हाथ में 32 हिन्दू चिन्ह हस्त रेखा | हस्त विचार लक्षण बत्तीसी | 32 Hindu Signs On Hand

हस्त विचार लक्षण बत्तीसी | 32 Hindu Signs On Hand

प्राचीन भारतीय शास्त्रों में लक्षण शास्त्र का बड़ी प्रमुखता से उल्लेख है। गरूड़ पुराण, विष्यपुराण, बृहत्संहिता, पाराशर होराशास्त्रम् एवं रामचरितमानस तक में लक्षणों को आकर शुभ अशुभ कहा है। इन चिह्नों में से एक चिह्न भी यदि स्पष्ट रूप से हथेली में पाया जाता है तो वह राजयोग एवं श्रेष्ठफल प्रदान करने वाला कहा गया है। (देखें चित्र)
हिन्दू चिन्ह - हस्त विचार 

अनेक विद्वानों ने 32 प्रकार के लक्षणों का उल्लेख किया है जो हथेली में परन्त हस्तरेखा विज्ञान (लेखक गोपेश कुमार ओझा) में इन लक्षणों की संख्या नीचे 32 प्रकार के लक्षणों की तालिका इस प्रकार है:-

सभी चिन्हो के चित्र नीचे दिए गए है इसलिए चित्र देखने के लिए नीचे जाय।

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1. छत्र चिन्ह (Chattra Sign)
2. कमल चिन्ह (Lotus Sign)
3. धनुष चिन्ह (Bow Sign)
4. रथ चिन्ह (Rath Sign)
5. वज्र चिन्ह (Vajra Sign)
6. कछुआ चिन्ह (Tortoise Sign)
7. अकुंश चिन्ह (Hook Sign)
8. वापी चिन्ह (Vapi Sign)
9. स्वास्तिक चिन्ह (Swastika Sign)
10. तोरण चिन्ह (Toran Sign)
11. त्रिशूल चिन्ह (Trident Sign)
12. शेर चिन्ह (Lion Sign)
13. कल्पवृक्ष चिन्ह (Tree Sign)
14. चक्र चिन्ह (Whorl Sign)
15. शंख चिन्ह (Conch Sign)
16. गज चिन्ह (Elephant Sign)
17. वन चिन्ह (Forest Sign)
18. कलश चिन्ह (Pot Sign)
19. प्रासाद चिन्ह (Prashad Sign)
20. मत्स्य चिन्ह (Fish Sign)
21. यव चिन्ह (Yav Sign)
22. स्तम्भ चिन्ह (Pillar Sign)
23. मठ चिन्ह (Math Sign)
24. कमण्डलु चिन्ह (Kamandal Sign)
25. नाग: चिन्ह (Parvat Sign)
26. चंवर चिन्ह (Chawar Sign)
27. दर्पण चिन्ह (Mirror Sign)
28. उक्षा चिन्ह (Ox Sign)
29. पताका चिन्ह (Flag Sign)
30. लक्ष्मी चिन्ह (Laxmi Sign)
31. फूलमाला चिन्ह (Garland Sign)
32. मयूर चिन्ह (Mayur Sign)

हमने उक्त लक्षणों को हुबहु हाथ में ढूंढने का प्रयास किया परन्तु सैकड़ों हाथों में परीक्षण के उपरांत भी उक्त लक्षण स्पष्टत: दृष्टिगत नहीं हुए। किसी भी हाथ में मोर, बैल, शेर, कछुआ, लक्ष्मी अथवा गज के दर्शन नहीं हुए। तो क्या यह माना जाए कि उक्त लक्षण हाथ में होते ही नहीं हैं ? या इनमें छिपे सांकेतिक शब्दों का अर्थ उसी प्रकार हाथ में ढूंढने का प्रयास किया जाए जैसे जैमिनी मुनि ने जैमिनी सूत्रम् में कपटयादि वर्गों का प्रयोग कर अपनी बात कही है ? इन्हीं संकेतों को सैकड़ों हाथों में परीक्षण कर ढूंढने का प्रयास किया है जो विज्ञ पाठकों के समक्ष है। इसके साथ ही प्राचीन मनीषी इनका क्या फल बताते हैं, यह भी उल्लेखित करना उपयुक्त महसूस होता है।

उक्त लक्षण रेखाओं, हाथ की बनावट एवं उस पर पाए जाने वाले चिह्नों से प्रकट होते हैं। कुछ एक चिह्न इस प्रकार हैं-

1. छत्रः- ऐसा व्यक्ति राजा या राजा सदृश अधिकार वाला होता है।
बनावट:- चित्र के अनुसार किसी ऊर्ध्व रेखा से अन्य रेखाएं मिलकर छतरीनुमा आकृति बनाती हैं।

2. कमलः- धार्मिक, धन वैभव सम्पन्न, विजयी एवं राजा सदृश होता है।
बनावट:- हृदय रेखा का चित्र के अनुसार बहस्पति पर्वत पर शाखित है। जाना, कमल पुष्प की सी आकृति बनाती है।

3. धनुषः- विजयी, बहादुर एवं शत्रुहंता होता है।
बनावट:- ऐसी आकृति आभास रेखा अथवा जीवन रेखा की सहायक रेखा मंगल रेखा से बनती है ।( देखें चित्र )

4. रथः- वाहन सुख, धन, जमीन, जायदाद प्राप्त हो।
बनावट:- रथ की आकृति गाड़ी या छकड़ा गाड़ी की सी होती है। मस्तिष्क, हृदय रेखा का सूर्य एवं शनि रेखा से मिलने पर गाड़ी जैसी आकृति चित्र के अनुसार बनती है।

5. वज्रः- वीर, शासक, उच्चाधिकारी, धनी एवं ऐश्वर्यवान होता है।
बनावट:- व्रज का अर्थ हीरा भी होता है। हथेली में षट्कोणनुमा आकृति वज्र कहलाती है। (देखें चित्र)

6. कछुआ:- ऐश्वर्यशाली एवं समुद्रपारीय यात्रा करें।
बनावट:- इसका अर्थ हाथ के पृष्ठ की बनावट से है। करपृष्ठ कछुए की पीठ की तरह बीच से उभार लिया होता है।

7. अंकुशः- विजयी, धनी होता है।
बनावटः- चित्र के अनुसार उर्ध्व रेखा से कोई शाखा निकल कर जाए। चित्र में भाग्य रेखा की एक शाखा गुरु या सूर्य पर जा सकती है।

8. वापीः- धनी, वीर, धार्मिक एवं परोपकारी होता है।
बनावट:- वापी का दूसरा अर्थ बावड़ी होता है जिसकी आकृति वर्ग अश बनती है।

9. स्वास्तिकः- ऐसा व्यक्ति ज्ञानी, विद्वान, प्रकृतिशील, धर्म में रुचि रखने प्रतिष्ठित होता है।
बनावट:- दो रेखाएं मिलकर हाथ में स्वास्तिकनुमा आकृति बनाती हैं। यह प्राय. कम देखने में आता है।

10. तोरणः- भाग्यशाली, धन सम्पति ऐश्वर्य, भूमि भवन सुख होता है।
बनावट:- चित्र के अनुसार दो प्रभाव रेखाओं के मिलने से बनता है।

11. त्रिशूल:- धार्मिक, धनी एवं सुखी होता है।
बनावट:- स्वतंत्र अथवा रेखाओं से दो शाखाएँ निकलने पर बनता है।

12. पंचाननः- वैभवशाली, अपराजित, राजा सदृश एवं प्रभावशाली व्यक्ति होता है।
बनावट:- यह आकृति हाथ की बनावट से बनती है। हथेली मणिबंध की तरफ से संकरी होती है तथा अंगुलियों की तरफ तक चौड़ी हो जाती है। शेर को पंचानन भी कहते है अर्थात् पांच मुंहवाला । शेर के चार पंजे भी उसके मुंह माने जाते हैं। अत: हाथ की आकृति शेर के पंजे जैसी होती है। ऐसा व्यक्ति मानसिक रूप से विशेष बली होता है तथा दूसरों को शीघ्र प्रभावित कर लेता है।

13. कल्पवृक्षः- दानी, ऐश्वर्यवान, परोपकारी होता है।
बनावट:- यह चित्र के अनुसार उर्ध्व रेखा से बनता है जिसकी शाखाएँ दूसरे पर्वतों पर पहुंचे।

14. चक्र:- चक्रवर्ती राजा सदृश, वैभवशाली, धार्मिक, धनी एवं विद्वान हितकारी।
बनावट:- बारीक केशिकाओं द्वारा निर्मित हथेली पर अथवा अंगूठे-अंगुलियों के पोरों पर पाया जाता है।

15. शंख:- विदेश व्यापार, धनी, परोपकारी, पुण्यात्मा।
बनावट:- बारीक केशिकाओं द्वारा निर्मित हथेली अथवा अंगूठे, अंगुलियों के पोरों पर।

16. गजः- ऐसा व्यक्ति धनी, सम्पन्न, हाथी-घोड़ों का स्वामी होता है।
बनावट:- पहचान हेतु शोध जारी है।

17. वन:- धनी, भूमिपति होता है।
बनावटः- चित्र के अनुसार उर्ध्व रेखाओं से अनेक शाखाएँ निकली हों।

18. कलशः- धर्म-कर्म करने वाला, मन्दिर, धर्मशाला बनवाए।
बनावटः- पहचान हेतु शोध जारी है।

19. प्रासादः- फल, प्रासाद का दूसरा अर्थ महल या बड़ा भवन भी होता है।
बनाटव:- दो उर्ध्व रेखायें हों तथा उनकी शाखाएँ परस्पर एक दूसरे की तरफ पहुंचक बड़े परकोटे सी आकृति बनावें।

20. मत्स्य:- विद्वान, यात्रा, प्रेमी, धनवान हो।
बनावट:- चित्र के अनुसार मणिबंध के पास से भाग्य रेखा एवं अन्य रेखा जो चन्द्र पर या बुध पर जाए तथा चन्द्र क्षेत्र के निचले हिस्से से दो उर्ध्व रेखायें भाग्य रेखा में विलीन होकर मत्स्य सी आकृति बनाती हैं। व जीवन रेखा के अंत में मत्स्याकार आकृति को भी मत्स्य चिन्ह मन जाता है।

21. यव:- जौ नुमा आकृति यव कहलाती है। जातक विख्यात, धनी, बुद्धिमान, सुन्दर, कुशल
एवं प्रतिष्ठित होता है।
बनावट:- यह आकृति प्राय: अंगुष्ठ में पोरों के संधिस्थल पर होती है।

22. स्तम्भः- धार्मिक यज्ञकर्ता एवं विद्वान व ऐश्वर्यवान होता है।
बनावटः- स्वतंत्र उर्ध्व रेखा के साथ उसकी सहायक उर्ध्व रेखा भी होती है। (देखें चित्र)

23. मठ:- ऐसा व्यक्ति सजन, साधु सेवी, परोपकारी एवं धार्मिक होता है।
बनावट: पहचान हेतु शोध जारी है।

24. कमण्डलुः- धर्म प्रचारक, सज्जन सेवी, सुखी।
बनावट:- यह स्वतंत्र चिह्न है। इसकी बनावट देवनागरी भाषा में ४ के अंक जैसी होती है।

25. नाग:- नाग का अर्थ पर्वत होता है। ऊँचे-ऊँचे भवनों का मालिक, धनी एवं कीमती | पत्थरों (रत्नों) का व्यापारी हो। बनावट:- चित्र के अनुसार लगातार छोटे-बड़े त्रिकोण मिलकर पहाड़ सी आकृति बनावें।

26. चंवरः- धार्मिक, वैभवशाली, राजसी चिह्नों से युक्त होता है।
बनावट:- उर्ध्व रेखा में अनेक रेखायें चित्र के अनुसार विलीन होकर चंवरनुमा आकृति बनाती हैं।

27. दर्पण:- राज्य में उच्च पद पर आसीन हो, अधिकार सम्पन्न, परोपकारी, वृद्धावस्था में विरक्त हो। बनावट:- यह हाथ का लक्षण है- इसमें हथेली एक विशेष प्रकार की दर्पण जैसी चमक लिए हुए होती है । दर्पण का चित्र हाथ में तय कर पाना असंभव है क्योंकि वह आकृति में गोल, चौकोर या तिकोना भी हो सकता है।

28. उक्षा:- उक्षा का अर्थ है बैल । व्यक्ति के पास गौ धन या पशु एवं कृषि भूमि अधिक होती है।
बनावट:- यह भी हाथ की बनावट पर आधारित है। बैल का चिह्न हाथ में देखने को नहीं मिला। हथेली मणिबंध की तरफ से चौड़ी होती हुई अंगुलियों की तरफ संकरी होकर गौमुखाकार आकृति बनाती है। ऐसा व्यक्ति शारीरिक बल सम्पन्न होता है।

29. पताकाः- कुल का नाम रोशन करने वाला, धार्मिक एवं यशस्वी होता है ।।
बनावट:- चित्र के अनुसार स्वतंत्र उर्ध्व रेखा से दो या तीन शाखाएं निकलकर ध्वजा का सा रूप बनाती हैं।

30. लक्ष्मी:- ऐसा व्यक्ति धन, मान, सम्पत्ति एवं भूपति होता है।
बनावट:- पहचान हेतु शोध कार्य जारी है।

31. फूलमालाः- धार्मिक, धनवान, वीर एवं प्रसिद्ध होता है।
बनावट:- लगातार चैननुमा या जौ माला बनती है जो प्राय: अंगूठे की जड़ अथवा मणिबंध
पर देखने को मिल जाती है।(देखें चित्र )

32. मयूरः- गंर्धव कला में रुचि, भोगी एवं प्रतिष्ठित होता है।
बनावट:- मोर की पहचान होती है उसके फैले हुए पंख। हाथ में भी मोर के फैले हुए पंखों की आकृति चित्र के अनुसार जीवन रेखा, भाग्यरेखा, सूर्यरेखा, स्वास्थ्य रेखा एवं उपस्वास्थ्य रेखा या यात्रा रेखा से बनती है। हमारा विचार है उक्त लक्षणों के अर्थों से पाठक सहमत होंगे।
छत्र चिन्ह 
कमल चिन्ह 
धनुष चिन्ह 
रथ चिन्ह 
वज्र चिन्ह 
अंकुश चिन्ह 
वापी चिन्ह 
 स्वस्तिक चिन्ह 
तोरण चिन्ह 
वृक्ष चिन्ह 
वन चिन्ह 
मत्स्य चिन्ह 
स्तम्भ चिन्ह 

पर्वत चिन्ह 
चंवर चिन्ह 


पताका चिन्ह 


यवमाला 
मयूर चिन्ह 


नितिन कुमार पामिस्ट