भाग्य रेखा से भाग्य रेखा निकलना | Bhagya Rekha Ka Bhagya Rekha Se Nikalna Hast Rekha

भाग्य रेखा से भाग्य रेखा निकलना | Bhagya Rekha Ka Bhagya Rekha Se Nikalna Hast Rekha



भाग्य रेखा से भाग्य रेखा निकलना | हस्त रेखा 

हमको अनेकों हाथों में भाग्य रेखा मुख्य भाग्य रेखा से निकलती हुई देखी जाती है।

यह एक उत्तम लक्षण होने पर अचानक भाग्योदय होने का सूचक है। जिस आयु में यह रेखा भाग्य रेखा से निकलती हैंए कोई न कोई उत्तम कार्य किया जाता है जो कि पूरे जीवन को स्थायी कर जाता है। इस आयु से
व्यक्ति स्वतन्त्र रूप से जीवन यापन भी आरम्भ कर देता है। भाग्य रेखा के  भाग्य रेखा से निकलने या भाग्य रेखा के होते हुए दूसरी भाग्य रेखा होने या शनि क्षेत्र या चन्द्रमा से भाग्य रेखा निकलने पर यह जरूरी नहीं कि जिस आयु में भाग्य रेखा निकलती हैए उसी आयु में लाभ भी होए इसका फल जीवन में उससे पहले या बाद में या आयु भर मिलता रहता है। किन्तु मस्तिष्क रेखाए सूर्य रेखा या जीवन रेखा से निकली भाग्य रेखा का चमत्कार उसी आयु में प्रकट होता हैए जिसमें यह निकलती है।

भाग्य रेखा से निकल कर भाग्य रेखा पहली भाग्य रेखा की साथ चलती ही या भाग्य रेखा के साथ कोई दूसरी भाग्य रेखा बिल्कुल सटी हुई हो तो उस आयु में कोई समानान्तर यौन सम्बन्ध या विवाह होता है। ऐसी भाग्य रेखा के साथ शुक्र उन्नत हो तो उस आयु में कार्य में उन्नति का लक्षण है परन्तु जीवन व मस्तिष्क रेखा निर्दोष हो और हृदय रेखा की कोई शाखा मस्तिष्क रेखा पर नहीं मिलनी चाहिए। शक्र सम होने पर दोहरे आय के साधन होते हैं परन्तु शुक्र उन्नत होने पर दो स्त्रियां रखने का लक्षण हैं।