बड़ा ही धार्मिक, परोपकारी, सदैव दूसरे मनुष्यों के दुखदर्द में काम आने वाला, ज्ञान विज्ञान का ज्ञाता, चित्रकार, दस्तकार, कलाकार होता है। ये लेख भारत के प्रसिद्ध हस्तरेखा शास्त्री नितिन कुमार पामिस्ट द्वारा लिखा गया है अगर आप उनके दवारा लिखे सभी लेख पढ़ना चाहते है तो गूगल पर इंडियन पाम रीडिंग ब्लॉग को सर्च करें और उनके ब्लॉग पर जा कर उनके लिखे लेख पढ़ें । जिसके लिये वह बड़े-बड़े पारितोषिक पाकर यशस्वी बन जाता है उसकी प्रतिभा इतनी प्रखर होती है कि एक ही बार में किसी भी वस्तु का सारांश निकालकर अपने मस्तिष्क में धर लेता है और उसकी प्रतिकृति सजीव-सी बनाकर मनमुग्ध बना देता है। दर्शक वाह-वाह कर उठते हैं ।
वह जिस कार्य में भी हाथ डालता है सफलता प्राप्त करता है। और वह कभी भी किसी भी कार्य में अपयश या बदनामी का भागी नहीं होता। इसके प्रतिकूल यदि यह त्रिभुज किसी प्रकार भी दूषित हो जाय तो मनुष्य अपने कार्यों में सफल नहीं होता और बदनामी सिर पर आती हैं।
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