तर्जनी के बाद मध्यमा अंगुली का स्थान है जिसके मूल में शनि का स्थान या पर्वत माना जाता है। यदि यह पर्वत हथेली पर सुस्पष्ट न हो तो सफलता और सम्मान से जातक वंचित रहते हैं। स्पष्ट है शनि पर्वत के पूर्ण विकसित होने से जातक भाग्यवान होता है।
अपने प्रयत्नों से सफलता प्राप्त करता है। इन सफलताओं को प्राप्त करने में इतनी तल्लीनता होती है कि ये घर-गृहस्थी, अपने परिवार वालों से भी कटे-कटे रहते हैं, एकांतप्रिय माने जाते हैं। इनका जन्म यदि 21 दिसंबर से 21 जनवरी या कुछ हद तक 28 जनवरी के बीच हुआ हो तो शारीरिक रूप से एकाकी का अनुभव करते हैं, जबकि 21 जनवरी और 18 फरवरी के बीच या कुछ हद तक 26 फरवरी के बीच जन्म लेनेवाले जातक मानसिक रूप से एकाकीपन का अनुभव करते हैं।
अर्थात देखने में तो ये सभा, समारोह एवं सामाजिक कायों में भाग लेते हैं जैसे कि इन्हें अकेला रहने का मौका ही न मिलता हो लेकिन बात ऐसी नहीं होती, मानसिक रूप से ये अपने आपको सदा अकेला ही समझते हैं। जैसे कि अपना कहनेवाला इनका कोई नही हो।
शनि का सुस्पष्ट पर्वत प्रमाणित करता है कि जातक विद्वता संबंधी किसी भी क्षेत्र में अग्रणी हो सकता है। चाहे वह जादूगरी, साहित्य, विज्ञान, रसायन या कोई और क्षेत्र हो।
अंगुली का सिरा यदि नुकीला हो तो जातक कल्पनाप्रिय होगा यदि ऐसा न होकर वर्गाकार हो तो कृषि अथवा रसायन के क्षेत्र से जातक जुड़ा होगा। नितिन कुमार पामिस्ट
पर जैसा कि कहा गया है "अति कहीं भी अच्छी नहीं", ठीक वही बात यहाँ भी लागू होती है। यदि जातक का शनि पर्वत बहुत अधिक सुस्पष्ट न होकर बहुत अधिक उभरा हुआ हो तो बहुत अधिक भाग्यशाली नहीं कहा जाता बल्कि बुरा प्रभाव पड़ता है। यहाँ तक कि जातक आत्महत्या तक करने के योग से जुड़ जाता है। अंगुली का सिरा यदि नुकीला हो तो जातक कल्पनाप्रिय होगा यदि ऐसा न होकर वर्गाकार हो तो कृषि अथवा रसायन के क्षेत्र से जातक जुड़ा होगा। नितिन कुमार पामिस्ट
ऐसे व्यक्ति स्वभाव से ठग, डाकू एवं लुटेरे का जीवन भी व्यतीत करते हैं जो अकाल मृत्यु का कारण भी हो सकता है। इनके हाथ प्रायः पीलापन लिए होते है। हथेली की त्वचा पांडु (कामला) के रोगी की तरह पीला होता है। स्वभाव से भी ये चिड़चिड़े होते हैं। नितिन कुमार पामिस्ट
शनि पर्वत बढ़कर गुरु पर्वत से मिल रहा हो तो आदर एवं सम्माननीय होने की योग्यता को प्रकट करता है। यदि यही झुकाव रवि या सूर्य पर्वत की ओर हो तो जातक काम से जी चुराने वाला (आलसी), निर्धन एवं पूर्ण भाग्यवादी होते हैं।
ऐसे भाग्यवादी की इनके हाथों सौ जान की हत्याएँ भी हो जाएँ तो ये इतना कहकर संतोष करते हैं कि ईश्वर की यही मजी थी। इस तरह आप इन्हें अंधविश्वासी भी कहेंगे। यदि शनि पर्वत के साथ-साथ बुध पर्वत भी विकसित हो तो व्यक्ति सफल वैद्य या सफल व्यापारी होगा जिसे हमेशा अर्थोपार्जन के श्रोत बने ही रहेंगे। शनि पर्वतधारी जातक में एक विशेषता होती है कि वह अपने मित्र को, उपकार करनेवालों को नहीं भूलता।
बदले में अपना खून तक देने को तैयार होता है। ठीक इसी तरह दुश्मनों को भी वह नहीं भूलता। अपने दुश्मन की करतूतों को दिनों नहीं, महीनों नही, वर्षों तक याद रखता है और मौका देखते ही प्रतिशोध लेने में नहीं हिचकता। बदले में कितनी ही हानि या जोखिम क्यों न उठानी पड़े! ऐसे जातक गठिया, पैर में दर्द, दुर्घटना, पैर, घुटने आदि में चोट, जिगर, गुर्दा, स्नायु एवं पेट संबंधी रोगों के शिकार हो सकते हैं।
नितिन कुमार पामिस्ट
पढ़ें - जीवन रेखा से आयु विचार करना हस्तरेखा