हथेली पर अस्वस्थ और स्वस्थ हाथ के लक्षण
किसी पहलू को उजागर करने में केवल एक पहलू विशेष पर ध्यान देने से ही परिणाम संतोषजनक नहीं मिलेंगे। इसके लिए संयम से सामुद्रिक शास्त्र का स्वाध्याय तथा मनन कर, अनेक पहलू टटोलने होंगे। तबही इस शास्त्र की असीम गहराइयों तक पहुंच कर संतोषजनक परिणाम पा सकेंगे।
एक स्वस्थ हाथ वह है, जो पूर्णतया । सुदृढ़ हो तथा उसका कोई भी भाग, कहीं से भी, असामान्य रूप से विकसित न हो | हाथ लचीलापन लिए हुए तथा स्पष्ट हो। उसमें नमी की अपेक्षा शुष्कता हो। हथेली पर स्थित विभिन्न उंगलियों के मूल में स्थित पर्वतों का सामान्य रूप से विकसित होना भी स्वस्थ शरीर के लिए आवश्यक है। समस्त हथेली का रंग समता लिए हुए होना चाहिए। हथेली में अवांछित रेखाओं का जाल, अधिक गहरी अथवा कटी-फटी तथा चिहों से युक्त रेखाएं अस्वस्थता के लक्षण हैं। हथेली, अथवा रेखाओं पर दुर्भाग्यपूर्ण तिल आदि विभिन्न बीमारियों के द्योतक हैं। हथेली की त्वचा का असमान रंग, उसपर लाल, नीले अथवा सफेदी लिए हुए धब्बे भी अस्वस्थता के प्रतीक हैं। हथेली को छ् कर उसका तापमान अनुभव किया जा सकता है। हथेली न तो अधिक गर्म होनी अच्छी है, न ही अधिक ठंडी । जिसकी हथेली पसीजी सी अथवा लाल उभार स्पष्ट दिखाई देता है, वह व्यक्ति अस्वस्थ होता है।
रेखाओं का एक सीमा तक गहरापन शक्ति दर्शाता है। परंतु रेखाएं इतनी गहरी न हो जाएं कि गहरे रंग की दिखलाई देने लगें। इसका अर्थ यह होता है कि उस रेखा विशेष पर अत्यधिक तनाव पड़ रहा है। धूमिल अथवा क्षीण पड़ गयी रेखाएं अस्वस्थता दर्शाती हैं। सीढ़ीदार अथवा छोटे-बड़े टुकड़ों से बनी जीवन रेखा जीवन में निरंतर कोई न कोई रोग देती है। जीवन रेखा का दोषपूर्ण तरीके से होना अंत वृद्धावस्था में शारीरिक कष्ट देता है।
टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएं तथा अप्राकृतिक रूप से विकसित बेडौल हथेली अथवा उगलियां किसी न किसी बीमारी की प्रतीक हैं। अत्यधिक मांसल हथेली तथा बहुत नर्म अथवा नमी लिए हुए हाथ की त्वचा भी बीमारी दशतिी है। विभिन्न रोगों को दर्शाने में जीवन रेखा, उसके नीचे साथ-साथ चल रही सहयोगी जीवन रेखा तथा हथेली के मूल से चल कर कनिष्ठिका उंगली के नीचे स्थित बुध पर्वत तक जा रही स्वास्थ्य रेखा का योगदान विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है। हाथ में स्वास्थ्य रेखा ही एक अकेली ऐसी रेखा है, जिसका उपस्थित रहना भी शारीरिक कष्टों का प्रतीक है। इस रेखा की अनुपस्थिति अच्छे स्वास्थ्य की द्योतक है।
रेखा पर स्थित द्वीप तथा अत्यधिक उभरा बुध पर्वत मंदाग्नि रोग देता है। पेट के रोगों के कारण ऐसा व्यक्ति खाने तक से वंचित होता है। यदि रेखा का यह द्वीप मस्तिष्क और जीवन रेखा के मध्य में स्थित हो, तो व्यक्ति वायु, ज्वर, फोड़े-फुसी आदि से पीड़ित होता है।
दोनों हाथों की उंगलियां सुडौल तथा नाखून चमकीले, गुलाबी अथवा तीव्र वर्ण के होने चाहिए। नाखूनों के मूल में सुंदरता से विकसित अर्ध चंद्र एक स्वस्थ शरीर का प्रतीक है। इसके विपरीत उसकी अनुपस्थिति विभिन्न बीमारियों का संकेत है। वे नाखून, जो अपनी प्राकृतिक चमक खो कर कठोर अथवा भंगुर हो गये हों, बीमारी के प्रतीक हैं। नाखून पर के धब्बे भी बीमारियों की पहचान हैं।
हथेली से जुड़ी उंगलियां, हाथ के साथ-साथ, मस्तिष्क से भी सीधा संबंध रखती हैं। सूखी सी, टेढ़ी-मेढ़ी, मोटी, मिलाने पर बीच में छिद्र बनाती उंगलियां बीमारी दशतिी हैं। उगलियों के पर्व कोमल तथा मांसरहित होना स्वस्थ शरीर का लक्षण दर्शाता है।
उनसे संबंधित रोग व्यक्ति को कष्ट देते हैं। प्रायः अनुभव में आता है कि पर्व (उंगली के मूल वाले) अत्यधिक फूले होते हैं, उन्हें खान-पान का बहुत शौक होता है। फलस्वरूप वे व्यक्ति खान-पान की अनियमित्तता। के कारण रोगी होते हैं।
नितिन कुमार पामिस्ट