स्वप्नों के अर्थ - स्वप्न फलदर्पण
प्रत्येक प्राणीमात्र के हृदय में एक अदृश्य चेतना शक्ति निहित रहती है। यह शक्ति भविष्य में होने वाली शुभ या अशुभ घटनाओं का संकेत स्वप्नों के माध्यम से मानत देती है।
"स्वप्नशास्त्र” एक प्राचीन विद्या है। संपूर्ण विश्व इस विद्या को मानता है। समय-समय पर अनेक विद्वानों ने स्वप्नों का विश्लेषण करके कुछ सिद्धांत तैयार किये हैं। इन सिट के आधार पर स्वप्नों के शुभ या अशुभ अर्थ लगाये जाते हैं किंतु स्वप्नशास्त्र पर कोई प्रामाणिक ग्रंथ आज की तारीख में उपलब्ध नहीं है।
स्वप्नशास्त्र इतना जटिल एंव विशाल है कि उस पर कोई ग्रंथ लिखना आसान नहीं है। जीवन में जितने और जिस प्रकार के स्वप्न दिखायी देते हैं उन सबको लिपिबद्ध करना संभव नहीं है। स्वप्न एक ऐसा चलचित्र है कि जिसका कोई प्रारंभ या अंत नहीं है। एक व्यक्ति के देखे सभी स्वप्नों को लिपिबद्ध करना महत् कठिन कार्य है। तो फिर करोड़ों लोगों द्वारा देखे सपनों को अक्षरबद्ध करना कैसे संभव है? अतः हमारे प्राचीन महर्षियों ने स्वप्नशास्त्र के विषय में जो सिद्धांत या मार्गदर्शन किया है उस आधार पर ही हमारे स्वप्न का विश्लेषण करना आवश्यक हो जाता है। प्राचीन ऋषि-मुनियों द्वारा बताये कुछ स्वप्न मार्गदर्शक सिद्धांत निम्नानुसार है।
१. एक ही रात में मनुष्य अनेक शुभ एवं अशुभ स्वप्न देखता है। अनेक वस्तु एवं दृश्य स्वप्न में वह देखता है। संपूर्ण स्वप्न की घटना प्रसंग एवं वस्तओं का विश्लेषण करने के बाद ही स्वप्न का फल निश्चित किया जाना चाहिए।
जो घटना या जो प्रसंग स्वप्न के अंत में दिखायी दे उसके अनुसार स्वप्नफल नार करें ऐसा महर्षि कहते हैं।
२. कौन से स्वप्न फलदायी होते हैं और कौन से निरर्थक, किस विषय में देखे स्वप्न का फल कब मिलेगा इसकी जानकारी भी स्वप्न फलदर्पण में है।
३. अशभ फलदायक स्वप्न दिखे तो स्वप्न देखने के बाद पुनः निद्राधीन होना उता है। तत्काल नींद से जागने के बाद वह स्वप्न दूसरों को बताये तो वह स्वप्न निष्फल होगा या उसका कुप्रभाव कम होगा।
४. प्रभ स्वप्न उषःकाल में दिखायी दे तो तुरंत नींद से जागे पुनः सोये नहीं। यह स्वप्न किसी को न बताये। दूसरों को स्वप्न न बताने से उसका अधिकाधिक शुभफल प्राप्त होगा।
५. कछ दृश्य शुभ होते हैं पर वे सपने में देखने पर अशुभ हो जाते हैं। प्रत्यक्ष जीवन में अशुभ सिद्ध होने वाले सपने स्वप्न में शुभ हो जाते हैं। उदाहरणार्थ-स्वयं को मरा हुआ देखना, मृत व्यक्ति दिखना, अपने शरीर पर जख्म होते देखना, रक्त बहते देखना, ये स्वप्न शुभ होते हैं। हंसना, नाचना, गाना आदि देखना अशुभ होता है।
६. एकाध दृश्य के शुभ एवं अशुभ दोनों फल प्राप्त होते हैं। घटना या वस्तु किस संदर्भ में दिखायी दी यह बात ऐसे प्रसंग में महत्व की है। स्वयं की मृत्यु देखना शुभ है किंतु दूसरों की मृत्यु देखना अशुभ है। सफेद फूल देखना शुभ किंतु कपास के सफेद फूल देखना अशुभ है। कमल पुष्म देखना शुभ किंतु वह प्राप्त होना अशुभ है। स्त्री स्वप्न में किस स्वरूप में दिखायी देती है उस स्वरूप पर उसका फल निर्भर रहेगा।
७. सपने सच या झूठ? इस प्रश्न को लेकर वाद-विवाद व्यर्थ है। स्वप्न की हर बात सही आने के सैंकड़ों उदाहरण हैं। स्वप्न की बात सत्य होने के भी अनुभव हैं। अधिकांश सपने झूठे भी होते हैं। रात के प्रथम या तीसरे प्रहर में देखे गये सपने नब्बे प्रतिशत झूठे साबित होते हैं। स्वप्न देखकर पुनः निद्रिस्त होना या दूसरों को स्वप्न की बात बताने से नब्बे प्रतिशत सपने स्वतः प्रभावहीन हो जाते हैं।
इसके अलावा आपने स्वयं कोई घटना देखी, सुनी या उसका विचार किया अथवा आप स्वय शारीरिक एवं मानसिक रोगी हो, द:खी हो चिंतातर कामातुर हो या नशीले पदार्थ के सेवन से नशे में हो तो ऐसी हालत में देखे सपने सच नहीं होते।
ऐसे भी कुछ सपने होते हैं जिनका संदर्भ समझ में नहीं आता। फलस्वरूप स्वप्न फलदर्पण उनके फलित के विषय में कुछ कहा नहीं जा सकता। साराश सपने सच होते हैं कि उनका प्रमाण अल्प होता है।
६. स्वप्नों का विश्लेषण करना यह एक कठिन कार्य है। चलचित्र के समान काफी देर तक देखे स्वप्नों का विश्लेषण करना असंभव नहीं अपितु कठिन अवश्य है। इस दीर्घकाल में अनेक घटनायें एवं दृश्य देखे जाते हैं उन सबका तारतम्य देखना आवश्यक है। नीति–निर्धारण के सिद्धांतानुसार विद्वान सपनों का अर्थ बता सकते हैं। समझिये कि सपने में सुंदर नवयौवन, खिलता हुआ कमलपुष्प, बच्चों के साथ दांपत्य, राजा एवं राजदरबार का दृश्य देखा और नींद खुल गयी तो इन सपनों का क्या मतलब होगा?
ऐसे सपनों का विश्लेषण निम्न प्रकार से हो सकता है।
अ. स्वरूप सुंदर स्त्री, कमल पुष्प, बच्चे के साथ दांपत्य, राजा और राजदरबार ये दृश्य स्वप्नविज्ञान के अनुसार शुभ है। आर्थिक लाभ, राज सम्मान एवं प्रतिष्ठा देने वाले हैं। यही कारण है कि यह स्वप्न शुभ फलदायी हैं।
ब. उपरोक्त स्वप्न का विश्लेषण इस तरह से भी किया जा सकता है-संदर तरूणी का दर्शन, पनी समागम, दांपत्य सुख का प्रतीक है। खिलते हुए कमल पुष्प का दर्शन, बीजअंकुरण एवं प्रजनन का संकेत है। दांपत्य के साथ बच्चे का दर्शन पत्रसुख एवं संतति प्राप्ति का संकेत है तो राजसिंहासन का दृश्य राज्यकृपा एवं अधिकार प्राप्ति का प्रतीक है।
इस तरह स्वप्न विज्ञान का मूलभूत सिद्धांत ध्यान में लेकर स्वप्न की सत्य-असत्यता का शुभ-अशुभत्व निश्चित करना चाहिए।