सितारा (Star) हस्तरेखा विज्ञान
सितारा (Star) - यह एक शुभ चिह्न है। यदि जातक की जीवन रेखा भाग्यरेखा, सूर्य, मस्तिष्क व हृदय रेखाएँ भी अच्छी हों, तो उसके भाग्य में सितारा जुड़ने से नयी चमक आ जाती है। इसकी प्रमुख स्थितियाँ दो हैं।
पहली पर्वत के ठीक ऊपर और दूसरी पर्वत के दायें, बायें, नीचे या अँगुली के पास।
दूसरी स्थिति में व्यक्ति स्वयं उतनी उन्नति व ख्याति तो नहीं पाता, परन्तु अपने-अपने क्षेत्र में सफलता तथा ख्याति पाने वाले सर्वोच्च व्यक्तियों से मिलता एवं उनके सम्पर्क में आता है। इससे उस व्यक्ति की सत्ता तथा शक्ति में भी वृद्धि होती है।
गुरु पर्वत पर सितारा या तारा महान शक्ति, सम्मान तथा पद दिलाता है।
सितारा (Star) - यह एक शुभ चिह्न है। यदि जातक की जीवन रेखा भाग्यरेखा, सूर्य, मस्तिष्क व हृदय रेखाएँ भी अच्छी हों, तो उसके भाग्य में सितारा जुड़ने से नयी चमक आ जाती है। इसकी प्रमुख स्थितियाँ दो हैं।
पहली पर्वत के ठीक ऊपर और दूसरी पर्वत के दायें, बायें, नीचे या अँगुली के पास।
दूसरी स्थिति में व्यक्ति स्वयं उतनी उन्नति व ख्याति तो नहीं पाता, परन्तु अपने-अपने क्षेत्र में सफलता तथा ख्याति पाने वाले सर्वोच्च व्यक्तियों से मिलता एवं उनके सम्पर्क में आता है। इससे उस व्यक्ति की सत्ता तथा शक्ति में भी वृद्धि होती है।
गुरु पर्वत पर सितारा या तारा महान शक्ति, सम्मान तथा पद दिलाता है।
शनि पर्वत (Mount of Saturm) पर तारा भयानक, भाग्यवादी पर सफल तथा प्रसिद्ध व्यक्ति का द्योतक है, जो महान नायक या खलनायक बन सकता है। उसका अन्त प्राय; दुखद होता है परन्तु यश दिलाता है।
सूर्य पर्वत पर सिताराः व्यक्ति को उच्च पद, प्रसिद्धि तथा धन प्रदान करता उसके बदले में उसकी मानसिक शान्ति, खुशी, सन्तोष और कभी-कभी स्वास्थ्य छिन जाता है। सूर्य रेखा के अन्त में या उससे बना तारा परिश्रम से अर्जित अच्छी प्रसिद्धि देता है जो अधिकतर कला के क्षेत्र में मिलती है।
बध पर्वत पर ताराः व्यक्ति को विज्ञान, व्यापार अथवा भाषण या वार्तालाप की कला के द्वारा धन तथा यश प्रदान करता है।
मंगल पर्वत पर ताराः बुध के नीचे वाले स्थान पर स्थित मंगल (मंगल का ऊपरी क्षेत्र) पर तारा जातक को परिश्रम तथा धैर्य से प्राप्त होने वाली कामयाबी और शोहरत देता है। ये लेख भारत के प्रसिद्ध हस्तरेखा शास्त्री नितिन कुमार पामिस्ट द्वारा लिखा गया है अगर आप उनके दवारा लिखे सभी लेख पढ़ना चाहते है तो गूगल पर इंडियन पाम रीडिंग ब्लॉग को सर्च करें और उनके ब्लॉग पर जा कर उनके लिखे लेख पढ़ें । बृहस्पति क्षेत्र के नीचे स्थित (मंगल का निचला क्षेत्र) मंगल पर बना तारा व्यक्ति को किसी युद्ध या बड़े संघर्ष में विजयी बनाकर यश दिलाता है ।
शुक्र पर्वत पर ताराः व्यक्ति को प्रेम, प्रणय और वासनापूर्ण सम्बन्धों में बहुत सफल बनाता है। यदि तारा शुक्र पर्वत के किनारे पर हो तो व्यक्ति प्रेम सम्बन्धों में विशिष्ट स्थान रखने वालों के साथ प्रणय सम्बन्ध बनाता है ।
चन्द्र पर्वत पर ताराः जातक अपनी कल्पनात्मक शक्तियों तथा शुक्र के गुणों के बल पर अच्छी सफलता तथा यश प्राप्त करता है लेकिन इस क्षेत्र में मस्तिष्क रेखा आ जाये और वह तारे में खत्म हो तो वह व्यक्ति के लिए घातक होता है। ऐसा व्यक्ति पागल या आत्मघाती हो सकता है।
अँगूठे व अँगुलियों के प्रथम पोरे पर स्थित तारा इस बात का शुभ संकेत है कि व्यक्ति जो भी कार्य दिल से करेगा उसमें सफलता तथा यश पायेगा। इसके अलावा अन्य स्थानों पर तारा रोग, शोक या अपयश का कारण बनता है।
तारे (Star) के सम्बन्ध में हाथ की अन्य विशेषताओं व रेखाओं को ध्यान में रखते हुए भविष्य बताना होता है। इस मूल सिद्धान्त का प्रत्येक चिह्न का भाग्यफल बताते समय ध्यान रखें।
सरल हस्तरेखा पुस्तक की सभी पोस्ट यहाँ पढ़ें - सरल हस्तरेखा शास्त्र
सूर्य पर्वत पर सिताराः व्यक्ति को उच्च पद, प्रसिद्धि तथा धन प्रदान करता उसके बदले में उसकी मानसिक शान्ति, खुशी, सन्तोष और कभी-कभी स्वास्थ्य छिन जाता है। सूर्य रेखा के अन्त में या उससे बना तारा परिश्रम से अर्जित अच्छी प्रसिद्धि देता है जो अधिकतर कला के क्षेत्र में मिलती है।
बध पर्वत पर ताराः व्यक्ति को विज्ञान, व्यापार अथवा भाषण या वार्तालाप की कला के द्वारा धन तथा यश प्रदान करता है।
मंगल पर्वत पर ताराः बुध के नीचे वाले स्थान पर स्थित मंगल (मंगल का ऊपरी क्षेत्र) पर तारा जातक को परिश्रम तथा धैर्य से प्राप्त होने वाली कामयाबी और शोहरत देता है। ये लेख भारत के प्रसिद्ध हस्तरेखा शास्त्री नितिन कुमार पामिस्ट द्वारा लिखा गया है अगर आप उनके दवारा लिखे सभी लेख पढ़ना चाहते है तो गूगल पर इंडियन पाम रीडिंग ब्लॉग को सर्च करें और उनके ब्लॉग पर जा कर उनके लिखे लेख पढ़ें । बृहस्पति क्षेत्र के नीचे स्थित (मंगल का निचला क्षेत्र) मंगल पर बना तारा व्यक्ति को किसी युद्ध या बड़े संघर्ष में विजयी बनाकर यश दिलाता है ।
शुक्र पर्वत पर ताराः व्यक्ति को प्रेम, प्रणय और वासनापूर्ण सम्बन्धों में बहुत सफल बनाता है। यदि तारा शुक्र पर्वत के किनारे पर हो तो व्यक्ति प्रेम सम्बन्धों में विशिष्ट स्थान रखने वालों के साथ प्रणय सम्बन्ध बनाता है ।
चन्द्र पर्वत पर ताराः जातक अपनी कल्पनात्मक शक्तियों तथा शुक्र के गुणों के बल पर अच्छी सफलता तथा यश प्राप्त करता है लेकिन इस क्षेत्र में मस्तिष्क रेखा आ जाये और वह तारे में खत्म हो तो वह व्यक्ति के लिए घातक होता है। ऐसा व्यक्ति पागल या आत्मघाती हो सकता है।
अँगूठे व अँगुलियों के प्रथम पोरे पर स्थित तारा इस बात का शुभ संकेत है कि व्यक्ति जो भी कार्य दिल से करेगा उसमें सफलता तथा यश पायेगा। इसके अलावा अन्य स्थानों पर तारा रोग, शोक या अपयश का कारण बनता है।
तारे (Star) के सम्बन्ध में हाथ की अन्य विशेषताओं व रेखाओं को ध्यान में रखते हुए भविष्य बताना होता है। इस मूल सिद्धान्त का प्रत्येक चिह्न का भाग्यफल बताते समय ध्यान रखें।
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