यह मध्यमा से छोटी और कनिष्ठा से बड़ी होती है। इसके मूल में सूर्य का पर्वत है। अत: सूर्य की अंगुली भी कही जाती है।
इस अनामिका की लंबाई यदि तर्जनी से बड़ी हो तो जातक दिनानुदिन उन्नति करता है। सद्व्यवहार, दया, सहदयता आदि उचित गुणों से भरा होता है। समाज में प्रतिष्ठा का पात्र माना जाता है।
यदि अनामिका की लंबाई मध्यमा के बराबर हो तो जातक क्रूर स्वभाव के परम स्वाथी और निदनीय होते हैं। अपने थोड़े लाभ के लिए दूसरों का अधिक से अधिक अनिष्ट करने में नही हिचकते। ये भाग्यवादी होते हैं। नितिन कुमार पामिस्ट
अत: परिश्रम में विश्वास नहीं करते। फिर भी जो पूंजी पास होती है उसे सत्कर्म में व्यय न करके अनुचित मार्गों में, जुआ, सट्टा, लाटरी एवं कुसंगतियों में ही व्यय करते हैं।
मध्यमा अंगुली को ओर यदि अनामिका झुकी हुई हो तो आध्यात्मिक स्वभाव को प्रदर्शित करती है। जातक एक महान चिंतक के रूप में जाना जाता है।
अनामिका का यह झुकाव यदि कनिष्ठा की ओर हो तो जातक का संपूर्ण जीवन व्यापार में समर्पित होता है। व्यापार से लाभान्वित भी होता है। अनामिका का सिरा नुकीला हो तो चित्रकला एवं संगीत के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त करते है।
यदि नाखून वाला पर्व वर्गाकार हो तो एक कलाकार के रूप में धनोपार्जन करते हैं, कला के क्षेत्र में यशस्वी भी होते है। नितिन कुमार पामिस्ट
अनामिका का यदि प्रथम पर्व लंबा हो तो कला के क्षेत्र में रुचि को प्रदर्शित करता है। द्वितीय पर्व लंबा हो तो अपनी प्रतिभा से सभी क्षेत्रों में आगे पहुँच पाता है। अपने प्रतिष्ठा के स्तर की और अधिक से अधिक सम्मानित बनाता है।
यदि सबसे नीचे का पर्व लंबा हो तो जातक अपने जीवनकाल में देश में सम्मानित होता है। यह प्रतिष्ठा संपूर्ण देश व्यापी होती है। नितिन कुमार पामिस्ट
अनामिका की लंबाई मध्यमा के बराबर होना यह प्रमाणित करता है कि जातक के जीवन काल में आकस्मिक घटनाओं एवं कायी का सिलसिला होगा।
नितिन कुमार पामिस्ट