तर्जनी के बाद आनेवाली अंगुली के मूल में शनि का पर्वत होता है, अतएव इसे शनि की अंगुली भी कहते हैं और पाँचों अंगुलियों में से बीच (मध्य, मध्यम) में इसका स्थान होता है। अतः मध्यमा भी कहा जाना स्वाभाविक ही है।
यह तर्जनी से कुछ न कुछ बड़ी अवश्य होती है। यदि यह लंबाई मात्र चौथाई इंच तक अधिक हो तो जातक बुद्धिमान, व्यावहारिक एवं शुभ कायों को कुशलतापूर्वक संपादन करनेवाला होता है।
यदि मध्यमा चौथाई इंच से और अधिक लंबाई में हो तो शुभ नहीं कहा जा सकता क्योंकि जातक अभाव एवं कठिनाइयों के साथ अपना दिन व्यतीत करने के लिए बाध्य होता है।
तर्जनी से मध्यमा यदि आधे इंच से भी अधिक लम्बाई में बड़ी हो तो जातक निश्चित रूप से अपने जीवन में कभी न कभी हत्यारा प्रमाणित होगा। वह निश्चित रूप से हत्या करता है। नितिन कुमार पामिस्ट
यदि मध्यमा अंगुली लंबी होने के साथ-साथ गाँठदार भी हो तो निश्चित रूप से स्वाथी होगा। चिंताओं से ग्रसित रहेगा।
ऊपरी सिरा वर्गाकार हो और मध्यमा लंबी हो तो जातक गंभीर स्वभाव का, धैर्यवान एवं लगनशील होता है। ऐसे व्यक्तियों को जो भी जिम्मेदारी सौंपी जाती है उसे ये सफलतापूर्वक निभाते हैं। ध्यान रहे, मध्यमा अंगुली का प्रथम पर्व लंबा ही तो आत्महत्या की संभावना रहती है। नितिन कुमार पामिस्ट
मध्यमा का द्वितीय पर्व यदि अपेक्षाकृत लंबा हो तो जातक व्यापारी हो सकता है और वह व्यापार मशीन या मशीन संबंधी पार्ट पुजों का होगा।
यदि मध्यमा का सबसे निचला पर्व बढ़ा होगा तो जातक निश्चित रूप से कंजूस होगा। उचित समय पर भी व्यय नहीं करेगा जिससे कभी-कभी अपनी या अपनों के जान और प्रतिष्ठा खतरे में पड़ जाती है। नितिन कुमार पामिस्ट
मध्यमा का तर्जनी की ओर झुकाव हो तो आत्मविश्वास, दृढ़ इच्छाशक्ति का सूचक है। ऐसे जातक लाख बाधाओं के सामने आने पर भी अपनी इच्छाशक्ति के सहारे उद्देश्य की पूर्ति करते हैं। यही झुकाव यदि अनामिका की ओर हो तो भाग्यवादी स्वभाव का ही जातक होता है। कला, मनोरंजन आदि की ओर रुचि होती है।
नितिन कुमार पामिस्ट