- प्रथम भाग्य रेखाः—यह वह भाग्य रेखा है जो कि मणिबन्ध से निकलकर केतु क्षेत्र से होती हुई राहु क्षेत्र को काटकर मस्तक और हृदय रेखा को स्पर्श करती हुई शनि क्षेत्र को जाती है ।
- विवाह रेखा के नाम से जानी जाने वाली रेखाएं बुध क्षेत्र पर होती हैं। वैसे तो ये रेखाएं विवाह से सम्बन्धी रीति और धर्म मर्यादा को मान्यता नहीं देती हैं। यह तो प्रेम से या किसी विपरीत लिंगी संबंधों को जो कि प्रभावित करे उसे ही स्पष्ट करती है।
- ज्योतिष शास्त्र में हाथ में दोहरी मस्तक रेखा और दोहरी हृद्या रेखा का विवरण-कभी कभी ऐसा भी देखने में आता है कि जिन मनुष्यों के हाथों में जीवन के प्रारम्भ से ही दोहरी मस्तक रेखा या दुहेरी हदय रेखा होती है वो अविवाहित ही रहते हैं।
हथेली में पाई जाने वाली यात्रा रेखा | Travel Line
शिक्षा , व्यापार अथवा पर्यटन हेतु विदेश जाना आम बात है। विदेश यात्रा की सूचना हथेली में पाई जाने वाली यात्रा रेखायें देती हैं जो क्रमश: चन्द्र पर्वत पर, मणिबंध से एवं जीवन रेखा से उदित होकर जीवन रेखा के साथ-साथ चलने वाली रेखाएं होती हैं। शुक्र से जाने वाली रेखा जल यात्रा दर्शाती है, चन्द्र से सूर्य पर जाने वाली रेखा वायु यात्रा तथा मंगल से निकल कर चन्द्र पर जाने वाली रेखा स्थल यात्रा दर्शाती है।
यात्रा रेखाओं का सामान्य फल इस प्रकार है-
1. चन्द्र पर्वत पर पाई जाने वाली लम्बी आड़ी रेखाएं समुद्र पार यात्रा , दर्शाती है।
2. यदि ये रेखायें भाग्य रेखा में विलीन हो जाएँ तो यात्राओं की वजह से भाग्य में वृद्धि होती है।
3. यात्रा रेखा पर क्रॉस, द्वीप अथवा अन्य कोई अशुभ चिह्न हो तो यात्रा में का की आशंका रहती है। इसके साथ ही यदि यात्रा रेखा पर कोई वर्ग हो तो दुर्घटना से प्राणों की रक्षा हो जाती है।
4. मणिबंध से उदित होकर चन्द्र क्षेत्र पर जाने वाली रेखायें भी यात्रा का वो कराती हैं।
5. मणिबंध से उदित होकर बृहस्पति पर्वत पर जाने वाली रेखा लम्बी यात्रा परिणामस्वरूप प्रतिष्ठा एवं सम्पन्नता देती है। |
6. शनि क्षेत्र तक जाने पर समृद्धि एवं भाग्यवृद्धि देती है जबकि सूर्य पर्वत तक जाने पर मान-सम्मान तथा धन प्राप्त होता है। बुध पर्वत पर जाने पर यात्रा से व्यापारिक लाभ एवं अचानक धन प्राप्त होता है।
7. मणिबंध से उदित यात्रा रेखा पर द्वीप या क्रॉस का चिह्न यात्रा में असफलता एवं हानि दर्शाता है।
8. अनेक बार व्यक्ति लम्बी यात्रा में विदेश तो जाता है परन्तु वहीं बस जाता है। इसकी सूचना जीवन रेखा से प्राप्त होती है। जीवन रेखा से निकल कर एक रेखा जीवन रेखा के सहारे-सहारे मणिबंध की तरफ अग्रसर होती है। ऐसा व्यक्ति रोजगार हेतु विदेश में ही बस जाता है।
9. चन्द्र क्षेत्र पर दो रेखाएं 45° का कोण बनाएं तो तीर्थ यात्राएं होती हैं। इसी प्रकार मंगल व शुक्र का कोण भी यात्रा को दर्शाता है।
10. मध्यमा अंगुली के नाखून पर सफेद अर्ध चन्द्र का निशान यात्राओं का द्योतक है।
11. चन्द्र क्षेत्र से सूर्य पर्वत पर जाने वाली रेखाएं वायु यात्रा दर्शाती हैं जबकि शुक्र क्षेत्र से चन्द्र पर जाने वाली रेखा जल यात्रा दर्शाती है।
इस पोस्ट को शेयर जरूर करें।