भाग्य रेखा का अंत गुरु पर्वत पर होना
भाग्य रेखा ( कर्म रेखा या फिर शनि रेखा ) मणिबंध से उठ कर हाथ के बीच में ही समाप्त हो जाती है या फिर शनि क्षेत्र तक जाती है । शनि क्षेत्र तक जाने के कारण इसे बहुत से लोग शनि रेखा भी कहते हैं किन्तु बहुत से हाथों में यह शनि क्षेत्र को नहीं जाकर बृहस्पति के क्षेत्र को चली जाती है ।