Ungliyo Ka Tedapan Aur Jhukav Hastrekha Shastra

Ungliyo Ka Tedapan Aur Jhukav Hastrekha Shastra


अँगुली की स्थिति । हस्तरेखा विज्ञान

प्रत्येक अँगुली अपने क्षेत्र में होनी चाहिए। अगर किसी अँगुली का मूल अपने क्षेत्र से नीचे या इधर-उधर हो तो उसके गुणों में अभाव माना जाता है। इससे जातक पर उस अँगुली के अच्छे गुणों का असर कम पड़ता है। अपने क्षेत्र के अधिक उच्च स्थान से निकलने वाली अँगुली अपनी और अपने क्षेत्र/पर्वत (Mount) के गुणों में वृद्धि कर देती है।

अँगुली का टेढ़ापन

यह प्राकृतिक होना चाहिए, चोट आदि के कारण नही। कनिष्ठिका का टेढी होना ईमानदारी की कमी, अनामिका का टेढ़ापन कला की चतुरता का दुरुपयोग या कला-सिद्धान्तों का अनादर, मध्यमा का टेढ़ापन हत्या करने की सम्भावना या हिस्टीरिया रोग होने की सम्भावना प्रकट करता है। संकेतिका का टेढ़ापन आदर-सम्मान में कमी तथा अपमान की सम्भावना बताता है।

अन्दर की ओर मुड़ी अँगुलियाँ 

अन्दर की ओर झुकाव वाली अँगुलियाः जब चारों अँगुलियाँ पूरी तरह खोलने पर अन्दर की ओर मुड़ी हों या उस ओर शंकु बनाती हों, तो जातक डरपोक, चौकन्ना और दूसरों पर तथा अपनी चीजों पर भी शंका व सन्देह करने वाला होता है।

बाहर की ओर झुकाव वाली अँगुलियाँ

उचित रूप में बाहर की ओर झुकाव वाली अँगुलियों वाला व्यक्ति खुशदिल, व्यवहार कुशल, अच्छा मित्र, विवेकशील और जिज्ञासु होता है।

न बाहर और न अन्दर की ओर मुड़ने वाली अँगुलियाँ

ऐसी अँगुलियों वाला व्यक्ति हर बात और कार्य में अधिकतर सन्तुलित रहता है, भाग्यवान होता है।

पीछे की ओर अधिक झुकाव वाली अँगुलियाँ

व्यवहारकुशल, खुशदिल पर लापरवाह होता है। ऐसी लापरवाही कभी-कभी हानिकारक सिद्ध हो सकती है।

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