Shukra Parvat | Mount of Venus In Hindi Palmistry

शुक्र (Venus) क्षेत्र - Hastrekha

Shukra Parvat | Mount of Venus In Hindi Palmistry

शुक्र पर्वत अंगूठे के दूसरे पोर के नीचे जीवन रेखा (आयु रेखा) के अंदर उस प्रमुख रक्तवाहिनी के ऊपर अवस्थित होता है जिसे अंग्रेजी में ग्रेट पामर आर्क (Great Palmer Arch)
इस रक्तवाहिनी के ऊपर स्थित इस पर्वत के सुविकसित होने का अर्थ है रक्तवाहिनी में रकत का प्रवाह समुचित रूप से होना। स्पष्ट है जहाँ, जिस शरीर में, रक्त परिभ्रमण (Blood Circulation) समुचित होगा, शरीर अवश्य ही सुंदर और स्वस्थ होगा। शरीर सुंदर और स्वस्थ होगा तो शरीर की एक-एक ग्रंथियाँ भी स्वस्थ होगी, वे उचित मात्रा में हारमोस (Hormones) स्रवित करेंगी। हारमोस से जातक का स्नायुतंत्र प्रभावित होता है, फिर कामुकता भी सामान्य रूप से जागती है।
ऐसे व्यक्ति चूँकि अंदर से भी स्वस्थ होते हैं, अतः कभी-कभी अतुलनीय धैर्य और साहस का परिचय देते हैं। ये अपने प्रशसित व्यक्तित्व से सामने वालों का दिल जीतने में सफल होते हैं। ऐसे जातक जो सुंदर, स्वस्थ एवं व्यवहार में पटु हों, बातचीत में दक्ष हों, तो अवश्य ही सर्वप्रिय माने जाते हैं। नितिन कुमार पामिस्ट
स्पष्ट है कि यदि ये पर्वत सुविकसित न हों तो जातक कामभावना से हीन, कायर, स्वभाव से दब्बू ही होंगे। उन्हें साधु संन्यासी का जीवन व्यतीत करने को बाध्य होना पड़ेगा। पारिवारिक जीवन इन कारणों से किरकिरा होगा। खीचातानी के बीच ही ये जी सकेगे। नितिन कुमार पामिस्ट

यदि यह पर्वत सामान्य उभार के बदले अति उभरा हुआ हो और मस्तिष्क रेखा सुंदर न हो (सोच-समझ की शक्ति कम हो) तो भोगी और कामी के रूप में, निश्चित रूप से बदनामी जीवन में आएगी।
खुरदरे हाथ के साथ यदि शुक्र पर्वत बहुत अधिक उभरा हो तो भी जातक मात्र एक पत्नीव्रती नहीं रह सकेंगे, ऐयाशी स्वभाव के होंगे। बदनामी ही इनके संबंध में चर्चा का विषय होगा। नितिन कुमार पामिस्ट
शुक्रक्षेत्र प्रधान जातक को गले और नाक के रोग होने की संभावना रहती है। सिर और कान के दर्द, रसौली (Tumour), औतों के विकार, आंत्रपुच्छ प्रदाह आदि कष्ट हो सकते हैं।

नितिन कुमार पामिस्ट