जब जीवन रेखा इस प्रकार की हो कि उसमें एक मोड़ दिखाई पड़े तो वह मुड़ी हुई जीवन रेखा कहलाती है । जीवन रेखा और मस्तक रेखा के मिली होने पर ऐसा प्रतीत होता है कि जीवन रेखा का उदय मस्तिष्क रेखा से ही शनि के नीचे से ही हुआ है परन्तु जब मस्तिष्क रेखा जीवन रेखा से अलग होकर रेखा के समानान्तर चल कर, मोड़ खाकर मस्तिष्क रेखा से अलग होती है। ऐसी रेखा को मुड़ी हुई जीवन रेखा कहते हैं, ऐसी जीवन रेखा दोनों हाथ में कम ही देखी जाती हैं। प्राय: एक ही हाथ मे ऐसी रेखा देखने में आती है तथा एक पिता की एक ही सन्तान के हाथ में यह रेखा पाई जाती है। दोनों हाथों में ऐसे लक्षण होने पर यह विशेष फलकारी होती है।
ऐसे व्यक्ति अपने जीवन में विशेष सफलता प्राप्त करने वाले होते हैं। साधारण हाथों में यदि अन्य लक्षणों के साथ-साथ मुड़ी हुई जीवन रेखा हो तो व्यक्ति की आर्थिक स्थिति पहले के मुकाबले में तीन गुनी अधिक अच्छी होती है। अत: यह लक्षण आर्थिक दृष्टि से बहुत ही उत्तम माना जाता है। दोनों हाथों में मुड़ी हुई जीवन रेखा होने पर तो अभूतपूर्व आर्थिक स्थिति होती है। इतना अवश्य कहा जा सकता है कि ऐसे व्यक्ति देर से स्थायित्व प्राप्त करते हैं, किन्तु भाग्य रेखा व अन्य लक्षण अच्छे होने पर आरम्भ से ही स्थायित्व प्राप्त कर लेते हैं। ऐसे व्यक्ति बहुत धनी रहते हैं। परन्तु मुड़ाव का समय निकलने के पश्चात् ही यह सब उपलब्धियां दिखाई पड़ती हैं। जिस समय तक मुड़ाव रहता है रुकावट, परेशानी, धन की कमी, विरोध तथा रोग आदि का सामना करना पड़ता है।
ऐसे व्यक्ति क्रोधी, सीधे, लापरवाह , स्वतन्त्र विचारों के व परिवार के लिए त्याग करने वाले होते हैं। ये किसी पर निर्भर रहना पसन्द नहीं करते। आरम्भ में नौकरी करते हैं तथा अवसर मिलते ही व्यापार में चले जाते हैं। ये इरादे के पक्के होते हैं।
स्त्री होने पर ऐसी स्त्रियां स्वतन्त्र, जिद्दी, पति के चरित्र पर शक करने वाली, अधिक बोलने वाली, साधारण तथा रोगणी होती हैं। इनके पति इनमें रुचि नहीं लेते। ऐसे पुरुषों को घर से बाहर रहने की आदत होती है या परिस्थिति-वश घर से बाहर रहते हैं। ऐसी स्त्रियां अपने सास-ससुर के साथ रहना पसन्द नहीं करती और अपने पति को अलग रहने की सलाह देती हैं। ये छोटी बातों को भी अधिक महसूस करने वाली होती हैं। आरम्भ में दाम्पत्य जीवन मोड़ की आयु तक कलहपूर्ण रहता है।
ऐसे व्यक्तियों का स्वयं का स्वास्थ्य, मध्य आयु में ठीक नहीं रहता तथा इसका प्रभाव इनके एक बच्चे के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। इनके आने वाली पीढ़ी में लम्बाई अपेक्षाकृत अधिक पाई जाती है। इस लक्षण के अलावा कान व पेट में दोष, घुटनों में दर्द, पत्नी को गर्भाशय दोष व स्वयं को अण्डकोष में दर्द आदि रोग पाये जाते हैं। हाथ कठोर होने पर यदि मुड़ी हुई जीवन रेखा गोलाई में न होकर सीधी हो तो कमर की हड्डी में दोष होता है। प्राय: देखा गया है कि कमर की हड्डी अपने स्थान से खिसक जाती है तथा उसका आपरेशन कराना पड़ता है। वस्तुत: ऐसे व्यक्तियों के शरीर में कैल्शियम की कमी रहती है। बुढ़ापे में इनकी कमर झुक जाती है।