मस्तक रेखा (मस्तिष्क रेखा) के प्रकार और गुण - दोष | हस्तरेखा


हस्तरेखा | मस्तक रेखा से फलादेश करे
मस्तक रेखा (मस्तिष्क रेखा) का फलादेश 

आप जब भी मस्तिस्क रेखा से फलादेश करे तो यह अतिआवश्यक है की आप दोनों हाथो की मस्तक रेखा को देखकर ही फलादेश करे।  यहाँ बताये गए मस्तक रेखा के सभी योग से फलादेश करते समय इस नियम का पालन करे फिर ही फलादेश करे।

मस्तक रेखा के प्रकार 

1. यदि हाथ में छोटी मस्तक रेखा हो तो उसका मतलब कम उम्र या यह नहीं की व्यक्ति के पास दिमाग नहीं है या फिर कोई मानसिक विकृति है। मंदबुधि लोगो के हाथ में भी मस्तक रेखा निर्दोष और बड़ी होती है। छोटी मस्तक रेखा वाला व्यक्ति भी जीवन में अपने मस्तिष्क के बल पर सभी उच्चाई प्राप्त कर सकता है।  मस्तक रेखा से व्यक्ति की सोच व कार्यशैली का अनुमान लगाया जाता है।

2. मस्तक रेखा ज्यादातर लोगो के हाथो में जीवन रेखा के साथ जुड़कर ही प्रारंभ होती है लेकिन कई लोगो के हाथो में अलग से कुछ दूरी बना कर भी प्रारंभ होती है।

3. मस्तक रेखा यदि जीवन रेखा के साथ मिलकर प्रारंभ होती है तो उसका अर्थ होता है ऐसा व्यक्ति किसी भी कार्य को बहुत सोच समझ कर करता है ! ऐसा व्यक्ति हमेशा सतर्क रहता है। ऐसा व्यक्ति व्यर्थ की चिंता बहुत करता है।

4. मस्तक रेखा यदि जीवन रेखा के अन्दर से अर्थार्थ निम्न मंगल पर्वत से जीवन रेखा को काटते हुए निकले तो ऐसे व्यक्ति का स्वाभाव झगडालू व ईर्ष्यालु होता है।  ऐसे व्यक्ति को बचपन में सर पर चोट लगने की सम्भावना रहती है।

5. मस्तक रेखा यदि जीवन रेखा के साथ मिलकर हथेली के मध्य तक जाती है तो ऐसा व्यक्ति हमेशा कार्य को कल पर टालने वाला होता है।  ऐसे व्यक्ति का मन अस्थिर होता है।  ऐसे लोग स्वाभाव से शर्मीले, अंतर्मुखी व एकांतप्रिय होते है।  ऐसे व्यक्ति दिल के कमज़ोर होते है।  ऐसे व्यक्ति को आँख, नाक और कान से संभंधित बीमारी होने की सम्भावना ज्यादा रहती है।

6. यदि मस्तक रेखा गुरु पर्वत से प्रारंभ होती है तो ऐसा व्यक्ति बहुत महत्वकांक्षी होता है।  ऐसे व्यक्ति न्यायप्रिय होते है व जल्दबाज होते है।

7. यदि मस्तक रेखा और जीवन रेखा के बीच अंतर ज्यादा होता है तो ऐसे व्यक्ति की विचारधारा स्वतंत्र होती है।  ऐसे व्यक्ति की बहुत कम लोगो से ही बन पाती है।  ऐसे व्यक्ति का स्वभाव बहुत जिद्धि और लापरवाह होता है।  ऐसे व्यक्ति किसी भी व्यक्ति के दवाब में रहना पसंद नहीं करते।

8. यदि मस्तक रेखा से निकल कर कोई शाखा गुरु पर्वत पर जाती है तो ऐसे व्यक्ति कला-साहित्य में रुचि रखते है।  ऐसे व्यक्ति अहंकारी होते है।

9. मस्तक रेखा यदि गुरु पर्वत के नीच खंडित हो तो व्यक्ति को उच्चाई से गिर कर चोट लगने का खतरा रहता है।  गुरु पर्वत से संभंधित बीमारी व तकलीफ होने की सम्भावना रहती है।

10. यदि मस्तक रेखा शनि पर्वत के नीचे खंडित हो तो व्यक्ति को किसी धारदार वस्तु या हथियार से सर में चोट लगने का खतरा रहता है वह शनि पर्वत से संभंधित बीमारी व तकलीफ होने की सम्भावना रहती है।

11. यदि मस्तक रेखा सूर्य पर्वत के नीचे खंडित हो तो व्यक्ति को अक्स्मात चोट लगने व ज्यादा अवसाद के चलते मस्तक में रक्त का दवाब बढ़ जाने के कारण से मस्तक की नस का फट जाना।  वह सूर्य पर्वत से संभंधित बीमारी व तकलीफ होने की सम्भावना रहती है।

12. यदि मस्तक रेखा बुध पर्वत के नीचे खंडित हो तो व्यक्ति को व्यपारिक व पारिवारिक अवसाद का सामना करना पड़ता है। वह बुध पर्वत से संभंधित बीमारी व तकलीफ होने की सम्भावना रहती है।

13. यदि मस्तक रेखा बुध पर्वत की और मुड जाय तो ऐसा व्यक्ति विज्ञान और खोज कार्यो में रुचि लेता है।

14. यदि मस्तक रेखा सूर्य पर्वत की और मुड जाय तो ऐसा व्यक्ति कला और साहित्य में रुचि लेता है।

15. यदि मस्तक रेखा लहरदार, द्वीपयुक्त व जंजीरदार हो तो ऐसे व्यक्ति को सर सम्बंधित रोग होता है व ऐसा व्यक्ति अस्थिर विचारधारा वाला होता है व सदैव चिंतित रहता है।

16. यदि मस्तक रेखा और हृदय रेखा आपस में बहुत पास - पास हो तो दमा और मस्तिस्क-ज्वर होने की सम्भावना रहती है।

17. मस्तक रेखा अगर चन्द्र पर्वत पर चली जाय तो व्यक्ति की विचारधारा कल्पनाशील होती है।

18. यदि हाथ में दोहरी मस्तक रेखा हो उसका अर्थ ये नहीं की व्यक्ति के पास दो मस्तक होंगे लेकिन ऐसा व्यक्ति हमेशा दुविधा में रहता है।

19. यदि मस्तक रेखा पुष्ट व लम्बी हो जो हथेली को सीधे पार करती हुई हो तो ऐसे व्यक्ति की याददास्त बहुत तेज होती है।

20. दोमुखी मस्तक रेखा होने पर व्यक्ति सोचता अधिक है और चंचलता रहती है ज्यादातर ऐसे लोग कवि, लेखक, या अध्यापक बनते हुए देखे गए है या अच्छे सेल्समेन  होते है ।