यदि हृदय रेखा टूटी हुई हो । हस्तरेखा
यदि हृदय-रेखा कई स्थानों पर टूटी हो तो या तो ऐसे व्यक्ति प्रेमी होते नहीं या लगन के साथ किसी एक व्यक्ति को प्रेम नहीं करते, उनके प्रेम के थोड़े-थोड़े बहुत हकदार होते हैं।
यदि हृदय-रेखा दोनों हाथों में गुरु और शनि क्षेत्र के नीचे टूटी हुई हो तो रक्त-प्रवाह के दोष के कारण सांघातिक बीमारी होती है । हृदय को रक्त पहुंचाने वाली कोई नली बहुत चौड़ी हो जाती है और जातक अल्पायु होता है। किन्तु यदि दोनों खंड-एक-दूसरे के ऊपर हों तो बीमारी के बाद जातक बच जाता है।
यदि शनि-क्षेत्र के नीचे हृदय-रेखा टूटी हो तो प्रेम सम्बन्ध (जातक की इच्छा के विरुद्ध) टूट जाता है। परिणाम में दुःख पहुँचाने वाले प्रेम का, यह लक्षण है। यदि मंगल-क्षेत्र स्थित चिह्नों से इसकी पुष्टि हो तो निश्चय ही परिणाम में घोर संताप होता है।
यदि सूर्य-क्षेत्र के नीचे हृदय-रेखा टूटी हो तो झक्कीपन में प्राकर, आवेश में किसी बात पर चिढ़कर, जातक प्रेम-सम्बन्ध विच्छेद कर देता है। ये लेख भारत के प्रसिद्ध हस्तरेखा शास्त्री नितिन कुमार पामिस्ट द्वारा लिखा गया है अगर आप उनके दवारा लिखे सभी लेख पढ़ना चाहते है तो गूगल पर इंडियन पाम रीडिंग ब्लॉग को सर्च करें और उनके ब्लॉग पर जा कर उनके लिखे लेख पढ़ें । जातक के प्रेम में अभिमान या अहंकार को मात्रा विशेष होती है। यही चिह्न हृदय-रोग का लक्षण भी है। यदि दोनों हाथों में इस स्थान पर हृदय-रेखा टूटी हो तो हृद्रोग के कारण मृत्यु होगी। यह समझना चाहिए।
यदि बुध-क्षेत्र के नीचे हृदय-रेखा टूटी हो तो जातक के लोभ के कारण प्रेम-सम्बन्ध विच्छेद होता है। प्रेम की भावना से अधिक, द्रव्य की भावना, प्रबल होती है। स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से यकृत दोष के कारण-हृदय अपना कार्य ठीक नहीं करेगा। पित्तज हृद्रोग या उसी वर्ग के रोग का भय ।
ऊपर जहाँ-जहाँ हृदय-रेखा टूटने का दोष और उसका फल बताया गया है वहाँ यदि एक ही हाथ में हृदय-रेखा खंडित तो हो और दोनों खंड एक-दूसरे के ऊपर भी आ जावें तो दोष की अल्पता समझनी चाहिए। प्रेम सम्बन्ध विच्छेद हो जावेगा किन्तु पुनर्मिलन भी हो जावेगा। यदि दोनों हाथ में टूटने का अशुभ लक्षण हो तो दोष की मात्रा अधिक समझनी चाहिये ।
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