हाथ में पर्वतो का नीचा (दबा) और उठा होना - हस्त रेखा
करतल ( हथेली ) पर प्रत्येक अंगुली के नीचे आधार पर मिलने के नीचे उठे स्थल को पर्वतों की संज्ञा दी गई है जो कि पहिले वर्णन किये ग्रहों के गुणों के अनुसार फल प्रकट करते हैं। इसके अतिरिक्त उनके स्थल ( पर्वत ) की आकृति, ऊँचे, नीचे, हटे हुए, बिना रेखा के तथा रेखाओं के फल वर्णित हैं।
शुक्र का पर्वत-सबसे बड़ा होने से मानव जीवन में दाम्पत्य प्रेम और मधुर भाव की प्रधानता दर्शाता है। ऊंचा उठा-प्रेमी, दाम्पत्य सुख, कामुकता, सौंदर्य कला प्रेमी, प्रेम में भावुकता । नीचा-प्रेम सुख हीन, केवल भौतिक कार्यों में चित्त, दाम्पत्य सुख की कमी, निस्पृही । मध्यम उठा–संतुलित प्रेम सुख, सीमित मित्र, साधारण दाम्पत्य सुख । भीतर की ओर दबा हुआ और बाहर की ओर ऊँचा-प्रेम सुख रहते उपभोग पर्याप्त नहीं । बीच में अधिक उठा हुआ–पर्याप्त प्रेम सुख, आनन्द मय । पर्वत पर खड़ी रेखाएँ-पत्नी द्योतक । आड़ी रेखाएँ सन्तान और सन्तान के सम्बन्ध से बुध पर्वत पर भी आगे वर्णन है।
मंगल के पर्वत- इसके दो पर्वत हैं। शुक्र पर्वत के ऊपर वाला उठा स्थल प्रमुख व्यावहारिक महत्व का है और बुध पर्वत के नीचे उठा स्थल केवल कर्मठता के भाव बताता है जो कि विशेष भावनाओं की प्रेरणा से कार्यरत होने का द्योतक है। शुक्र पर्वत के पास ऊपर उठा बिना रेखा वाला, फूला हुआ दृढ़ हो तो शारीरिक दृढ़ शक्ति वाला, सहनशील, कठिन परिश्रमी, साहसी, पुलिस, सेना या कठिन शारीरिक कार्य का प्रेमी होवे । नीचा दृढ़-क्रूर, क्षणिक दृढ़ कार्य प्रेमी । नीचा नरम-परिवम हीन । इस पर्वत पर तिरछी रेखाएं-बौद्धिक शक्ति के उपयोग में बाधाएँ, हानि । खड़ी रेखा, रेखाएँ-लम्बी हों और प्रधान रेखाओं से मिली हों तो विशेष कार्यों में बाधा पर कार्यरत प्रवृत्ति रहे, तिरछी छोटी रेखाएँ हों तो अनेक बाधाएँ । मंगल का पर्वत मध्यम ऊँवा–शारीरिक शक्ति साधारण, कठिन परिश्रम का अभाव, मिश्रित गुण ।
गुरु पर्वत-ऊँचा हो तो मेघावी, गंभीर विचारवाला होवे । नीचा हो तो उपरोक्त शक्तियों का प्रायः अभाव । मध्यम-सीमित मेधावी, कार्यशीलता । खड़ी रेखा--लम्बी होना आध्यात्मिक शक्ति तथा वांछित सात्विक जीवन का प्रदर्शक है। आड़ी लम्बी अखंडित रेखा–आन्तरिक प्रेरणादायक बुद्धि तथा मार्ग दर्शक । तिरछी रेखाएँबौद्धिक शक्ति के उपयोग में बाधाएँ तथा हानि । ये लेख भारत के प्रसिद्ध हस्तरेखा शास्त्री नितिन कुमार पामिस्ट द्वारा लिखा गया है अगर आप उनके दवारा लिखे सभी लेख पढ़ना चाहते है तो गूगल पर इंडियन पाम रीडिंग ब्लॉग को सर्च करें और उनके ब्लॉग पर जा कर उनके लिखे लेख पढ़ें । बाहर की ओर ऊँचा उठा पर्वतऐसी आध्यात्मिक शक्ति का प्रदर्शक है जिसमें भौतिक लाभ की वासना नहीं । मध्यमा अंगुली के आधार की ओर ऊँचा उठा । गुरु पर्वत अपनी मेघा शक्ति या आध्यात्मिक शक्ति का प्रयोग सांसारिक कार्यों में करे।
शनि पर्वत-शनि की मध्यमा अंगुली सबसे बड़ी होती है। यह मानव जीवन में सांसारिक भाव की प्रमुखता प्रकट करता है और शुक्र पर्वत से भी सांसारिक जीवन में प्रेम भाव प्रकट करता है । दोनों का मिलान कर फल निकालना सार्थक है। उठा फूला हुआ शनि पर्वत-दृढ़ कार्यं शोलता, संसारिक कार्यों में बुद्धिमत्ता तथा लगन रहे।
नीचा उठा- कार्य शीलता में कभी, दृढ़ता नहीं। मध्यम उठा-सीमित कार्यशीलता, अधिककार्य शक्ति का अभाव। शनि पर्वत तर्जनी की ओर झुका बौद्धिक प्रयल से लाभ। अनामिका की ओर मुका पर्वत–कला, साहित्य में प्रयत्न से लाभ। इस पर्वत पर खड़ी रेखा–भाग्यरेखा से मिली हो तो दोघं आयु, भौतिक जीवन सरलता सुखपूर्वक होवे । | खंडित खड़ी रेखा या रेखाएँ शनि पर्वत पर कठिनाई से जीवन में परिवर्तित परिस्थिति होवे या जीवन में उलट फेर होवे । शनि पर्वत पर आडी या तिरछी रेखाएँ–अनेक कठिनाइयाँ आदें, कष्ट या हानि होवे ।
सूर्य पर्वत—ऊँचा उठा–भौतिक कला साहित्य में कार्यशील रुचि या सांसारिक चतुराई, मान्यता प्राप्ति की योग्यता । मध्यम ऊँचा उठा-कला साहित्य में केवल रुचि, योग्यता का अभाव । नीचा उठा-कला साहित्य का अभाव, कार्य व्यवहार में कुशलता नहीं । मध्यमा की ओर उठा हुआ—अपने गुणों की योग्यता का सांसारिक कार्यो । में प्रयोग। | कनिष्ठा की ओर झुका कला साहित्य की योग्यता का व्यावसायिक प्रेरणादायक।
सूर्य पर्वत पर खड़ी रेखाएँ बिना कटी—विविध कला या ज्ञान की प्राप्ति । आड़ी टेकी रेखाएँ–उपरोक्त ज्ञान प्राप्ति में बाधा या बुद्धि का अभाव। सूर्य पर्वत से निकलकर लम्बी रेखा नीचे की ओर जाने वाली यह बहुत लम्बी । सीधी हो तो मान्यता प्राप्त प्रसिद्ध व्यक्ति होवे ।
Name Of Mounts On Palm |
शुक्र का पर्वत-सबसे बड़ा होने से मानव जीवन में दाम्पत्य प्रेम और मधुर भाव की प्रधानता दर्शाता है। ऊंचा उठा-प्रेमी, दाम्पत्य सुख, कामुकता, सौंदर्य कला प्रेमी, प्रेम में भावुकता । नीचा-प्रेम सुख हीन, केवल भौतिक कार्यों में चित्त, दाम्पत्य सुख की कमी, निस्पृही । मध्यम उठा–संतुलित प्रेम सुख, सीमित मित्र, साधारण दाम्पत्य सुख । भीतर की ओर दबा हुआ और बाहर की ओर ऊँचा-प्रेम सुख रहते उपभोग पर्याप्त नहीं । बीच में अधिक उठा हुआ–पर्याप्त प्रेम सुख, आनन्द मय । पर्वत पर खड़ी रेखाएँ-पत्नी द्योतक । आड़ी रेखाएँ सन्तान और सन्तान के सम्बन्ध से बुध पर्वत पर भी आगे वर्णन है।
मंगल के पर्वत- इसके दो पर्वत हैं। शुक्र पर्वत के ऊपर वाला उठा स्थल प्रमुख व्यावहारिक महत्व का है और बुध पर्वत के नीचे उठा स्थल केवल कर्मठता के भाव बताता है जो कि विशेष भावनाओं की प्रेरणा से कार्यरत होने का द्योतक है। शुक्र पर्वत के पास ऊपर उठा बिना रेखा वाला, फूला हुआ दृढ़ हो तो शारीरिक दृढ़ शक्ति वाला, सहनशील, कठिन परिश्रमी, साहसी, पुलिस, सेना या कठिन शारीरिक कार्य का प्रेमी होवे । नीचा दृढ़-क्रूर, क्षणिक दृढ़ कार्य प्रेमी । नीचा नरम-परिवम हीन । इस पर्वत पर तिरछी रेखाएं-बौद्धिक शक्ति के उपयोग में बाधाएँ, हानि । खड़ी रेखा, रेखाएँ-लम्बी हों और प्रधान रेखाओं से मिली हों तो विशेष कार्यों में बाधा पर कार्यरत प्रवृत्ति रहे, तिरछी छोटी रेखाएँ हों तो अनेक बाधाएँ । मंगल का पर्वत मध्यम ऊँवा–शारीरिक शक्ति साधारण, कठिन परिश्रम का अभाव, मिश्रित गुण ।
शनि पर्वत-शनि की मध्यमा अंगुली सबसे बड़ी होती है। यह मानव जीवन में सांसारिक भाव की प्रमुखता प्रकट करता है और शुक्र पर्वत से भी सांसारिक जीवन में प्रेम भाव प्रकट करता है । दोनों का मिलान कर फल निकालना सार्थक है। उठा फूला हुआ शनि पर्वत-दृढ़ कार्यं शोलता, संसारिक कार्यों में बुद्धिमत्ता तथा लगन रहे।
नीचा उठा- कार्य शीलता में कभी, दृढ़ता नहीं। मध्यम उठा-सीमित कार्यशीलता, अधिककार्य शक्ति का अभाव। शनि पर्वत तर्जनी की ओर झुका बौद्धिक प्रयल से लाभ। अनामिका की ओर मुका पर्वत–कला, साहित्य में प्रयत्न से लाभ। इस पर्वत पर खड़ी रेखा–भाग्यरेखा से मिली हो तो दोघं आयु, भौतिक जीवन सरलता सुखपूर्वक होवे । | खंडित खड़ी रेखा या रेखाएँ शनि पर्वत पर कठिनाई से जीवन में परिवर्तित परिस्थिति होवे या जीवन में उलट फेर होवे । शनि पर्वत पर आडी या तिरछी रेखाएँ–अनेक कठिनाइयाँ आदें, कष्ट या हानि होवे ।
सूर्य पर्वत पर खड़ी रेखाएँ बिना कटी—विविध कला या ज्ञान की प्राप्ति । आड़ी टेकी रेखाएँ–उपरोक्त ज्ञान प्राप्ति में बाधा या बुद्धि का अभाव। सूर्य पर्वत से निकलकर लम्बी रेखा नीचे की ओर जाने वाली यह बहुत लम्बी । सीधी हो तो मान्यता प्राप्त प्रसिद्ध व्यक्ति होवे ।
बुध पर्वत-कनिष्ठका सबसे छोटी पतली अंगुली होने से मानव जीवन में सुख शान्ति हितार्थ व्यवसाय गौण है केवल जीवनयापन का साधन मात्र है। ऊँचा उठा पर्वत—सांसारिक व्यवसाय, साहूकारी, उद्योगी, भौतिक चतुराई, सांसारिक विकास से कार्यों में रुचि । नीचा पर्वत–उपरोक्त कार्यों में हीनता, अरुचि, सफलता नहीं । सामान्य उठा पर्वत—आशावान, संतुष्ट, व्यावसायिक कार्य में रुचि परन्तु करे नहीं या असफलता हो । बाहर की ओर उठा पर्वत–व्यवसाय, उद्योग की योग्यता पर लाभ नहीं । अनामिका की ओर उठा पर्वत–व्यावसायिक कार्यों में कलात्मक प्रयोग की रुचि, कभी-कभी सफलता भी मिले । बुध पर्वत पर खड़ी रेखाएँ–संतान द्योतक ।आड़ी रेखाएं-पत्नी द्योतक । इसका विस्तृत उल्लेख रेखा विभाग में किया गया है।
चन्द्र पर्वत ऊँचा उठा–सात्विक स्नेह, आत्मीय प्रेमी, कल्पनाशील, उच्च विचार, काव्य साहित्यकला प्रेमी । यदि बहुत ऊँचा उठा हो तो अधिक कल्पनाशील जो कार्यान्वित न हो सके और दुष्परिणाम भी हो सकते हैं । नीचा पर्वत–प्रेमहीन, स्वार्थी, कड़े कार्यों में प्रेम । मध्यम उठा पर्वत–संतुलित प्रेम वासना, कार्य करने के पहिले अधिक विचार नहीं । ये लेख भारत के प्रसिद्ध हस्तरेखा शास्त्री नितिन कुमार पामिस्ट द्वारा लिखा गया है अगर आप उनके दवारा लिखे सभी लेख पढ़ना चाहते है तो गूगल पर इंडियन पाम रीडिंग ब्लॉग को सर्च करें और उनके ब्लॉग पर जा कर उनके लिखे लेख पढ़ें । हटे हुए पर्वत बाहर की ओर हटा–प्रेम में लिप्त नहीं, भीतर की ओर हटा-प्रेम लोलुपता दर्शक है । आड़ी लम्बी रेखाएँ–सगे भाई बहिनों का संकेत है। तिरछी रेखाएँ—ये अधिकांश छोटी रेखाए अशुभ। इनका विशेष वर्णन रेखाओं के प्रकरण में देखिये।
चन्द्र पर्वत ऊँचा उठा–सात्विक स्नेह, आत्मीय प्रेमी, कल्पनाशील, उच्च विचार, काव्य साहित्यकला प्रेमी । यदि बहुत ऊँचा उठा हो तो अधिक कल्पनाशील जो कार्यान्वित न हो सके और दुष्परिणाम भी हो सकते हैं । नीचा पर्वत–प्रेमहीन, स्वार्थी, कड़े कार्यों में प्रेम । मध्यम उठा पर्वत–संतुलित प्रेम वासना, कार्य करने के पहिले अधिक विचार नहीं । ये लेख भारत के प्रसिद्ध हस्तरेखा शास्त्री नितिन कुमार पामिस्ट द्वारा लिखा गया है अगर आप उनके दवारा लिखे सभी लेख पढ़ना चाहते है तो गूगल पर इंडियन पाम रीडिंग ब्लॉग को सर्च करें और उनके ब्लॉग पर जा कर उनके लिखे लेख पढ़ें । हटे हुए पर्वत बाहर की ओर हटा–प्रेम में लिप्त नहीं, भीतर की ओर हटा-प्रेम लोलुपता दर्शक है । आड़ी लम्बी रेखाएँ–सगे भाई बहिनों का संकेत है। तिरछी रेखाएँ—ये अधिकांश छोटी रेखाए अशुभ। इनका विशेष वर्णन रेखाओं के प्रकरण में देखिये।
नोट-शुक्र और चन्द्र के दोनों पर्वतों में स्नेह की धारणा का प्रतीक है किन्तु शुक्र पर्वत में अधिकांश सांसारिक प्रेम या कामवासना तथा चन्द्र के पर्वत में सात्विक स्नेह का द्योतक है।