हस्तरेखा से कैसे जाने की जातक नौकरी करेगा या व्यवसाय ?
जीवन में एक ऐसा पड़ाव भी आता है कि हमें अपने करियर का या व्यवसाय का चुनाव करना पडता है। करियर का चुनाव करते समय अपनी रूचि को अधिक प्राथमिकता दी जाती है। हस्त रेखाओं व ग्रहों की सहायता लेना व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में सफल बनाने में काफी सहायक होते हैं। इन प्रश्नों का उत्तर पाने के लिये सर्वप्रथम शनि रेखा फिर सूर्य रेखा, मस्तिष्क रेखा, जीवन रेखा, बुध रेखा तथा अंगूठे के मध्य विभाजित रेखा को देखें। उनसे स्पष्ट उत्तर न मिले तो हथेली, पर्वत तथा उंगलियों के लक्षण देखें। एक लक्षण के आधार पर भविष्यवाणी न करें।
रोजगार के लिये शुभ लक्षण
शनि रेखा से तनिक फासले पर समानांतर रेखा आय को दो साधन खताती हे | अत्यंत निकष्ट की समानांतर रेखा को कुठार रेखा कहते हैं। इससे जातक के संघर्ष के समय का पता चलता है। चंद्र पर्वत से शनि रेखा निकल कर शनि पर्वत को जाये तो धन प्राप्ति का साधन नैतिक होता है किंतु इस रेखा का वास्तविक लाभ तब होता है जब रेखा शनि के क्षेत्र में प्रवेश करती है । एक से अधिक शनि रेखाय होने से आय के साधन अधिक होते है । निर्दोष और गोलाकार जीवन रेखा भी हो तथा भारी हाथ हो तो लाभ निश्चित है । शनि रेखा शुरुवात में मोती और बाद में पतली हो तो पतली होने समय सौभाग्य का उदय होता है । मोटी शनि रेखा के समाप्त होने का समय दुर्भाग्य का अंत करता है । यदि रेखा आरम्भ में पतली हो तो सौभाग्य बढ़ता है। यदि शनि रेखा न हो और अकेली सूर्य रेखा हो तो यश व परीक्षा आदि अन्य प्रयत्नों से सफलता मिलती है। यदि जीवन रेखा आरम्भ में दो भागों में बंट जाये तो आरंभिक काल कष्टमय बाद में भाग्योदय होता है। जीवन रेखा के टूटनें का समय रोजगार परिवर्तन या निवास परिर्वतन का होता है। हृदय रेखा के ऊपर को त्रिकोण अधिक लाभदायक हैं नीचे अथति मस्तिष्क रेखा की ओर कम लाभदायक हैं। यदि शनि रेखा और जीवन रेखा दूषित हो तो उन त्रिकोणों का लाभ संघर्ष के बाद प्रौढ़ावस्था में मिलता है। मस्तिष्क रेखा टूटी हो तो मानसिक परेशानियों ए के कारण रोजगार में बाधा आती है।
यदि शनि रेखा मस्तिक रेखा से निकले तो बौद्धिक कार्य से लाभ मिलता है। गहरी शनि रेखा हृदय रेखा पर रूको तो साझेदारी हानिकारक होती है। चंद्र पर्वत की मोटी प्रभाव रेखा मोटी शनि रेखा को काट दे तो साझेदारी या विवाह का सम्बन्ध कष्टकारी होता है। जीवन रेखा अधूरी हो तो साझे में कष्ट और साझेदारी करते समय साझेदार की कनिष्ठिका उंगली यदि बहुत लंबी हो या टेढ़ी हो तो जमा पूंजी को खतरा है। हाथ तथा सख्त त्वचा वाले व्यक्ति श्रम के कार्यो में सफलता पाते है । मस्तक रेखा यदि दोनों हाथो में एक जैसे हो तो परिवार में जो काम चल रहा होता है उसकी को अपनाने से लाभ मिलता है । बुध रेखा अच्छी हो व कनिष्ठका अच्छी हो तो व्यापार में लाभ मिलता है । शनि पर्वत पर त्रिकोण हो तो गुप्त विद्याओ में सफलता जैसे - ज्योतिष मंत्र योग व अध्यात्म आदि । बुध पर्वत पर त्रिकोण या चतुष्कोण हो तो जातक अच्छा वक्ता होता है, उसे राजनीति में जाना चाहिये । तर्जनी लंबी हो, गुरु पर्वत पर त्रिकोण हो तो व्यक्ति साफ सुथरी राजनीति करता है, नाम पाते हैं, धन की हानि करते हैं। चन्द्र पर्वत पर त्रिकोण हो तो आध्यात्मिक क्षेत्र में विकास होता है। साथ में मध्यमा लम्बी हो और शनि रेखा ठीक हो तो व्यक्ति एकांतवास करता है। यदि कनिष्ठिका लंबी हो त्तो आध्यात्मिक क्षेत्र उनको व्यापार का साधन होता है। उंगलियां गठीली हों तो अनुसंधान के कार्य में रूचि होती है। उगलियां कोमल हों, गांठ दिखाई न दे तो कलाओं और कल्पना के कार्य में सफल होते हैं, साथ में यदि सूर्य रेखा हो तो लाभ और यश मिलता है। लंबी उंगलियां, लंबी हथेली, लचोली त्वचा के जातक योजना बनाने तथा मस्तिष्क प्रधान कायाँ में सफल होते हैं। रक्षात्मक मंगल से प्रभाव रेखा निकल कर सूर्य को जाये तो राजनीति में सफलता मिलती हैं। गुरु पर्वत पर त्रिशूल हो तो धन-संपत्ति, वाहन का सुख मिलता है।
हस्त रेखाओं के आधार पर व्यवसाय का चुनाव-
1. बुध ग्रह पर तीन या तीन से अधिक खड़ी रेखायें हों, भाग्य रेखा पहले मोटी तथा बाद में पतली हों और मस्तिष्क और जीवन रेखायें लंबी हों तो जातक आयुर्वेद की शिक्षा या मेडिकल की शिक्षा ले सकता है।
2. मस्तिष्क रेखा निदोष होकर मंगल ग्रह पर जाती हो, बुध ग्रह व शनि ग्रह बली हों, हाथ भारी हों, ऐसे व्यक्ति को कानून संबंधी या विज्ञान संबंधी शिक्षा लेनी चाहिये |
3. उगलियां लंबी होने पर मस्तिष्क रेखा विभाजित होकर एक शाखा के चंद्र ग्रह पर जाने, सूर्य व चन्द्र ग्रह के उत्तम होने, भाग्य रेखा के मणिबंध से उदय होकर शनिग्रह तक पहुंचने, जीवन रेखा के गोल होने और अधूरी होने की स्थिति में मस्तिष्क रेखा के उन्नत होने से, गाना-बजाना , पशुपालन , बागवानी , आदि कार्यो में सफलता मिलती है ।
4. गुरु ग्रह प्रधान होने पर सूर्य ग्रह, उत्तम जीवन रेखा, गोल भाग्य रेखा के जीवन रेखा से दूरी पर होने, मस्तिष्क रेखा निदोष या डबल होने पर जातक आई.ए.एस. या पी.सी.एस. अधिकारी बनता है।
5. मस्तिष्क रेखा या उसकी शाखा मंगल पर हो, हाथ सख्त या मुलायम केसा भी हो पर भारी हो, उगलियों के आधार बराबर हों और मंगल, चंद्रमा तथा बुध उन्नत हों तो ऐसे लोग कप्यूटर सम्बन्धी शिक्षा लेते हैं और यदि कोई दोष न हो तो अवश्य सफल होते हैं। लम्बी मस्तिष्क रेखा यदि चन्द्र पर जाये, चन्द्र ग्रह उन्नत हो, हृदय रेखा का अन्त गुरु पर्वत पर हो, भाग्य रेखा मोटी से पतली सूर्य की उंगली के ऊपर वाले पर्व से बड़ी हो तो ऐसा व्यक्ति पत्रकारिता में बहुत सफल होता है।
6. जीवन रेखा गोल, भाग्य रेखा निदीष और मोटी से पतली व मस्तिष्क रेखा दोनों ओर से विभाजित हो तो ऐसे जातक विभिन्न विषयों में शिक्षा प्राप्त करने में सफल होते हैं। वे गाइड या अनुवादक के रूप में सफल होते हैं।
7. हृदय व मस्तिष्क रेखा निर्दोष हो, हृदय रेखा पर त्रिकोण का आकार हो व हाथ उत्तम हो तो वास्तुकला व मकान निर्माण से संबंधित शिक्षा प्राप्त करने में सफल होते हैं। अन्य रेखायें उत्तम होने पर जातक धन-सम्पति स्वयं बनाता है।
8. सूर्य ग्रह उत्तम, उसपर एक से अधिक रेखायें एवं सूर्य उंगली सोधी, बुध की उंगली टेढी तथा चन्द्र और गुरु उत्तम होने पर फैशन डिजाइनिंग, टेलरिंग से संबंधी विषयों में जातक सफल होते हैं।
9. टूटी शनि रेखा के जातक काम बदलते रहते हैं। पतली शनि रेखा मस्तिष्क रेखा पर रुको तो गलत निर्णय के कारण हानि । शनि पर्वत पर चतुष्कोण हो तो धन-संबंधी संकट समाप्त होंगे और धन की प्राप्ति होगी |
10. मस्तिष्क रेखा दोहरी हो, अंगूठा लंबा हो व पीछे की तरफ मुड़ता हो, उगलियां पतली व छोटी हों, गुरु ग्रह व गुरु की उंगली सूर्य से लंबी हो, जीवन रेखा साफ हो तो ऐसे व्यक्तियों की शिक्षा पर काफी पकड़ होती है। ये भाषण देने में माहिर होते हैं।
11. अंगूठा लंबा हो, गुरु की उंगली रेखा साफ-सुथरी हो, मस्तिष्क रेखा शुरू व अंत में विभाजित हो, चंद्रमा उठा हो, अन्य ग्रह भी ठीक हों और हाथ भारी हो तो ऐसे व्यक्तियों की वाणी सम्मोहन का कार्य करती है। इन्हें शिक्षा व बोलने की कला का अच्छा ज्ञान होता है।
नितिन कुमार पामिस्ट