हस्तरेखाओं का अध्ययन और भविष्यवाणी सम्बन्धी सावधानियाँ | Hast Rekha Shastra


हस्तरेखाओं का अध्ययन और भविष्यवाणी सम्बन्धी सावधानियाँ

हस्तरेखाओं का अध्ययन और भविष्यवाणी सम्बन्धी सावधानियाँ

पॉमिस्ट को चाहिए कि वह हाथ देखने से पूर्व अपने मन को शान्त और सन्तुलित कर ले और सारा ध्यान (क्लाइन्ट) जातक की हस्तरेखाओं आदि पर एकाग्र करे। हाथ दिखलाने वाले की बातों, पोशाक, पद, चेहरे, रिश्ते आदि से प्रभावित नहीं हो क्योंकि सब कुछ झूठा हो सकता है पर हाथ और उसकी रेखाएँ हमेशा सच बोलती हैं।

एकान्त स्थान में हाथ देखें, रेडियो, टी.वी. आदि को बन्द कर दें। हाथ देखने के लिए सुबह 7 बजे से 12 बजे तक का समय सर्वोत्तम रहता है, वैसे सूर्यास्त से पहले तक हाथ देखा जा सकता है। कमरे में ऐसा प्रकाश होना चाहिए कि आप दूसरे की सूक्ष्म रेखाओं को भी भली प्रकार देख सकें। | पूरा भोजन करने के बाद व्यक्ति की हस्तरेखाएँ हल्की पड़ जाती हैं। अत: उस समय हाथ नहीं देखना चाहिए। मैग्नीफाइंग ग्लास को साफ करके रखें और हस्तरेखाओं पर ठीक से फोकस करें।

क्लाइन्ट या जातक क्या-क्या जानना चाहता है, इसे एक डायरी में लिख लें और उसी के अनुसार हस्तरेखाओं को देखकर पहले अपने निरीक्षण को लिख लें। उनका सारांश निकालने के बाद पूरी बात बतायें।

यदि क्लाइन्ट हाथ का प्रिण्ट देना चाहे तो रोलर पर प्रिण्टिग पैड द्वारा प्रिण्टिग इंक लगाकर उसकी पूरी हथेली, अँगुलियों, अँगूठे पर भली प्रकार इंक की एक सामान्य परत चढ़ायें। रोलर को हाथ पर हल्के से ही चलायें, ज्यादा दबाव देने से इंक की रेखाओं के बीच जाने की सम्भावना होती है जिससे वे स्पष्ट छाप नहीं देतीं। इसके बाद एक सख्त तख्ती पर अच्छी क्वालिटी का सफेद कागज रखें और हाथ की छाप लें। ध्यान रखें कि आपको दाहिने और बायें दोनों हाथों का प्रिण्ट लेना है। सम्बन्धित सामान किसी भी स्टेशनरी की अच्छी दुकान से मिल सकता है।

दोनों हाथ देखें

क्लाइन्ट के दोनों हाथों को देखें, दाहिने हाथ द्वारा दी गयी जानकारी पर अधिक निर्भर करें और बायें हाथ की जानकारी को सहायक ज्ञान के रूप में लें। उदाहरणार्थ, यदि जीवन-रेखा दोनों हाथों में एक निश्चित आयु पर टूटी है तो मृत्यु की अत्यधिक सम्भावना है। बायाँ हाथ व्यक्ति द्वारा माता-पिता से पाया गया भाग्य आदि बताता है और दाहिना हमारे अपने कर्मों से बनता है। बायाँ हमारे स्वाभिक चरित्र को प्रभवित करता है और दाहिना हमारे प्रशिक्षण और परिस्थितियों को इसलिए दोनों हाथो का साथ साथ अध्ययन करने से ही भविष्य का पता लगाया जा सकता है लेकिन इस में दाहिने हाथ को अधिक महत्व देना चाहिए।

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