भाग्य रेखा निकास के स्थान से जीवन रेखा के पास आने पर अन्तर कम हो जाता है तो इस प्रकार की भाग्य रेखा को जीवन रेखा के पास आई हुई रेखा मानते हैं। कभी-कभी तो इसकी दूरी आधा या चौथाई इंच तक ही रहती है। एक से अधिक भाग्य रेखाएं इस दोष के फल का लगभग निराकरण कर देती हैं (चित्र-115) ।
यह भाग्य रेखा जीवन में कई प्रकार के झंझट या उतार-चढ़ाव का लक्षण है। ऐसे व्यक्ति लिहाज अधिक करते हैं। इनका परिवार किन्हीं कारणवश इक्कठा रहता है और इन्हें सह-परिवार के साथ निर्वाह करना होता है। कुछ और नहीं तो इन्हें अपने परिवार से लगाव अधिक होता है। चाहते या नहीं चाहते हुए भी इन्हें अपने परिवार की लगातार सहायता करनी पड़ती है, जिससे स्वयं के निर्माण की ओर ध्यान नहीं जाता। कई बार घर के किसी उत्तरदायी व्यक्ति की मृत्यु होने से परिवार का भार कन्धों पर आने पर भी ऐसी परिस्थिति उत्पन्न होती है।
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