धन रेखा | गजलक्ष्मी और महालक्ष्मी योग | Dhan Rekha Hastrekha




धन रेखा

धन रेखा को ले कर विद्धवानो में मतभेद है । कुछ विध्वान मस्तक रेखा को धन रेखा मानते है और धन का अनुमान मस्तक रेखा से लगाते है क्योंकि उनको मानना है की व्यक्ति अपनी बुद्धि और कौशल के बल पर ही धन का संचय करता है इसलिए मस्तक रेखा को ही धन की रेखा माना जाना चाहिए । कुछ विद्वानों का मत है की सूर्य रेखा ही धन की रेखा है क्योंकि सूर्य रेखा से ही व्यक्ति को मान-सम्मान और यश प्राप्त होता है और जिस व्यक्ति के हाथ में सबल सूर्य रेखा होती है वह धनि व्यक्ति होता है ऐसा व्यक्ति निर्धन परिवार में जन्म ले कर भी अमीर बन जाता है (जो की सूर्य रेखा का ही चमत्कार होता है ) इसलिए विध्वान सूर्य रेखा को ही धन रेखा मानते है ।

कुछ विध्वान भाग्य रेखा को धन की रेखा मानते है क्योंकि भाग्य रेखा से ही व्यक्ति के अच्छे और बुरे समय का पता चलता है । भाग्य रेखा से ही व्यक्ति के रोजगार , व्यापार का पता चलता है । व्यक्ति किस समय असफल होगा और किस समय सफल होगा ये भाग्य रेखा से ही पता लगता है । व्यक्ति के जीवन में धन कब आयगा ये भाग्य रेखा से ही पता लगता है इसलिए व्यक्ति भाग्य रेखा को धन रेखा कहते है । 

कुछ विध्वान बुध रेखा या व्यापार रेखा को धन की रेखा मानते है क्योंकि उनका मानना है की बुध रेखा व्यक्ति के स्वास्थ्य और व्यापार में सफलता को बताती है । यदि बुध रेखा स्पष्ठ है तो व्यक्ति को व्यपार में और विदेश में अप्रत्याशित सफलता मिलती है । नितिन कुमार पामिस्ट  

अंततः हमारा ये मानना है की भाग्य और सूर्य रेखा को ही धन की रेखा माना जाना चाहिए क्योंकि सूर्य रेखा से व्यक्ति को यश मिलता है और सौभाग्य में बढ़ोत्तरी होती है और भाग्य रेखा से व्यक्ति के अच्छे और बुरे समय का अनुमान लगता है ।


Hath Mein Mahalaxmi Yog Kaise Banta Hai

Sabse pehly yaha ye batana awasyak hai ki Mahalaxmi yog ka matlab ye hai ki vykti raja ke saman apni jindgi jeeta hai aur usko sabhi sukh apne jeevan mein dekhne ko milte hai lekin Raja ka arth yaha par ye nahi hia ki vykti hakikat mein Raja ban jaayga balki ye arth ki wah vykti raja ki bhaanti sabhi sukho ka aanad lega.

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Mahalaxmi yog ke hone ke sath sath vykti ke hath mein dosare yog bhi acche hone chahiye warna mahalaxmi yog ka poora fal vykti ko nahi mil pata hai.

Yadi aapki surya rekha aapki bhagya rekha se shuru ho rahi hai to yeh "Mahalaxmi Yog" kahlata hai.  Aise vykti ko ucch-pad prapt hota hai, jeevan mein jaldi safalta prapt hoti hai, achanak dhan labh hota hai aur aisa vykti ameer hota hai.  Desh aur videsh mein naamcheen hota hai aur bhraman karta hai.

Aisa vykti sarkar mein kisi badein pad par aaseen hota hai ya rajneeti mein safal vykti (neta) hota hai.  Aisa vykti safal or famous yani popular abhineta, doctor, policeman, judge, etc kuch bhi ban sakta hai.

Lekin yadi surya rekha doshyukt hai ya bhagyarekha doshyukt hai matlab aadi-trichi rekho ne kaat rakha hai to phir is yog mein kami aa jaati hai aur vykti ko pura labh nahi mil pata hai.


हथेली में गजलक्ष्मी योग

जिस मनुष्य के दोनों हाथों में भाग्य रेखा मणिबंध से प्रारंभ हो कर सीधी शनि पर्वत पर जा रही हो तथा सूर्य पर्वत विकसित होने के साथ-साथ उस पर सूर्य रेखा भी पतली, लंबी तथा लालिमा लिए हुए हो और इसके साथ ही मस्तिष्क रेखा, स्वास्थ्य रेखा तथा आयु रेखा पुष्ट हों, तो उसके हाथ में गजलक्ष्मी योग बनता है। जिसके हाथ में गजलक्ष्मी योग होता है, वह व्यक्ति साधारण घराने में जन्म ले कर भी उच्चस्तरीय समान प्राप्त करता है। इसके साथ ही वह अपने कायाँ से पहचाना जाता है। आर्थिक एवं भौतिक दृष्टि से ऐसे व्यक्तियों के जीवन में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं रहती।

Hatheli Mein Gajlaxmi Yog

Jis insaan ke dono hatho mein bhagya rekha manibandh se shuru ho kar shani parvat par jaa rahi ho aur surya parvat viksit hone ke sath sath surya rekha bhi bahut acchi ho aur iske sath hi mastak rekha , swasthya rekha aur aayu rekha bhi acchi ho to uske hath mein gajlaxmi yog banta hai. Jis ke hath mein gajlaxmi yog hota hai vo insaan middle class ya lower middle class ghar mein bhi janam le kar ke bhi bada insaan ban jata hai aur samaaj mein kaafi naam aur sohrat hasil karta hai.

नितिन कुमार पामिस्ट