चंद्र पर्वत हस्त रेखा ज्ञान


चंद्र पर्वत शुक्र पर्वत के पास स्थित होता है, सौन्दर्यप्रियता, आदर्शवादी, साहित्य, काव्य, और मानसिक तनाव का कारक ग्रह है, या हम ये भी कह सकते हैं कि यह पर्वत मन का कारक है कल्पना इसकी प्रिय साथी है, कोमलता, भावुकता, प्रकृति के प्रति लगाव आदि स्वाभाविक गुण होते है, यह अपनी ही दुनिया में मस्त रहतें हैं।
यदि चंद्र पर्वत हाँथ में अच्छा उभार लिए है और अपने स्थान पर है तो ऐसा व्यक्ति प्रकृति- प्रेमी होगा, ऐसा व्यक्ति जीवन में कभी किसी को धोखा नहीं दे सकता, संसार के छल- धोखेबाजी, जलन, नफरत , आदि से कोसों दूर रहता है, ऐसे व्यक्ति प्रसिद्ध साहित्यकार, कलाकार, संगीत के जानकार होते है, ऐसा व्यक्ति मिलनसार और स्वतंत्र रूप से विचार करने में समर्थ होता है, एवं धार्मिक प्रवत्ति का होता है।

जिन पुरुषों में चंद्र पर्वत का कम उभरा या दबा सा रहता है तो ऐसा व्यक्ति ह्रदय का कठोर होता है, इनमे बदला लेने की भावना अधिक होती है, अगर चंद्र पर्वत अपनी सामान्य अवस्था अधिक उभरा हुआ है तो ये मानसिक योजनाये तो बनातें है किन्तु कार्य रूप में बदल नहीं पातें हैं , प्रेम और सौंदर्य इनके जीवन की कमजोरी होती है, अगर इनकी जरा भी उपेक्षा इनका प्रिय व्यक्ति कर दे तो ये जीवन के प्रति इतना निराश हो जातें हैं कि आत्महत्या तक कर सकते है।

यदि चंद्र पर्वत का झुकाव हथेली के बाहर की ओर है तो ऐसे व्यक्ति भोगी एवं कामी होते है, यदि चंद्र पर्वत पर गोल वृत्त हो तथा कुछ रेखाएं मस्तिष्क रेखा से निकलकर इस पर्वत तक पहुंचती हो तो वह व्यक्ति राजनीतिक एवं व्यापारिक दृष्टी से विदेशयात्रा अवश्य करता है, चंद्र पर्वत पर शंख का चिन्ह प्रायः अशुभ माना जाता है, अगर ये चिन्ह चन्द्र पर्वत पर है तो ऐसा व्यक्ति सफलता प्राप्त करने के लिए बहुत संघर्ष करता है,एवं कठोर परिश्रम के बाद ही सफलताए प्राप्त करता है। 

चंद्र पर्वत पर त्रिभुज का चिन्ह है तो वह अपने जीवन में अनेक बार विदेश यात्रा करता है, यदि क्रास का निशान है तो जल में डूबने से मृत्यु या मस्तिष्क रोग होता है, यदि चंद्र पर्वत पर काला तिल है तो पागलपन के दौरे होते है, वृत्त का चिन्ह होने पर पानी में डूबने से मृत्यु का योग होता है, यदि चंद्र पर्वत पर द्वीप का चिन्ह है तो क्रूर और निर्दयी स्वभाव का होगा, यदि वर्ग का चिन्ह है तो प्रत्येक दिशा में विकास होता है, यदि जाल का चिन्ह है तो वह व्यक्ति मानसिक तनावों का सामना करता है, यदि नक्षत्र या तारे का चिन्ह हो तो उदर विकार या मानसिक रोग होता है। 

हाँथ में चन्द्र कि स्थिति को ठीक करने के लिए निम्न उपाय करने चाहिए -

जंहा तक हो सके तो पूर्णिमा के दिन नंगे बदन कुछ समय के लिए चन्द्र की रौशनी को अपने शरीर में पड़ने देना चाहिए। 

ॐ चं चन्द्राय नमः का जाप रोज 11 , 21 , या 51 करना चाहिए। 

चन्द्र की वजह से मानसिक परेशानियाँ अथवा तनाव को कम करने लिए कनिष्ठिका ऊँगली में 7 से 8 रत्ती का मोती सोमवार को चांदी में धारण करना चाहिए। 

तांम्बे के पात्र में जल भरकर रात को चाँद की रौशनी में रख कर सुबह इस जल को पीने से चन्द्र के प्रतिकूल प्रभावों को कण किया जा सकता है।