दीप चिन्ह का ग्रह क्षेत्रों तथा रेखाओं पर प्रभाव
इसका प्रभाव आजीवन न रहकर इस द्वीप चिन्ह की लम्बाई-चौड़ाई के हिसाब से ही उतने ही वर्षों तक रहता है । यह चिन्ह अधिकतर पैतिक या वंश परम्परागत होने वाले रोगों, बुराईयों तथा कुप्रभावों को प्रदर्शित करता है। किन्तु यह कोई अकाट्य नियम ही नहीं बन जाता बल्कि अपने स्वयं पर भी इसका प्रभाव अत्यधिक रूप से पड़ता है। जो कि अपने क्रमानुसार हम पहले क्षेत्रों पर तत्पश्चात् छोटी-बड़ी रेखाओं पर वर्णन कर अपना मार्ग प्रशस्त करेगे । आशा है पाठकगण इससे समुचित लाभ उठाकर कृतार्थ करेंगे ।
द्वीप गुरु क्षेत्र पर :--यदि किसी मनुष्य के हाथ में द्वीप का चिन्ह । स्पष्ट रूप से गुरु क्षेत्र पर दिखाई देता हो तो समझना चाहिये कि उस मनुष्य में उच्चाभिलाषाओं तथा अहंभाव, गर्व या आत्मिक विश्वास की बहुत कमी हो जाती है और उस मनुष्य को अपनी कार्य शक्ति पर विश्वास न रहने के कारण सफलता बहुत ही कम मिलती है। ऐसा मनुष्य अपने को निस्तेज समझ बैठने के कारण किसी भी सामूहिक कार्य में हिस्सा नहीं लेता जिससे उसकी सभी भावनाएँ दम घुटे के समान अपूर्ण रह जाती हैं।
द्वीप शनि क्षेत्र पर :-शनि क्षेत्र पर द्वीप का चिन्ह किसी भी मनुष्य के हाथ में एक पूर्ण रूप से अभाग्यपूर्ण लक्षण है जोकि उसे पगपग पर कष्ट पहुँचाया करता है। ऐस मनुष्य अचानक दैवी प्रकोप का आखेट होकर धन-जन से शून्य हो जाता है और दर-दर की ठोकरें खाता फिरता है।
द्वीप रवि क्षेत्र पर :—जिस मनुष्य के हाथ में द्वीप का चिन्ह रवि क्षेत्र पर स्पष्ट रूप से दिखाई देता है वह मनुष्य लाख प्रयत्न करने पर भी अपने प्राकृतिक कलात्मक कार्यों में सफल नहीं होता। उसकी दस्तकारी की प्रशंसा नहीं होती। वह सदैव हतोत्साह ही रहता है। परिश्रम करने पर सफलता कम मिलती है। ये लेख भारत के प्रसिद्ध हस्तरेखा शास्त्री नितिन कुमार पामिस्ट द्वारा लिखा गया है अगर आप उनके दवारा लिखे सभी लेख पढ़ना चाहते है तो गूगल पर इंडियन पाम रीडिंग ब्लॉग को सर्च करें और उनके ब्लॉग पर जा कर उनके लिखे लेख पढ़ें । ऐसा मनुष्य ईर्षालु प्रकृति का हो जाता है। इसका स्थाई प्रभाव उस मनुष्य को पनपने नहीं देता और वह आदमी पित्तादि के बढ़ जाने अथवा बिगड़ जाने के कारण सदैव उदास, निराश तथा रोगी-सा रहता है।
द्वीप बुध क्षेत्र पर :-जिस मनुष्य के बुध क्षेत्र पर द्वीप का चिन्ह स्पष्ट रूप से दिखाई देता हो तो वह मनुष्य व्यापार तथा वैज्ञानिक विद्याभ्यास में बहुत ही कम सफलता पाता है और सफलता प्राप्ति के लिए सदैव बेचैन-सा रहता है। धनवान होने के लिए तथा व्यापारिक सफलता प्राप्त करने के लिये एक के बाद दूसरा, तीसरा, चौथा कार्यारम्भ करता है फिर भी सफल नहीं होता और यही हाल पढ़ाई-लिखाई तथा वैज्ञानिक आविष्कारों के बारे में रहता है जिनमें भी सफलता प्राप्त न होने के कारण सदैव विफल प्रयास रहना पड़ता है।
द्वीप प्रजापति क्षेत्र पर:-प्रजापति क्षेत्र पर स्पष्ट रूप से दिखाई देने वाला द्वीप उस मनुष्य को परिश्रम रहित, क्रियाहीन तथा कमजोर हुदय बना देता है। ऐसा मनुष्य कार्य की महत्ता से ही घबरा जाता है और कोई भी कार्य नहीं कर पाता। उसकी शूरवीरता, शान्ति, धैर्य तथा उत्साह सभी उड़ जाते हैं और वह डरपोक हो जाता है।
द्वीप वरुण क्षेत्र पर :–यदि वरुण क्षेत्र पर द्वीप चिन्ह स्पष्ट रूप से दिखाई देता हो तो मनुष्य विद्याभ्यास से वंचित रह जाता है। उसकी वाणी निस्तेज-सी रहती है। वह कोई भी दायित्व कार्य का भार अपने ऊपर नहीं लेता । सामूहिक कार्यों उत्सवों, जल्सों में वक्रता करते ही उसे लज्जा-सी आने लगती है।
द्वीप चन्द्र क्षेत्र पर :-जिस मनुष्य के हाथ में चन्द्र क्षेत्र पर द्वीप का चिन्ह स्पष्ट रूप से दिखाई देता हो तो वह मनुष्य कल्पना शक्ति के क्षीण हो जाने वाले मानव के समान निस्तेज हो जाता है। अपनी दार्शनिकता को खोकर पग-पग पर पछताता है। प्राकृतिक दृश्यों तथा सौन्दर्य से उसे कोई स्नेह नहीं रहता। वह श्रृंगारिक कविता से अश्लीलता पर उतर आता है।
द्वीप केतु क्षेत्र पर :-केतु क्षेत्र पर द्वीप चिन्ह का होना अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण लक्षण है । ऐसा मनुष्य धनाभाव के कारण पढ़ लिख नहीं पाता और बचपन में अनेक रोगों से ग्रसित रहने के कारण दुर्बल शरीर, उदास तथा निराश रहता है ।
द्वीप शुक्र क्षेत्र पर :-द्वीप चिन्ह का शुक्र क्षेत्र पर स्पष्ट रूप से दिखाई देना एक अत्यन्त अशुभ लक्षण है। यह चिन्ह जिस स्त्री या पुरुष के हाथ में भी होगा उसी को अपने प्रेमपात्र का वियोग दुख सहना पडेगा । यदि ऐसा व्यक्ति किसी को प्रेम करेगा तो अवश्य ही निराश होना पड़ेगा। यदि प्रेम का प्रस्ताव चलेगा तो अवश्य ही टूट जायगा। यदि इस द्वीप का थोड़ा-सा भी सम्बन्ध जीवन रेखा से होगा तो अवश्य ही उसके विवाह या प्रेम सम्बन्ध में अड़चनें डालने वाले उसके ही इष्ट मित्र तथा रिश्तेदार होंगे, जोकि उसके साथ शत्रुता का व्यवहार कर अभीष्ट सिद्ध करेंगे। ऐसा मनुष्य कामासक्त, लम्पट तथा इन्द्रिय लोलुप रोता है।
द्वीप मंगल क्षेत्र पर :-मंगल क्षेत्र पर द्वीप चिन्ह का स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होना उस मनुष्य की शारीरिक तथा मानसिक दुर्बलता को प्रत्यक्ष रूप से प्रकट करता है। ऐसा मनुष्य पुलिस से डरने वाला और बहादुरी के समय पीछे हट जाने वाला होता है और व्यर्थ की अपनी बड़ाई स्वयं करने वाला होता है । ऐसा मनुष्य दिल का कमजोर तथा डरपोक होता है ।
द्वीप राहु क्षेत्र पर :-राहु क्षेत्र पर द्वीप का चिन्ह होना पूर्ण रूप से दुर्भाग्यपूर्ण लक्षण है जोकि मनुष्य को आवश्यकता के समय उसकी भरी जवानी में धन जन तथा कर्म से हीन कर देता है। ऐसा मनुष्य धनाभाव के कारण सदैव आपत्ति में फंसा रहता है और जीवन से निराश रहता है।
द्वीप इन्द्र क्षेत्र पर :–इन्द्र क्षेत्र पर स्पष्ट रूप से दिखाई देने वाला द्वीप चिन्ह मनुष्य की प्रौढावस्था को खराब करता है। उसका मन धर्म-कर्म से हटकर पाप कर्मों की ओर रत रहने लगता है। ऐसे मनुष्य के विचार दूषित हो जाने से वह अपने परायों की दृष्टि में गिर जाता है और अपयश का भागी बन जाता है और वह हताश पागल की भाँति बातें करता है।
द्वीप चिन्ह का प्रभाव छोटी-बड़ी रेखाओं पर
यूं तो सभी चिन्ह अपना कुछ न कुछ शुभाशुभ प्रभाव किसी भी हाथ पर होने से उसके जीवन पर रखते ही हैं फिर भी द्वीप चिन्ह हाथ में विशेष रूप से रेखाओं के प्रभाव को दूषित करने के लिए विशेष रूप से उल्लेखनीय है । द्वीप चिन्ह को प्रत्येक रेखा पर आयु विभाग के हिसाब से गणित करके प्रत्येक रेखा का दूषित प्रभाव उसके जीवन पर किस समय क्या असर डालेगा और उससे क्या-क्या हानियाँ होंगी। इन सभी बातों पर संकेतात्मक दृष्टि से प्रकाश डालकर उस मनुष्य को आगामी भय से पूर्णतया सचेत कर देना चाहिये ताकि वह मनुष्य आने वाले खतरे से सावधान हो जाय और उपचार द्वारा अथवा अपनी इच्छा शक्ति की प्रबलता द्वारा उसके दूषित फल को यदि पूर्णतया रोकने में समर्थ न भी हो सके तो हल्का अवश्य ही कर दे। क्योंकि आत्मिक शक्ति के बलवान हो जाने पर संसार में कोई काम असम्भव नहीं रहता और न कोई वस्तु अप्राप्य ही रहती है जैसा कि हम पहले संकेत कर आये हैं। इसलिये किसी भी मनुष्य को केवल सन्देहात्मक बातों पर ही आधारित न रहकर अपने उत्थान के लिए भी सदैव प्रयत्नशील अवश्य ही रहना चाहिए । भाग्य में चाहे जो कुछ भी लिखा हो अवश्य होगा किन्तु यह याद रखना चाहिये कि प्रेक्षक भाग्य विधाता नहीं है इसलिए बताने में भूल हो सकती है जो कि अनजान श्रोता के लिए पतन का कारण बन सकती है।
द्वीप जीवन रेखा पर :—साधारणतया जीवन रेखा पर द्वीप का होना किसी वंश परम्परागत होने वाले रोग की सूचना देता है जोकि पैत्रिक धरोवर के रूप में उस आदमी को प्राप्त होता है । इसलिए आमतौर पर ऐसे व्यक्ति का स्वास्थ्य खराब ही रहता है। जबकि द्वीप चिन्ह जीवन रेखा के उद्गम स्थान के साथ ही दो, तीन या चार लगातार मिले हों, तो उस मनुष्य का जन्म सन्दिग्धपूर्ण रहस्यमय होता है। यह स्पष्ट रूप से दिखाई देने वाला द्वीप चिन्ह उस मनुष्य को जार योग से उत्पन्न होने के लिए बाध्य करता है। यह बात कहते समय किसी भी प्रेक्षक या पामिस्ट को बड़ी ही सावधानी से कार्य करना चाहिए । स्पष्ट रूप से न पूछ कर समयानुसार बड़ी ही होशियारी से यह बात पूष्ट करनी चाहिए ताकि कलह उत्पन्न न हो इसके अतिरिक्त यदि यह द्वीप जीवन रेखा के किसी और स्थान पर उपस्थित हो तो विशेष समय पर किसी विशेष बीमारी का होना प्रदर्शित करता है। यदि द्वीप चिन्ह के पास जीवन रेखा टूटकर अलग हो गई हो तो उस समय किसी खास बीमारी के पश्चात् उसकी मृत्यु प्रदर्शित करता है। यदि जीवन रेखा पर द्वीप हो और स्वास्थ्य रेखा लहरदार, जंजीरदार, श्रृंखलित तथा किसी और प्रकार से दूषित हो तो उस मनुष्य को अजीर्ण, कुपच, मन्दाग्नि, जिगर तिल्ली में खराबी आदि रोग उत्पन्न कर उसके स्वास्थ्य को खराब करता है। यदि जीवन रेखा के ऊपरी भाग में द्वीप का चिन्ह अंकित हो तो मनुष्य के फेफड़ों में सूजन, नजला, पसली आदि में धड़कन और निचले भाग में मन्दाग्नि गुर्दे में दर्द, मूत्राशय में पीड़ा के साथ-साथ गुदा रोग भी रहता है। जीवन रेखा के अन्त में स्पष्ट द्वीप चिन्ह किसी लम्बी बीमारी के पश्चात् मृत्यु की सूचना देता है ।
द्वीप शीष रेखा पर:- यदि किसी के हाथ में मस्तक या शीष रेखा पर द्वीप का चिन्ह स्पष्ट रूप से दिखाई देता हो तो उस मनुष्य के वंश परम्परागत होने वाले मस्तिष्क सम्बन्धी रोग की ओर संकेत करता है। उसका मस्तिष्क कमजोर होने के साथ-साथ, सिरदर्द, आधाशीशी, जो कि सूर्योदय के साथ बढ़ता और सूर्यास्त पर स्वयं ही घट जाता है, नजला, जुकाम आदि रोगों के साथ घटता बढ़ता रहता है। यदि द्वीप चिन्ह अनामिका उगली के नीचे मस्तक रेखा पर विद्यमान हो और साथ ही मस्तक रेखा भी सूर्य क्षेत्र के नीचे टूट रही हो तो किसी विशेष दुर्घटना वश सिर पर चोट आने का प्रत्यक्ष लक्षण दिखाई देता है। यदि जीवन रेखा पूर्ण न हो तो मृत्यु भी हो सकती है । मस्तक रेखा के आरम्भ में द्वीप चिन्ह होने से किसी के बचपन में और मध्य में होने में, उसके यौवन में और अन्त में उसकी अन्तिमावस्था में मस्तिष्क सम्बन्धी रोग, उन्माद या पागलपन आदि रोग उत्पन्न करता है। प्रजापति हर्शल क्षेत्र पर द्वीप का चिन्ह किसी की हत्या कराता है। शनि क्षेत्र के नीचे मस्तक रेखा पर द्वीप चिन्ह, बात, शूल, रोग पैत्रिक सम्पत्ति के रूप में देता है। ऐसा मनुष्य गूगा बहरा हो सकता है। यदि शीष रेखा पर कई द्वीप चिन्ह हों तो मनुष्य का सदैव सिर चकराता रहता है । और यदि भाग्य वश उस मनुष्य के नाखून भी चौड़े हुए तो यह रोग और भी गुरुतर हो जाता है। ऐसे मनुष्य को कभी-कभी आँतों का राजयक्षमा या टी. बी. रोग भी उत्पन्न हो जाता है।
द्वीप हृदय रेखा परः--हृदय रेखा का द्वीप चिन्ह किसी भी मनुष्य के पैत्रिक हृदय कमजोरियों की ओर आकर्षित करता है, और उसको इन्द्रिय सुख से पृथक् रखता है, जिसका प्रभाव उसके हृदय पर बहुत बुरा पड़ता है। यदि यह द्वीप चिन्ह हृदय रेखा पर शनि क्षेत्र के नीचे पड़ा हो तो किसी का कलुषित प्रेम उसकी उन्नति में बाधक रहता है, और वह अपने प्रेमपात्र से अवश्य ही धोखा खाता है और उसे दिल हिलने की बीमारी या हृदय स्पन्दन बढ़ जाने का रोग होता है, और यदि यह द्वीप चिन्ह रवि क्षेत्र के नीचे हृदय रेखा पर हो तो उस मनुष्य
का हृदय तो कमजोर होता ही है, इसके साथ-साथ नेत्र पीड़ा तथा पित्त रोग अवश्य ही लगा रहता है। उसकी आँखें कमजोर होती हैं। इसके अतिरिक्त यदि दो तीन द्वीप चिन्ह हृदय रेखा पर विद्यमान् हों तो ऐसा मनुष्य प्रेम के सम्बन्ध में अधीर, उतावला तथा निराश प्रेमी होता है । उसको शीघ्रपतन, प्रमेह, मधुमेह आदि बहुत से वीर्य विकार के अनेक रोग उत्पन्न हो जाते हैं । ऐसी दशा में यदि भाग्य रेखा पर भी द्वीप चिन्ह हो तो ऐसा मनुष्य विषयासक्त होने के साथ-साथ अपने प्रेम-पात्र को धोखा देकर उसका प्रेम पाने की इच्छा रखता है। जोकि न तो पूर्ण होती है और न समाप्त ही होती है। यदि यही द्वीप चिन्ह बुध क्षेत्र के नीचे हृदय रेखा पर हो तो उस मनुष्य को प्रेम धनादि के लालच में पड़कर छूट जाता है या स्त्री-पुरूष का क्रय विक्रय होकर कठिनता से विवाह सम्बन्ध स्थापित होता है।
दीप रवि रेखा परः—जिस मनुष्य के दाहिने हाथ की सूर्य रेखा पर द्वीप का चिन्ह स्पष्ट रूप से दिखाई देता हो तो वह मनुष्य, अपवाद द्वारा किसी बड़ी अपकीति तथा बदनामी को प्राप्त होता है । व्यापार में हानि तथा नौकरी में कलंक लगता है। ऐसा मनुष्य धन-हानिमान-हानि को प्राप्त होकर दुश्चरित्रता को प्राप्त होता है। यदि यह द्वीप चिन्ह रवि रेखा के आरम्भ में ही स्पष्ट रूप से दिखाई देता हो तो वह मनुष्य या स्त्री पाप या अधर्म द्वारा किये गए प्रेमी के सम्बन्ध से लाभ उठाते हैं। उनकी उन्नति जार पुत्र अथवा हामी बच्चे की उत्पत्ति होने के पश्चात् होती है। यदि भाग्य और रवि दोनों रेखाएँ। एक द्वीप से ऊपर को बढ़ रही हों तो उस मनुष्य की मृत्यु इच्छानुसार स्पष्ट देश में प्रसन्न मुख होती है। यदि जीवन रेखा और इस सूर्य रेखा पर द्वीप का चिन्ह एक अवस्था में वर्ष गणना के अनुसार पड़ता हो तो उस मनुष्य की मृत्यु एक लम्बे नेत्र रोग के पश्चात् अथवा किसी बड़ी बीमारी के पश्चात् बड़ी तकलीफ पाकर होती है। रवि रेखा पर स्पष्ट तथा लम्बा द्वीप चिन्ह चाहे जिस स्थान पर पड़े मनुष्य को धन, यश, कीर्ति सम्बन्धी तकलीफ देता है । इसमें सन्देह करने को स्थान नहीं है कि यदि द्वीप' चिन्ह जीवन, मस्तक तथा सूर्य रेखाओं को सम्मिलित रूप से एक, दो, तीन स्थानों पर स्पर्श करता हो तो उस मनुष्य को उस आयु में अपने समीप इष्ट मित्र, भाई बन्धु, माता-पिता आदि में से किसी न किसी की मृत्यु का सम्वाद अवश्य ही सुनने को मिलता है। इन तीनों रेखाओं पर द्वीप चिन्ह का होना अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण अशुभ लक्षण है।
द्वीप भाग्य रेखा परः–यदि किसी मनुष्य की भाग्य रेखा पर द्वीप चिन्ह लम्बा, साफ, स्पष्ट रूप से दिखाई देता हो तो उस मनुष्य का धनजन सम्बन्धी भारी नुकसान होता है। ऐसा मनुष्य सांसारिक व्यवहार कुशल न होने के कारण किसी भी भौतिक पदार्थ के पाने में सफल नही होता। वह ज्यों-ज्यों भाग्य को बनाने की चिन्ता करता है। भाग्योन्नति के लिए अग्रसर होता है, त्यों-त्यों उलझनों में फंसकर निरन्तर हानि ही उठाता है और सदैव अपने ही आदमियों तथा सम्बन्धियों द्वारा ही धोखा खाता है । भाग्य रेखा के प्रारम्भ में द्वीप चिन्ह बाल्यावस्था में, मध्य भाग का द्वीप चिन्ह यौवन में तथा अन्तिम भाग का द्वीप चिन्ह वृद्धावस्था में उसके दुर्भाग्य को प्रदर्शित कर दुदिन दिखलाता है और धन जन से हीन कर दुर्गति करवाता है। यदि यह द्वीप' चिन्ह आयु और भाग्य रेखा के मिलन पर हो तो निश्चय ही मृत्यु करवाता है, और यदि शीष और भाग्य रेखा के मिलन पर हो तो मस्तिष्क के साथ साथ धन सम्बन्धी दुर्घटना करता है। यह चिन्ह यदि हृदय भाग्य रेखा के मिलन पर हो तो हृदय रोग के साथ-साथ दुर्भाग्यपूर्ण प्रेम सम्बन्ध कराता है जिसमें धन-जन दोनों की ही हानि होती हैं। यदि चन्द्र प्रभाविक रेखा के सम्बन्ध से भाग्य रेखा पर द्वीप का चिन्ह बनता हो तो उस मनुष्य की अपनी स्त्री तथा किसी दूसरी स्त्री के सम्बन्ध में आने से कोई भारी धन सम्बन्धी दुर्घटना होती है। ऐसे मनुष्य को अपने ही प्रियजन तथा स्वजन स्त्री समुदाय से अत्यधिक कष्ट उठाना पड़ता है जोकि उसकी अपनी ही मूर्खता के कारण से होता है। ऐसा मनुष्य जन साधारण की आखों में गिरकर पतित हो जाता है ।
द्वीप स्वास्थ्य रेखा परः-स्वास्थ्य रेखा पर द्वीप का चिन्ह होना किसी सख्त बीमारी का द्योतक है । जिस मनुष्य के हाथ में यह चिन्ह हो और साथ ही उसके नाखून चन्द्र रहित लम्बे हों तो निश्चय ही उस मनुष्य का सीना कमजोर तथा फेफड़े दुर्बल होते हैं जिससे उसको वात रोग, निमोनिया, हब्बाडब्बा तथा पसिलियाँ चलते का रोग होता है। नजला जुकाम आदि बहुत पीड़ित करते हैं । इस द्वीप चिन्ह के साथ-साथ यदि उस मनुष्य के नाखून चौड़ाई में लम्बाई से अधिक हों तो उस मनुष्य को गले सम्बन्धी रोग जैसे टोन्सिल बढ़ना, काक बढ़ जाना, कण्ठमालादि रोग उत्पन्न हो जाना, वायु रोगों के साथ-साथ नजला जुकाम लगा रहना आदि रोग हो जाते हैं। यदि स्वास्थ्य रेखा पर द्वीप' चिन्ह आयु रेखा के स्पर्श के समय बने तो सख्त बीमारी अथवा मृत्यु सूचना देता है । मस्तक रेखा के साथ 'द्वीप चिन्ह बने तो उन्माद, सिर दर्द, सिर में रसौली आदि होते हैं । हृदय रेखा पर इसके सम्बन्ध से द्वीप’ चिन्ह बने तो, दिल धड़कना, रक्त विकार रक्तचाप, आदि रोग होते हैं। इसका सूर्य रेखा के साथ द्वीप चिन्ह बने तो, अपकीति और कार्य में विफलता प्रदान करता है। भाग्य रेखा के साथ पूर्वोक्त प्रभाव ही रहता है । प्रभाविक रेखा के साथ स्वास्थ्य रेखा का द्वीप चिन्ह होना मनुष्य में ईर्षा को उढ़ाता तथा उसके प्रभाव को सर्व साधारण में क्षीण करता है। केतु क्षेत्र पर इसका बड़ा द्वीप मनुष्य को मूर्छा, मृगी, बेहोशी आदि रोगों के साथ-साथ चलते चलते सोने वाला रोग उत्पन्न कर देता है।
द्वीप विवाह रेखा पर :-विवाह रेखा पर द्वीप' चिन्ह का स्पष्ट रूप से दिखाई देना किसी भी विवाह सम्बन्ध में दो सहयोगी मित्रों का आपस में द्वन्द युद्ध प्रदर्शित करता है। यदि यह चिन्ह स्त्री हाथ में हो तो पुरुष की और पुरुष हाथ में स्त्री की मृत्यु सूचित करता है। यदि विवाह रेखा द्वीप से कोई रेखा आगे बढ़कर हृदय रेखा को स्पर्श करती हो अथवा विवाह रेखा द्वीप की कोई शाख मस्तक रेखा को स्पर्श करती हो और बढ़कर सूर्य रेखा को काटती हो तो ऐसा विवाह सम्बन्ध अपयश लोकाचार तथा बदनामी के कारण नहीं होता। यदि विवाह रेखा के आरम्भ में द्वीप' चिन्ह हो और शेष रेखा निर्दोष हो तो विवाह बड़ी ही प्रारम्भिक आपत्तियों के बाद हो जाता है। यदि द्वीप चिन्ह विवाह रेखा के मध्य में हो तो विवाह के पश्चात् मनुष्य पर विपत्तियाँ आया करती हैं और अन्त में होने पर उस विवाह का अन्त खराब होता है और वह मनुष्य अपने अन्तिम समय में दुदिन देखता है। यदि आदि मध्य-अवसान तीनों जगह विवाह रेखा पर द्वीप हो तो विवाह नहीं होता । यदि सन्तान रेखाओं पर द्वीप चिन्ह हो तो सन्तान ही नहीं होती और यदि हो गई तो बच्चों की दशा अत्यन्त शोचनीय तथा नाजुक होती है, जिनकी मृत्यु अनिवार्य है।
द्वीप मंगल रेखा पर :-मंगल रेखा पर द्वीप का चिन्ह एक अशुभ लक्षण है जोकि मनुष्य के सभी गुणों को अवगुणों में बदल देता है। उसकी शारीरिक शक्ति क्षीण तथा हृदय कमजोर हो जाती है। ऐसा मनुष्य क्रियाहीन होकर परिश्रम से डरने लगता है। उसकी बुद्धि मलिन तथा दूषित हो जाती है। ऐसा मनुष्य किसी आवेशपूर्ण लड़ाई झगड़े में उत्तेजना पाकर मृत्यु को प्राप्त होता है।
द्वीप चन्द्र रेखा पर :--चन्द्र रेखा पर द्वीप का चिन्ह मनुष्य की मानसिक शक्ति को क्षीण करके जलोदर रोग से पीड़ित करता है। ऐसा मनुष्य पानी से बहुत डरता है। स्नान नहीं करता, नजले जुकाम से पीड़ित रहता है। जिसकी मृत्यु अधिकतर जलचर या पानी द्वारा ही होती है।
द्वीप प्रभाविक रेखा पर :—जिस मनुष्य के हाथ में प्रभाविक रेखाओं पर द्वीप का चिन्ह होता है उसका सर्व साधारण के ऊपर से प्रभाव उठ जाता है। उसका विश्वास कोई नहीं करता। इसलिये वह अपना पतन अपनी ही आँखों से देखता है । समाज में उसका कोई आदर नहीं करता। इसमें उसका कोई दोष नहीं होता कि इस द्वीप के प्रभाव से वह मनुष्य कुछ निन्द्य कर्म कर बैठता है और अपनी कीर्ति प्रतिष्ठा खोकर अपयश तथा बदनामी मोल ले लेता है। द्वीप यात्रा रेखा पर यात्री रेखाओं पर द्वीप चिन्ह यात्रा में खतरा पैदा करता है । स्थल यात्रा रेखा पर द्वीप चिन्ह, मोटर गाडी, ट्रेन, टैबसी, बस, बाइक आदि दुर्घटना से मृत्यु सूचना देता है और जल यात्रा रेखा पर, तैरने, नाव के डूबने तथा जलपोत की दुर्घटना से मृत्यु सूचित करता है।
नितिन कुमार पामिस्ट