जीवन में शुभ-अशुभ यात्राएँ और दुर्घटनाएँ - हस्तरेखा शास्त्र
यात्रा रेखा
जीवन एक यात्रा है जो जन्म के साथ शुरू होती है और मत्य पर समाप्त, परन्तु इस जीवन यात्रा में हमें अपने व्यवसाय या भिन्न-भिन्न कार्यों को पूरा करने के लिए छोटी-बड़ी अनेक यात्राएँ करनी होती हैं। इनसे लाभ-हानि, यश-अपयश आदि भी प्राप्त होता है। अब हम इन्हीं यात्राओं के बारे में जानेंगे।
इस सम्बन्ध में जानने के लिए हमें सर्वप्रथम जीवन रेखा से निकलकर उसके साथ-साथ चलने वाली पतली रेखाओं पर ध्यान देना चाहिए। इसके बाद चन्द्र पर्वत पर बनी मोटी रेखाओं का निरीक्षण करना चाहिए। जीवन रेखा में, यात्रा रेखा निकलने के बाद अगर उसमें (जीवन रेखा में) कुछ अच्छा परिवर्तन दिखता है तो इसका अर्थ हैं कि वह यात्रा महत्त्व की होगी। इस प्रकार की रेखाएँ चन्द्र पर्वत पर स्थित यात्रा वाओं से अधिक प्रभावशाली होती हैं। जीवन रेखा की एक शाखा चन्द्र पर्वत पर जाती है और दुसरी शुक्र पर जिसके फलस्वरूप व्यक्ति एक लम्बी यात्रा के बाद अपने घर का से सुदूर स्थान पर निवास करने लगता है। मणिबन्ध से निकलकर चन्द्र पर्वत पर जाने वाली रेखाओं की भी यात्राओं से लाभ होता है अन्यथा नहीं। यात्रा रखा सामान्य स्थिति में रहे तो सामान्य लाभ, यात्रा रेखा का अन्त चतुष्कोण में होने पर यात्रा में संकट का सामना करना होगा पर जातक सुरक्षित रहेगा।
अगर यात्रा रेखा का अन्त ‘क्रॉस' से होता है तो यह यात्रा से मिलने वाली निराशा की द्योतक है, यात्रा का अन्त द्वीप में होना, यात्रा में हानि मिलने का सूचक है। मणिबन्ध से ऊपर उठकर चन्द्र पर्वत पर जाती रेखाएँ सबसे अधिक लाभदायक होती हैं।
* यात्रा रेखा शनि पर्वत (Mount of Saturn) पर पहुँचती हो तो यह यात्रा से किसी घातक हानि होने का संकेत है।
* चन्द्र पर्वत से बृहस्पति पर्वत (Mount of Jupiter) पर पहुँचने वाली रेखा एक बहुत लम्बी परन्तु अच्छी मात्रा में धन, यश या सफलता प्राप्त होना बताती है।
* यदि यात्रा रेखा बुध पर्वत (Mount of Mercury) पर जाये तो इसका अर्थ होगा कि जातक को अचानक अच्छी धन राशि का लाभ होगा।
* सूर्य पर्वत (Mount of the Sun) पर पहुँचने वाली यात्रा रेखा धन तथा यश मिलने का अच्छा संकेत देती है।
* चन्द्र पर्वत को पार कर भाग्य रेखा में मिलने वाली यात्रा रेखाएँ जब उसके साथ ऊपर जाने लगती हैं, जातक को कोई न कोई भौतिक लाभ प्रदान करती हैं। यदि वे भाग्य रेखा के साथ ऊपर नहीं जायें तो सामान्य
फल ही देती है। लेकिन ये प्राय: लम्बी होती हैं।
* जब इस प्रकार की यात्रा रेखाएँ कलाई की ओर जाती हैं या मुड़ जाती हैं तो यह दुर्भाग्य सूचक होती हैं।
* जब यात्रा रेखाएँ एक दूसरे को क्रॉस करती अर्थात् काटती है तो इसका अर्थ है कि उस प्रकार की यात्रा कई बार होगी।
* जब यात्रा रेखाएँ मस्तिष्क रेखा से मिलती हैं और वहाँ जाली, द्वीप, बिन्दु आदि अशुभ चिह्न बनाती हैं, या वह चिह्न वहाँ होता है तो इसका मतलब है कि ऐसी यात्रा शारीरिक व मानसिक कष्ट देगी या अशुभ सिद्ध होगी।
* यदि ऐसी यात्री रेखा के अन्त में चतुष्कोण हो तो यात्रा में संकट आयेगा परन्तु जातक को विशेष हानि नहीं होगी।
दुर्घटनाएँ (Accidents)
शनि पर्वत पर द्वीप (Island) हो और उससे निकलकर एक रेखा जीवन रेखा में प्रवेश कर जाये, यह गम्भीर दुर्घटना का संकेत है पर यह जानलेवा नहीं होगी। अगर शनि पर्वत पर क्रॉस (Cross) हो और एक रेखा उससे निकलकर मस्तिष्क रेखा को काटे ये दुर्घटना में मृत्यु की सम्भावना का सूचक है। बुध पर्वत पर क्रॉस किसी तीव्र गति वाले वाहन से घातक दुर्घटना का संकेत करता है। चन्द्र पर्वत पर क्रॉस (Cross) का चिह्न जल में डूबने की सम्भावना बताता है।
* शनि पर्वत के आधार पर क्रॉस होना, पशुओं से होने वाली दुर्घटनाओं को प्रकट करता है।
* शनि पर्वत से नीचे आकर मस्तिष्क रेखा या जीवन रेखा को काटने वाली रेखाएँ दुर्घटना सूचक होती हैं। द्वीप चाहे शनि पर हो, जीवन रेखा पर हो या हृदय पर, यह एक अशुभ तथा दुखदायी चिह्न है।
* शनि पर्वत से आने वाली स्पष्ट सीधी रेखाएँ जब हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा को काटती हैं तो यह सिर में चोट लगने का द्योतक है। लेकिन ऐसी रेखाएँ जब जीवन रेखा को भी काट देती हैं तो मृत्यु की सम्भावना प्रकट करती हैं। इसके साथ ही जातक के बायें हाथ को भी देखें, यदि वहाँ भी जीवन रेखा कटी है और दोनों हाथों में उस स्थान को भरने वाली बस सहायक रेखा या रक्षक चिह्न नहीं तो यह दु:खद सम्भावना सच्ची सिद्ध होगी।